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बीड़ी कर्मकार कल्याण निधि अधिनियम, 1976 ( Beedi Workers Welfare Fund Act, 1976 )


 

बीड़ी कर्मकार कल्याण निधि अधिनियम, 1976

(1976 का अधिनियम संख्यांक 62)

[10 अप्रैल, 1976]

बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों के कल्याण की अभिवृद्धि

 करने के उपायों के वित्तपोषण का

 उपबंध करने के लिए

अधिनियम

                भारत गणराज्य के सत्ताईसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :- 

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम बीड़ी कर्मकार कल्याण निधि अधिनियम, 1976  है ।

(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है ।

(3) यह किसी राज्य में उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और उस राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के लिए और इस अधिनियम के विभिन्न उपबन्धों के लिए विभिन्न तारीखें नियत की जा सकती हैं ।

2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) निधि" से धारा 3 के अधीन स्थापित बीड़ी कर्मकार कल्याण निधि अभिप्रेत है;

(ख) कोई व्यक्ति किसी स्थापन में लगा हुआ तब कहा जाता है जब वह उस स्थापन में कुशल, अकुशल, शारीरिक या लिपिकीय कोई काम करने के लिए सीधे या किसी अभिकरण के माध्यम से, चाहे मजदूरी पर या उसके बिना, लगा हुआ है और इसके अन्तर्गत- 

(i) कोई ऐसा व्यक्ति आता है जिसे किसी नियोजक या संविदाकार द्वारा कच्चा माल घर पर बीड़ी बनाने के लिए दिया जाता है, और 

(ii) कोई ऐसा व्यक्ति आता है जो किसी नियोजक या संविदाकार द्वारा नहीं लगाया हुआ है किन्तु नियोजक या संविदाकार की अनुज्ञा से या उसके करार के अधीन काम कर रहा है ; 

(ग) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है; 

(घ) उन शब्दों और पदों के, जो इस अधिनियम में प्रयुक्त हैं किन्तु परिभाषित नहीं हैं और बीड़ी तथा सिगार कर्मकार (नियोजन की शर्तें) अधिनियम, 1966 (1966 का 32) में परिभाषित हैं, जहां तब उनका संबंध बीड़ी स्थापनों में लगे हुए किसी व्यक्ति से है, वही अर्थ होंगे, जो उस अधिनियम में हैं । 

3. बीड़ी कर्मकार कल्याण निधि-बीड़ी कर्मकार कल्याण निधि के नाम से एक निधि स्थापित की जाएगी और उसमें निम्नलिखित जमा किए जाएंगे :-

(क) ऐसी रकम जिसका केन्द्रीय सरकार, संसद् द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त किए गए सम्यक् विनियोग के पश्चात्, बीड़ी कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1976 (1976 का 56) की धारा 4 के अधीन जमा किए गए उपकर के आगमों में से, इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा यथा अवधारित संग्रहण-खर्च को काटने के पश्चात्, उपबन्ध करे; 

(ख) इस अधिनियम के अधीन जमा की गई ऐसी रकम के, जो खण्ड (क) में निर्दिष्ट है, विनिधान से कोई आय और इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा प्राप्त कोई अन्य धनराशियां । 

4. निधि का उपयोजन-(1) निधि का उपयोजन, केन्द्रीय सरकार द्वारा उस व्यय को, जो ऐसे उपायों और सुविधाओं के संबंध में उपगत किया गया हो जो उस सरकार की राय में बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों के कल्याण की अभिवृद्धि करने के लिए आवश्यक या समीचीन हों, चुकाने के लिए और विशिष्टतया निम्नलिखित के लिए किया जाएगा- 

(क) ऐसे व्यक्तियों के फायदे के लिए उन उपायों का खर्च चुकाना जो निम्नलिखित के लिए उद्दिष्ट हों- 

(i) लोक स्वास्थ्य और स्वच्छता का सुधार, रोग का निवारण और चिकित्सीय सुविधाओं की व्यवस्था और सुधार

(ii) जल-प्रदाय और नहाने-धोने की सुविधाओं की व्यवस्था और सुधार; 

