इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज वर्तिका सिंह की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ मानहानि की शिकायत खारिज करने के सांसद/विधायक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए यदि वादी को कांग्रेस पार्टी अथवा 'गांधी परिवार' से जुड़ा हुआ कहा गया तो ये उनकी मानहानि नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति फैज आलम खान की पीठ ने वर्तिका सिंह की याचिका पर पारित किया। यह आदेश पांच मार्च को पारित किया गया और सोमवार को अपलोड हुआ। याची ने स्मृति ईरानी पर मानहानि का आरोप लगाते हुए, सुल्तानपुर की सांसद/विधायक अदालत में आपराधिक वाद दायर किया था जिसे निचली अदालत ने 21 अक्टूबर 2022 को खारिज कर दिया था।

याची ने निचली अदालत के उक्त आदेश को उच्‍च न्‍यायालय में चुनौती दी। सिंह का आरोप था कि जब पत्रकारों ने ईरानी से याचिकाकर्ता द्वारा उनके निजी सचिव के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा तो उन्होंने याचिककर्ता को कांग्रेस पार्टी का प्यादा और गांधी परिवार से सीधा संबंध रखने वाला बताया।

पीठ ने पत्रकारों के साथ स्मृति ईरानी की इस पूरी बातचीत को उद्धत करते हुए कहा कि उन्होंने प्रश्न का जवाब देने से पूर्व दूसरे मामलों पर बात की और इस दौरान याची का नाम भी नहीं लिया। उच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि जब याची के सम्बंध में पूछा गया तब ही उन्होंने कहा कि उनके कांग्रेस पार्टी से संबंध हैं और उनका आपराधिक इतिहास भी है।

पीठ ने पाया कि याची के विरुद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं। अदालत ने यह भी कहा कि स्मृति ईरानी के बयानों को यदि देखा जाए तो वह एक राजनीतिक दल की आलोचना कर रही थीं और याची की मानहानि करने का उनका कोई आशय नहीं था।

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