सेक्सटॉर्शन (Sextortion) के बढ़ते मामलों पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए दुष्कर्म की शिकायत देने के बाद आरोपों से मुकरने वालों के खिलाफ IPC की धारा 182 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के DGP को आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया है।

चरखी दादरी निवासी एएसआई सुनीता व एसआई राजबीर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। इस मामले में उन पर आरोप है कि दुष्कर्म के मामले में आरोपी से पीड़िता का 12 लाख में समझौता करवाया और पीड़िता को चार लाख रुपये देकर बाकी आपस में बांट लिए। इस मामले में इनके अलावा पीड़िता की वकील और एक हेड कांस्टेबल भी आरोपी हैं।

समझौते के आधार पर पीड़िता अपने बयान से मुकर गई थी और मेडिकल भी नहीं करवाया था। गुप्त सूचना के आधार पर चारों के खिलाफ जांच के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ लोग पैसों के लिए कानून का मजाक बनाने पर तुले हैं। यह मामला ऐसा है जहां पुलिस वाले जिन पर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है और वकील को कोर्ट के अधिकारी हैं, उन्होंने न केवल दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में समझौता होने दिया बल्कि उसमें हिस्सा भी लिया।

हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका का दायरा बढ़ा दिया और कहा कि लगातार ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं, जहां बाद में पीड़िता आरोपों से मुकर जाती है। ऐसे में एक ओर पीड़िता पर दबाव न बने और दूसरी ओर कोई बेकसूर सेक्सटॉर्शन का शिकार न हो इसके लिए कुछ दिशा निर्देश हाईकोर्ट ने जारी किए हैं और आदेश की प्रति हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के DGP को सौंपने का निर्देश दिया है।

  • दुष्कर्म के मामले में पीड़िता के मुकरने पर जांच अधिकारी एक रिपोर्ट एसपी को भेजेगा और एसपी मामले की जांच खुद करेंगे या किसी अन्य अधिकारी को सौंपेगे।
  • ऐसे मामलों में कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार करते हुए यह जांच की जाए कि कहीं कोई समझौता तो नहीं हुआ और क्या पैसे का लेन-देन तो नहीं हुआ
  • केस का फैसला होने पर तय समय के भीतर शिकायतकर्ता के खिलाफ IPC की धारा 182 के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी।
  • अगर कार्रवाई न करने का निर्णय लिया गया है तो इसके लिए एसपी लिखित में DGP को रिपोर्ट देंगे और अंतिम निर्णय DGP का होगा।
  • अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो इसके लिए दोषी अधिकारी की सर्विस बुक में इसकी एंट्री की जाएगी।

सुरक्षा के लिए बने कानूनों को बनाया हथियार
हाईकोर्ट ने कहा कि यह निराशाजनक है कि हमारे दंडात्मक कानून, जो यौन उत्पीड़न को रोकने के इरादे से बने थे उन्हें कुछ बुरे इरादे वाले लोगों द्वारा जनता से धन उगाही करने के लिए हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इसे जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे सिस्टम में अराजकता फैल जाएगी। यह यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराध का उपहास करना होगा।

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