(iii) शैक्षिक सुविधाओं की व्यवस्था और सुधार; 

(iv) आवासन और आमोद-प्रामोद की सुविधाओं की व्यवस्था और सुधार जिसके अन्तर्गत जीवन स्तर, पोषण और सामाजिक दशाओं की बेहतरी भी है; 

 [(ivक) परिवार कल्याण की व्यवस्था जिसके अन्तर्गत परिवार नियोजन शिक्षा और सेवाएं भी हैं;] 

(v) ऐसे अन्य कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं की व्यवस्था और सुधार जो विहित की जाए;

(ख) बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों के कल्याण से संसक्त प्रयोजन के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुमोदित किसी स्कीम की सहायता के लिए किसी राज्य सरकार, स्थानीय प्राधिकारी या नियोजक को उधार या सहायकी का दिया जाना; 

(ग) किसी राज्य सरकार  [या स्थानीय प्राधिकारी को या किसी अभिकरण को जो विहित मानदंड को पूरा करता है (जिसे इसमें इसके पश्चात् अभिकरण कहा गया है) या नियोजक को] जो बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों के फायदे के लिए विहित स्तरमान के कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं की व्यवस्था, केन्द्रीय सरकार को समाधानप्रद रूप में करता है, वार्षिक सहायता अनुदान देना; किन्तु इस प्रकार कि किसी ऐसी राज्य सरकार, 1[स्थानीय प्राधिकारी, अभिकरण] या नियोजक को सहायता अनुदान के रूप में संदेय रकम, निम्नलिखित में से जो भी रकम कम हो, उससे अधिक नहीं होगी-

(i) कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं की व्यवस्था करने में व्यय की गई रकम जैसी वह केन्द्रीय सरकार द्वारा या उसके द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किसी व्यक्ति द्वारा अवधारित की जाए, या 

(ii) ऐसी रकम, जो विहित की जाए :

परन्तु यदि पूर्वोक्त रूप से अवधारित कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं पर व्यय की गई रकम इस निमित्त विहित रकम से कम है तो किन्हीं ऐसे कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं के संबंध में सहायता अनुदान संदेय नहीं होगा; 

(घ) क्रमशः धारा 5 और 6 के अधीन गठित सलाहकार समितियों और केन्द्रीय सलाहकार समिति के सदस्यों के भत्ते, यदि कोई हों, और धारा 8 के अधीन नियुक्त व्यक्तियों के वेतन और भत्ते, यदि कोई हों, चुकाना; 

(ङ) कोई अन्य व्यय जिसका निधि में से चुकाया जाना केन्द्रीय सरकार निदिष्ट करे । 

(2) केन्द्रीय सरकार को यह विनिश्चित करने की शक्ति होगी कि कोई विशिष्ट व्यय निधि में से विकलित किए जाने योग्य है या नहीं, और उसका विनिश्चय अंतिम होगा । 

5. सलाहकार समितियां-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रशासन से उद्भूत होने वाले उन मामलों पर, जो उसे उस सरकार द्वारा निर्देशित किए जाएं, जिनके अन्तर्गत निधि के उपयोजन से सम्बद्ध मामले भी आते हैं, केन्द्रीय सरकार को सलाह देने के लिए उतनी सलाहकार समितियां गठित कर सकेगी, जितनी वह ठीक समझे, किन्तु मुख्य बीड़ी उत्पादक राज्यों में से हर एक के लिए एक से अधिक सलाहकार समिति गठित नहीं की जाएगी  

(2) हर एक सलाहकार समिति में उतने व्यक्ति होंगे जितने केन्द्रीय सरकार द्वारा उसमें नियुक्त किए जाएं और सदस्य ऐसी रीति से चुने जाएंगे जो विहित की जाए :

परन्तु हर एक सलाहकार समिति में सरकार, नियोजकों और बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों की संख्या बराबर-बराबर होगी और ऐसी समिति में कम से कम एक महिता सदस्य होगी ।

(3) हर एक सलाहकार समिति का अध्यक्ष केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा । 

