इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि प्रत्येक अदालत हरेक प्रार्थना पत्र को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं। इसी के साथ कोर्ट ने वाराणसी के एसडीएम सदर को मालिकाना हक के संदर्भ में याचि के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करने, उसमें कोई डिफेक्ट होने पर याची को उसकी जानकारी देकर सही कराने और प्रार्थना पत्र का नियमानुसार निस्तारण करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने उपेंद्र कुमार त्रिपाठी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने याची को एक सप्ताह में एसडीएम सदर के समक्ष प्रार्थना पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिका के अनुसार याची आराजी 3302 का वैधानिक स्वामी है और वर्तमान समय में उक्त संपत्ति के वैधानिक स्वामी के रूप में काजीब है और उक्त संपत्ति के उपयोग के बदले गृह कर, जल कर, बिजली कर आदि का भुगतान समय समय पर करता है जिसका प्रमाण याची के पास दस्तावेज के रूप में उपलब्ध है। याची का कहना है कि उक्त आराजी संख्या को बिना कोई पूर्व सूचना या नोटिस दिए वर्तमान राजस्व रिकार्ड से निरस्त करने का आदेश किया गया है जो याची के मौलिक, संवैधानिक एवं न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों के विपरीत है। इसके लिए याची ने एसडी एम सदर के यहां रिकॉल अर्जी दाखिल की लेकिन उनके कार्यालय ने उसे विचारार्थ स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

Source link

Picture Source :