संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग
निवारण) अधिनियम, 1950
(1950 का अधिनियम संख्यांक 12)
[1 मार्च, 1950]
वृत्तिक एवं वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए कतिपय
संप्रतीकों और नामों के अनुचित प्रयोग
का निवारण करने के लिए
अधिनियम
संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार, लागू होना तथा प्रारम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण) अधिनियम, 1950 है ।
(2) इसका विस्तार *** सम्पूर्ण भारत पर है और यह भारत के बाहर भारतीय नागरिकों को भी लागू होता है ।
(3) यह उन तारीखों को प्रवृत्त होगा, जिन्हें केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) “संप्रतीक" से कोई ऐसा संप्रतीक, मुद्रा, ध्वज, राजचिह्न, कोर्ट आफ आर्म्स या चित्र-प्रतिरूपेण अभिप्रेत है जो अनुसूची में विनिर्दिष्ट हो ;
(ख) “सक्षम प्राधिकारी" से ऐसा अधिकारी अभिप्रेत है, जो किसी कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के अन्य निकाय, या व्यापार-चिह्न या डिजाइन को रजिस्टर करने अथवा पेटेन्ट प्रदान करने के लिए, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सक्षम है ;
(ग) “नाम" के अन्तर्गत नाम का कोई संक्षिप्त रूप भी है ।
3. कतिपय संप्रतीकों और नामों के अनुचित प्रयोग का प्रतिषेध-तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई भी व्यक्ति किसी व्यापार, कारबार, आजीविका या वृत्ति के प्रयोजनार्थ, या किसी पेटेन्ट के नाम में, या किसी व्यापार-चिह्न या डिजाइन में किसी ऐसे नाम या संप्रतीक का, जो अनुसूची में विनिर्दिष्ट है, या उसकी किसी मिलती-जुलती नकल का, केन्द्रीय सरकार की या सरकार के किसी ऐसे अधिकारी की, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया जाए, पूर्व अनुमति के बिना, प्रयोग ऐसे मामलों और ऐसी शर्तों के सिवाय, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, नहीं करेगा और न करना जारी रखेगा ।
4. कतिपय कम्पनियों आदि के रजिस्ट्रीकरण का प्रतिषेध-(1) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, कोई सक्षम प्राधिकारी,-
(क) किसी कम्पनी, फर्म या व्यक्तियों के अन्य निकाय को जिसका कोई नाम हो, रजिस्टर नहीं करेगा, अथवा
(ख) किसी व्यापार-चिह्न या डिजाइन को, जिसका कोई संप्रतीक या नाम हो, रजिस्टर नहीं करेगा, अथवा
(ग) किसी आविष्कार की बाबत ऐसा कोई पेटेन्ट, जिसका कोई ऐसा उपाधि-नाम हो, जिसमें कोई संप्रतीक या नाम आ जाता हो, प्रदत्त नहीं करेगा,
यदि ऐसे नाम या संप्रतीक का प्रयोग धारा 3 के उल्लंघन में हो ।
(2) यदि किसी सक्षम प्राधिकारी के समक्ष यह प्रश्न उठता है कि कोई संप्रतीक अनुसूची में विनिर्दिष्ट संप्रतीक या उसकी मिलती-जुलती नकल है या नहीं तो सक्षम प्राधिकारी उस प्रश्न को केन्द्रीय सरकार को निर्दिष्ट कर सकेगा और उस पर केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा ।
5. शास्ति-कोई व्यक्ति, जो धारा 3 के उपबन्धों का उल्लंघन करेगा, जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।
6. अभियोजन के लिए पूर्व मंजूरी-इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के लिए कोई अभियोजन, केन्द्रीय सरकार की या केन्द्रीय सरकार के साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी की पूर्व-मंजूरी के बिना, संस्थित नहीं किया जाएगा ।
7. व्यावृत्ति-इस अधिनियम की किसी भी बात से किसी भी व्यक्ति को ऐसे किसी वाद या अन्य कार्यवाही से, जो इस अधिनियम के अलावा भी उसके विरुद्ध की जा सकती हो, छूट नहीं मिलेगी ।
8. अनुसूची को संशोधित करने की केन्दीय सरकार की शक्ति-केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अनुसूची में परिवर्द्धन या परिवर्तन कर सकेगी और ऐसे परिवर्द्धन या परिवर्तन का वही प्रभाव होगा मानो वह इस अधिनियम द्वारा किया गया हो ।
9. नियम बनाने की शक्ति- [(1)] केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी ।