(4) केन्द्रीय सरकार, हर एक सलाहकार समिति के सब सदस्यों के नाम राजपत्र में प्रकाशित करेगी ।

6. केन्द्रीय सलाहकार-(1) केन्द्रीय सरकार, धारा 5 के अधीन गठित सलाहकार समितियों के काम को समन्वित करने के लिए, और इस अधिनियम के प्रशासन से उद्भूत होने वाले किसी मामले पर केन्द्रीय सरकार को सलाह देने के लिए एक केन्द्रीय सलाहकार समिति गठित कर सकेगी । 

(2) केन्द्रीय सलाहकार समिति में उतने व्यक्ति होंगे जितने केन्द्रीय सरकार द्वारा उसमें नियुक्त किए जाएं और सदस्य ऐसी रीति से चुने जाएंगे जो विहित की जाए :

परन्तु केन्द्रीय सलाहकार समिति में सरकार, नियोजकों और बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों की संख्या बराबर-बराबर होगी और ऐसी समिति में कम से कम एक महिला सदस्य होगी

(3) केन्द्रीय सलाहकार समिति का अध्यक्ष केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा ।

(4) केन्द्रीय सरकार, केन्द्रीय सलाहकार समिति के सब सदस्यों के नाम राजपत्र में प्रकाशित करेगी ।

7. सहयोजित करने की शक्ति-(1) कोई सलाहकार समिति या केन्द्रीय सलाहकार समिति, किसी भी समय और ऐसी अवधि के लिए, जैसी वह ठीक समझे, किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को सलाहकार समिति में सहयोजित कर सकेगी  

(2) उपधारा (1) के अधीन सहयोजित व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन किसी सदस्य की सभी शक्तियों और कृत्यों का प्रयोग करेगा किन्तु मत देने का हकदार नहीं होगा । 

(3) सलाहकार समिति या केन्द्रीय सलाहकार समिति यदि वह ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझे तो, किसी व्यक्ति को अपनी बैठक में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित कर सकती है और यदि ऐसा व्यक्ति किसी बैठक में उपस्थित होता है तो वह उसमें मत देने का हकदार नहीं होगा ।

8. कल्याण आयुक्तों, आदि की नियुक्ति और उनकी शक्तियां-(1) केन्द्रीय सरकार उतने कल्याण आयुक्त, कल्याण प्रशासक, निरीक्षक और ऐसे अन्य अधिकारी और कर्मचारिवृन्द नियुक्त कर सकेगी जितने वह इस अधिनियम और बीड़ी कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1976 (1976 का 56) के प्रयोजनों के लिए आवश्यक समझे

(2) केन्द्रीय सरकार, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, किसी कल्याण आयुक्त को उतने कर्मचारिवृन्द नियुक्त करने के लिए निदेश दे सकेगी जितने इस अधिनियम और बीड़ी कर्मकार कल्याण उपकर अधिनियम, 1976 (1976 का 56) के प्रयोजनों के लिए आवश्यक समझे जाएं ।

(3) इस धारा के अधीन नियुक्त किया गया हर व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थान्तर्गत लोक सेवक समझा जाएगा । 

(4) कोई कल्याण आयुक्त, कल्याण प्रशासक या निरीक्षक,-

() ऐसी सहायता के साथ, यदि कोई हो, जैसी वह ठीक समझे, किसी युक्तियुक्त समय पर ऐसे स्थान में प्रवेश कर सकेगा जहां वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के कार्यान्वयन के लिए प्रवेश करना आवश्यक समझे;

() ऐसे स्थान के अन्दर कोई ऐसी बात कर सकेगा जो उसके कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए आवश्यक हो; और 

(ग) ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा जो विहित की जाए ।

9. केन्द्रीय सरकार की छूट देने की शक्ति-यदि केन्द्रीय सरकार का समाधान हो जाता है कि बीड़ी स्थापनों में लगे हुए व्यक्तियों के कल्याण की अभिवृद्धि करने के क्रियाकलापों के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त उपबन्ध करने वाली कोई विधि किसी राज्य या उसके भाग में प्रवृत्त है तो वह, इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगी कि इस अधिनियम के सभी या कोई उपबन्ध ऐसे राज्य या उसके भाग को लागू नहीं होंगे या ऐसे अपवादों और उपान्तरों के अधीन रहते हुए लागू होंगे जो उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं ।

