उच्चतम न्यायालय (दाण्डिक अपीली अधिकारिता विस्तारण) अधिनियम, 1970
(1970 का अधिनियम संख्यांक 28)
[9 अगस्त, 1970]
दाण्डिक मामलों में उच्चतम न्यायालय
की अपीली अधिकारिता का
विस्तारण करने के लिए
अधिनियम
भारत गणराज्य के इक्कीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :श्न्
1. संक्षिप्त नाम और विस्तार-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम उच्चतम न्यायालय (दाण्डिक अपीली अधिकारिता विस्तारण) अधिनियम, 1970 है ।
(2) इसका विस्तार । । । सम्पूर्ण भारत पर है ।
2. दाण्डिक मामलों में उच्चतम न्यायालय की विस्तारित अपीली अधिकारिता-संविधान के अनुच्छेद 134 के खण्ड (1) द्वारा उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त शक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भारत राज्यक्षेत्र के किसी उच्च न्यायालय की किसी दाण्डिक कार्यवाही में दिए हुए निर्णय, अंतिम आदेश या दण्डादेश की उच्चतम न्यायालय में अपील होगी यदिश्न्
(क) उस उच्च न्यायालय ने अपील में किसी अभियुक्त व्यक्ति की दोषमुक्ति के आदेश को उलट दिया है तथा उसे आजीवन कारावास या दस वर्ष अथवा उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास का दण्डादेश दिया है;
(ख) उस उच्च न्यायालय ने अपने प्राधिकार के अधीनस्थ किसी न्यायालय से किसी मामले को विचारण के लिए अपने पास मांग लिया है और ऐसे विचारण में अभियुक्त व्यक्ति को सिद्धदोष ठहराया है और आजीवन कारावास या दस वर्ष अथवा उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास का दण्डादेश दिया है ।
_____