पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब की जेल में बंद गैंगस्टरों को 22 घंटे एकांतवास में रखने को अवैध बताते हुए कहा कि कैदी भी मानव होता है और उससे पशुओं जैसा व्यवहार सही नहीं है। हाईकोर्ट ने अब इन्हें अन्य कैदियों की तरह रखने तथा इनके बीच टकराव रोकने के लिए उचित प्रबंध करने का आदेश जारी किया है। साथ ही इन्हें दो घंटे के स्थान पर साढ़े चार घंटे सेल से बाहर रखने का प्रस्ताव भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

कुलप्रीत सिंह उर्फ नीटा देओल, बलजिंदर सिंह बिल्ला, राजिया, गुरप्रीत सिंह सेखों, चंदन, रमनदीप सिंह रम्मी और तजिंदर सिंह तेजा द्वारा याचिका दाखिल करते हुए जेल में अमानवीय व्यवहार होने की बात कही गई थी। याचिका में कहा गया कि गैंगस्टर का ठप्पा लगाकर याचिकाकर्ताओं को बठिंडा जेल में एकत्रित किया जा रहा है और उन्हें अनहोनी की आशंका है।

पुलिस उनके एनकाउंटर की साजिश रच रही है और उनकी जान को खतरा है। जबसे उन्हें बठिंडा जेल लाया गया है, उन्हें हर दिन 22 घंटे अंधेरे कमरे में बिना पानी, साफ हवा व अन्य मूल सुविधाओं के रखा जाता है। 
हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि गैंगस्टर होने के बावजूद कैदियों को जेल में 22 घटों तक एकांत में रखना सजा के भीतर सजा देने जैसा है। कैदी होने के साथ ही वह इंसान भी हैं। अदालतें कैदियों की स्वतंत्रता को सीमित करती हैं लेकिन अदालतों का यह भी कर्तव्य है कि वह कैदियों के मौलिक अधिकारों के संरक्षक के रूप में कार्य करें, जिसका एक कैदी भी हकदार है।

अमानवीय व्यवहार सजा के पुनर्वास पहलू को पूरी तरह से खारिज करता है, जो हर विकसित समाज में सजा के दर्शन का प्रमुख घटक है। हाईकोर्ट ने एकांतवास आदेश को खारिज करते हुए पंजाब सरकार को इस बारे में प्रस्ताव बना हाईकोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था।

आदेश के अनुरूप पंजाब के एडीजीपी प्रवीन कुमार सिन्हा ने 22 घंटे को घटाकर साढ़े 19 घंटे का एकांतवास देने का प्रस्ताव रखा था। हाईकोर्ट ने जवाब को रिकार्ड पर ले लिया लेकिन इस पर असंतोष जताया। हाईकोर्ट ने कहा कि जब एकांतवास के आदेश को अवैध करार दिया जा चुका है तो इसकी अवधि को घटाने की दलील को कैसे स्वीकार किया जा सकता है।

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