दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया है। इस याचिका में आंजनेय सिंह की अवैध पोस्टिंग और आगे के विस्तार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया हैं। आंजनेय सिंह वहीं अधिकारी हैं जिन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के खिलाफ मुकदमें दर्ज कराने में अहम भूमिका निभाई थी। 

इस मामले पर एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने 23 अप्रैल को याचिका खारिज करते हुए कहा, ये स्थापित कानून हैं कि जनहित याचिका सेवा मामले में सुनवाई योग्य नहीं है। ये केवल गैर-नियुक्त व्यक्ति ही सफल उम्मीदवार/अधिकारी की नियुक्ति की वैधता या विस्तार पर हमला कर सकते हैं।

हाईकोर्ट ने ख़ारिज की याचिका
हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान रिट याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। इसे खारिज किया जाता है। दरअसल आईएएस अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह के खिलाफ ये याचिका विजय कुमार ने लगाई थी। याचिकाकर्ता ने इस में केंद्र सरकार को आंजनेय कुमार सिंह के अभ्यावेदन पर विचार करने और समय बद्ध तरीक़े से निर्णय लेने  और विस्तार इस आधार पर अवैध है कि यह अखिल भारतीय सेवा नियम और भारतीय प्रशासनिक सेवा संवर्ग नियम के प्रावधानों के विपरीत है।

विजय ने कहा, आंजनेय सिंह की प्रतिनियुक्ति साल 2015 से यूपी में ही है और उनकी पोस्टिंग के साथ-साथ उनका एक्सटेंशन भी अखिल भारतीय सेवा नियम 6(2) (ii) और संबंधित कैडर के खंड 15 और 16 के खिलाफ हैं। उन्होंने उनकी अवैध पोस्टिंग के खिलाफ कार्रवाई की मांग थी, दिल्ली हाईकोर्ट ने विजय की इस याचिका को खारिज कर दिया। 

केस दर्ज करने में अहम भूमिका
आईएएस अधिकारी आंजनेय सिंह फरवरी 2019 से मार्च 2021 तक रामपुर के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) थे। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के खिलाफ मामले दर्ज करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने आज़म और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम पर करीब 66 एफआईआर दर्ज की थीं। 

साल 2019 लोकसभा चुनाव में भी वो रिटर्निंग ऑफिसर थे, इस दौरान उन्होंने आजम खान पर एक चुनाव सभा में हेट स्पीच मामले में केस भी दर्ज किया था, इस मामले में आज़म खान को जेल भी जाना पड़ा था।

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