जिला और सत्र न्यायालय के जज की अनोखी पहल की अब हर तरफ तारीफ हो रही है. विचाराधीन मुकदमों में लीक से हटकर फैसला लेते हुए फैमिली कोर्ट के जज और जिला जज के सामने ऐसे 25 जोड़ों को एक सूत्र में बांधने का काम किया, जो बरसों से अलग-अलग रह रहे थे.

कोर्ट ने एक ही छत के नीचे 25 जोड़ों को मिलाकर उन्हें कानूनी रूप से दंपति बनाकर घर भेजा. सालों से कोर्ट में जाति और धर्म को लेकर ऐसे मुकदमे चल रहे थे, जिसका कोर्ट ने निपटारा कर दिया है.

खास बात ये है कि पारिवारिक न्यायालय के सफल संचालन से 25 जोड़ों ने फिर से एक साथ रहने का फैसला लिया. परिवारिक न्यायालय के जज लालता प्रसाद ने कहा, अलग-अलग कारणों से पति और पत्नी में अलगाव था. आपसी बातचीत और समझौतों के बाद उनमें सुलह करा दी गई.

उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि आने वाली पीढ़ी पर अलगाव की छाया हटा कर उन्हें इस प्रकार बड़ा किया जाए ताकि वह राष्ट्र की उन्नति की ओर उन्मुख हो सकें. सफल परिवार से ही सफल समाज बनता है और इससे राष्ट्र भी मजबूत और विकसित होता है.

जज ने कहा, छोटे-मोटे विवादों के चलते दो बिछड़े जोड़ों को फिर से मिलाना पारिवारिक न्यायालय का उद्देश्य है जिसमें वह सफल रहे. कुछ मामले रह गए उन्हें भी आने वाले  महीने के राष्ट्रीय लोक अदालत में निपटा दिया जाएगा. उन्होंने कहा, आज सभी दंपति साथ रहने को राजी हैं, सभी जोड़ों से लिखित में सुलहनामा भी लिया गया है. इस मौके पर जिला जज दिनेश चंद्र ने कहा कि लोक अदालत के जरिए हम मामलों को शीघ्र सुलझाने की कोशिश करते हैं अब तक 60,000 मुकदमों में 45,000 केस की सुनवाई और फैसले किए जा चुके हैं और आगे भी ऐसे फैसले लिए जाएंगे.

Source Link

Picture Source :