10. अधिनियम के अधीन वित्तपोषित क्रियाकलापों की वार्षिक रिपोर्ट-केन्द्रीय सरकार, हर एक वित्तीय वर्ष के अंत के पश्चात्, यथाशक्य शीघ्र, पूर्वतन वित्तीय वर्ष के दौरान इस अधिनियम के अधीन वित्तपोषित अपने क्रियाकलापों का विवरण देने वाली एक रिपोर्ट, एक लेखा-विवरण सहित, राजपत्र में प्रकाशित कराएगी । 

11. जानकारी मांगने की शक्ति-केन्द्रीय सरकार किसी राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी  [या अभिकरणट या नियोजक से यह अपेक्षा कर सकेगी कि वह, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए आंकड़ों की ऐसी जानकारी और अन्य जानकारी ऐसे प्ररूप में और ऐसी अवधि के भीतर दे जो विहित की जाए ।

12. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा और पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन रहते हुए, बना सकेगी ।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित के लिए उपबन्ध कर सकेंगे-

() वह रीति जिससे निधि का उपयोजन धारा 4 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट उपायों और सुविधाओं के लिए किया जा सकेगा

(ख) धारा 4 की उपधारा (1) के खण्ड (ख) के अधीन उधार या सहायकी के दिए जाने को शासित करने वाली शर्तें; 

(ग) धारा 4 की उपधारा (1) के खण्ड (ग) के अधीन सहायता अनुदान को शासित करने वाली शर्तें; 

() उन कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं का स्तरमान जिनकी धारा 4 की उपधारा (1) के खण्ड () के अधीन व्यवस्था की जानी है

() धारा 4 की उपधारा (1) के खण्ड () के उपखण्ड (ii) में और उस खण्ड के परन्तुक में विनिर्दिष्ट रकमों का अवधारण

(च) क्रमशः धारा 5 और धारा 6 के अधीन गठित सलाहकार समितियों और केन्द्रीय सलाहकार समिति की संरचना, वह रीति जिससे उनके सदस्य चुने जाएंगे, ऐसे सदस्यों की पदावधि, उनको संदेय भत्ते, यदि कोई हों, और वह रीति जिससे सलाहकार समितियां और केन्द्रीय सलाहकार समिति अपने कारबार का संचालन करेंगी; 

(छ) धारा 8 के अधीन नियुक्त सभी व्यक्तियों की भर्ती, सेवा की शर्तें और कर्तव्य; 

(ज) वह शक्ति जिसका किसी कल्याण आयुक्त, कल्याण प्रशासक या निरीक्षक द्वारा धारा 8 के अधीन प्रयोग किया जा सकता है; 

() केन्द्रीय सरकार को किसी राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकारी  [या अभिकरण] या नियोजक द्वारा आंकड़ों की ऐसी जानकारी और अन्य जानकारी का दिया जाना जिसके दिए जाने की धारा 11 के अधीन अपेक्षा की जाए  

() वह प्ररूप जिसमें और वह अवधि जिसके भीतर आकड़ों की जानकारी या अन्य जानकारी खण्ड () के अधीन दी जानी है;

1[(ञक) वह प्ररूप जिसमें बीड़ी स्थापन में लगे हुए किसी व्यक्ति को नियोजक द्वारा पहचान पत्र दिया जाना है;] 

 [(3) उपधारा (2) के अधीन कोई नियम बनाने में, केन्द्रीय सरकार यह निदेश दे सकेगी कि-

() उसके खंड () या खंड () के अधीन बनाए गए किसी नियम का भंग जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा;

() उसके खंड (ञक) के अधीन बनाए गए किसी नियम का भंग जुर्माने से, जो दो हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा ]

(4) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

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