तय नियमों के अनुसार सजा समीक्षा बोर्ड की बैठकें समय-समय पर न कराए जाने के खिलाफ एक बार फिर दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है और हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए यह मुद्दा वास्तविक है और यह कैदियों की आजादी के संबंध में भी है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रतिवादी को हलफनामा दायर करने का निर्देश जारी किया है।
दरअसल, वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की तरफ से यह अवमानना याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई, जिसमें तिहाड़ जेल के महानिदेशक और सजा समीक्षा बोर्ड के सदस्य सचिव IPS संजय बैनीवाल को प्रतिवादी बनाया गया है।
इसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा 21 अक्टूबर 2019 को पारित आदेशों के उल्लंघन/अवज्ञा करने के लिए उनकी ओर से जनहित में यह याचिका दायर की गई है। उनकी ओर से दोषी कैदियों को दी गई सजा की समीक्षा के लिए दिल्ली जेल नियम, 2018 के तहत समय-समय पर सजा समीक्षा बोर्ड की बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया, जिस पर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उपर्युक्त आदेश पारित किया था।
नियमों के तहत सजा समीक्षा बोर्ड को तिमाही में कम से कम एक बार बैठक करनी होती है और पूरे एजेंडा कागजात के साथ सदस्यों को कम से कम दस दिन पहले सूचित किया जाता है। हालांकि बोर्ड के अध्यक्ष चाहें तो आवश्यक समझे जाने पर अधिक बार बोर्ड की बैठक बुला सकते हैं।
अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि उनकी ओर से दिनांक 04-09-2023 को एक आरटीआई दायर की गई थी, जिसके माध्यम से याचिकाकर्ता ने आयोजित एसआरबी बैठकों की संख्या के बारे में जानकारी मांगी। उक्त आरटीआई के जवाब में, याचिकाकर्ता को दिनांक 25-08-2023 को जवाब मिला, जिसमें बताया गया कि पिछले पांच वर्षों की एसआरबी बैठकें प्रतिवादी (सदस्य सचिव) द्वारा जो बुलाई गईं वो नाकाफी हैं। 2019 में केवल एक बैठक बुलाई गई, जबकि 2020 में चार, 2021 में 3, 2022 में 2 तो साल 2023 में सजा समीक्षा बोर्ड की केवल एक बैठक ही बुलाई गई है।
याचिका में कहा गया है कि जनहित याचिका (पीआईएल) (PIL) W।P (C) No। 11223/2019 में पारित न्यायालय की डिवीजन बेंच द्वारा आदेश और निर्देशों का लगातार उल्लंघन करने के लिए प्रतिवादी/अवमाननाकर्ता को दंडित किया जाए।।
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए प्रतिवादी को हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर 2023 को तय की गई है।
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