[(2) इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।]
अनुसूची
[धारा 2(क) और धारा 3 देखिए]
1. संयुक्त राष्ट्र संगठन का नाम, संप्रतीक या शासकीय मुद्रा ।
2. विश्व स्वास्थ्य संगठन का नाम, संप्रतीक या शासकीय मुद्रा ।
3. भारतीय राष्ट्र ध्वज ।
[4. भारत सरकार या किसी राज्य सरकार का नाम, संप्रतीक या शासकीय मुद्रा, या ऐसी सरकार या ऐसी किसी सरकार के किसी विभाग द्वारा प्रयुक्त कोई अन्य राजचिह्न या कोर्ट-आफ-आर्म्स ।]
[5. सेन्ट जान एम्बुलेन्स एसोसिएशन (इंडिया), और सेन्ट जान एम्बुलेन्स बिग्रेड (इंडिया) के संप्रतीक, चार प्रधान कोणों में अलंकृत श्वेत रंग के अष्टकोणीय क्रास होंगे, जिनके चारों ओर एककेन्द्री वृत्त या अन्य अलंकरण या अक्षरलेखन हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते ।]
[6. राष्ट्रपति, राज्यपाल, *** [सदरे-रियासत] या भारत के गणतंत्र या संघ का नाम, संप्रतीक, या शासकीय मुद्रा ।
7. ऐसा कोई नाम जिससे निम्नलिखित व्यंजित हो या उसका व्यंजित होना प्रकल्पित हो,-
(i) भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार का संरक्षण ; अथवा
(ii) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन गठित किसी स्थानीय प्राधिकरण या किसी निगम या निकाय से कोई सम्बन्ध ।
8. संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान एवं सांस्कृतिक संगठन का नाम, संप्रतीक या शासकीय मुद्रा ।
7[9. राष्ट्रपति, *** राष्ट्रपति भवन, राज भवन का नाम या चित्र-प्रतिरूपण ।]
[9क. महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, [श्रीमती इंदिरा गांधी,] छत्रपति शिवाजी महाराज या भारत के प्रधान मंत्री का नाम या चित्र-प्रतिरूपण, या “गांधी", नेहरु या “शिवाजी" शब्द, [सिवाए ऐसे कलेन्डरों पर उनके चित्रों के प्रयोग के जहां कलेन्डरों के विनिर्माताओं तथा मुद्रकों का केवल नाम दिया जाता है और उन कलेन्डरों का प्रयोग माल का विज्ञापन करने के लिए न हो] ।]
[10. सरकार द्वारा समय-समय पर संस्थित मेडल, बैज या अलंकरण अथवा ऐसे मेडल, बैज या अलंकरण के लघु-रूप या प्रतिरूप, [या ऐसे मेडल, बैज या अलंकरण के या उसके लघु-रूप या प्रतिरूप के नाम] ।]
[11. अन्तरराष्ट्रीय सिविल उड्डयन संगठन का नाम संप्रतीक या शासकीय मुद्रा ।]
[12. “इन्टरपोल" शब्द जो अन्तरराष्ट्रीय दांडिक पुलिस संगठन का एक अभिन्न अंग है ।]
[13. विश्व मौसम विज्ञान-संगठन का नाम, संप्रतीक या शासकीय मुद्रा ।]
[14. भारत की क्षय रोग संस्था का नाम और संप्रतीक ।]
[15. अन्तरराष्ट्रीय आणविक ऊर्जा अभिकरण का नाम, संप्रतीक और शासकीय मुद्रा ।]
[16. “अशोक चक्र" या “धर्म चक्र" नाम या अशोक चक्र का वह चित्र-प्रतिरूपण, जिसका प्रयोग भारतीय राष्ट्रध्वज में, या भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या ऐसी किसी सरकार के किसी विभाग की शासकीय मुद्रा या संप्रतीक में किया जाता है ।]
[17. संसद् या किसी राज्य के विधान-मण्डल या उच्चतम न्यायालय, या किसी राज्य के उच्च न्यायालय, या केन्द्रीय सचिवालय, या किसी राज्य सरकार के सचिवालय, या किसी अन्य सरकारी कार्यालय का नाम, या पूर्वोक्त संस्थाओं में से किसी के द्वारा अधिभोग में लाए जाने वाले भवन का चित्र-प्रतिरूपण ।]
[18. रामकृष्ण मठ और मिशन का नाम और संप्रतीक, जिसमें जल में तैरता हुआ हंस, अग्रभाग में कमल और पृष्ठभूमि में उदीयमान सूर्य होगा, ये सभी एक जंगली सर्प द्वारा घिरे हुए होंगे और निचले भाग में स्त्र्तन्नोहंसः प्रचोदयात्ऱ् शब्द अंकित होंगे ।]
[19. श्री शारदा मठ और रामकृष्ण शारदा मिशन का नाम और संप्रतीक, जिसमें जल में तैरता हुआ हंस (दाहिनी तरफ मुख किए हुए) अग्रभाग में कमल और पृष्ठभूमि में उदीयमान सूर्य होगा, वे सभी एक जंगली सर्प (दाहिनी तरफ मुख किए हुए) द्वारा घिरे हुए होंगे और निचले भाग में स्त्र्तन्नोहंसः प्रचोदयात्ऱ् शब्द अंकित होंगे ।]
[20. दि भारत स्काउट्स एण्ड गाइड्स का नाम उसके संप्रतीक सहित ।]
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