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बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 ( Child and Adolescent Labour (Prohibition and Regulation) Act, 1986 )


 

बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986

(1986 का अधिनियम संख्यांक 61)

[23 दिसम्बर, 1986]

कुछ नियोजनों में बालकों के लगाए जाने का प्रतिषेध करने

और कुछ अन्य नियोजनों में बालकों के काम की

परिस्थितियों का विनियमन

करने के लिए

अधिनियम

                भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-

भाग 1

प्रारंभिक

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 है ।

                (2) इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है ।

                (3) इस अधिनियम के भाग 3 के उपबंधों से भिन्न उपबंध तुरन्त प्रवृत्त होंगे और भाग 3 उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और भिन्न-भिन्न राज्यों के लिए और स्थापनों के भिन्न-भिन्न वर्गों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी ।

2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

                (i) समुचित सरकार" से केन्द्रीय सरकार के नियंत्रण के अधीन स्थापन या रेल प्रशासन या महापत्तन या किसी खान या तेल क्षेत्र के संबंध में केन्द्रीय सरकार और सभी अन्य मामलों में, राज्य सरकार अभिप्रेत है ;

(ii) बालक" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अपनी आयु का चौदहवां वर्ष पूरा नहीं किया है ;

(iii) दिन" से अर्ध-रात्रि से आरंभ होने वाली चौबीस घंटे की कालावधि अभिप्रेत है ;

(iv) स्थापन" के अन्तर्गत दुकान, वाणिज्यिक स्थापन, कर्मशाला, फार्म, आवासीय होटल, उपाहारगृह, भोजन-गृह, नाट्यगृह या सार्वजनिक आमोद या मनोरंजन का अन्य स्थान है ;

(v) अधिष्ठाता के संबंध में कुटुम्ब" से अभिप्रेत है कोई व्यष्टि, ऐसे व्यष्टि का पति या पत्नी और उनकी संतान और ऐसे व्यष्टि का भाई या बहन ;

(vi) किसी स्थापन या कर्मशाला के संबंध में अधिष्ठाता" से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे स्थापन या कर्मशाला के कामकाज पर अंतिम नियंत्रण प्राप्त है ;

(vii) पत्तन प्राधिकारी" से पत्तन का प्रशासन करने वाला कोई प्राधिकारी अभिप्रेत है ;

(viii) विहित" से धारा 18 के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;

(ix) सप्ताह" से शनिवार की रात्रि को या ऐसी अन्य रात्रि को, जो निरीक्षक द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिए लिखकर अनुमोदित की जाए, अर्ध-रात्रि से प्रारंभ होने वाली सात दिन की कालावधि अभिप्रेत है ;

(x) कर्मशाला" से अभिप्रेत है कोई ऐसा परिसर, (जिसके अन्तर्गत उसकी प्रसीमाएं भी हैं) जिसमें कोई औद्योगिक प्रक्रिया की जाती है किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसा कोई परिसर नहीं है जिसको कारखाना अधिनियम, 1948 (1948 का 63) की धारा 67 के उपबंध तत्समय लागू होते हैं ।

भाग 2

कुछ उपजीविकाओं और प्रक्रियाओं में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध

3. कुछ उपजीविकाओं और प्रक्रियाओं में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध-अनुसूची के भाग क में उपवर्णित किसी उपजीविका में या किसी ऐसी कर्मशाला में जिसमें अनुसूची के भाग ख में उपवर्णित कोई प्रक्रिया की जाती है, कोई बालक नियोजित या काम करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जाएगा :

परन्तु इस धारा की कोई बात किसी ऐसी कर्मशाला को, जिसमें कोई प्रक्रिया अधिष्ठाता द्वारा अपने कुटुम्ब की सहायता से की जाती है या सरकार द्वारा स्थापित या उससे सहायता या मान्यताप्राप्त करने वाले किसी विद्यालय को लागू नहीं होगी ।

4. अनुसूची का संशोधन करने की शक्ति-केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसा करने के अपने आशय की कम से कम तीन मास की सूचना देने के पश्चात् वैसी ही अधिसूचना द्वारा, अनुसूची में किसी उपजीविका या प्रक्रिया को जोड़ सकेगी और तब अनुसूची तद्नुसार संशोधित की गई समझी जाएगी ।

5. बालक श्रम तकनीकी सलाहकार समिति-(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक सलाहकार समिति का गठन कर सकेगी जिसे बालक श्रम तकनीकी सलाहकार समिति कहा जाएगा (जिसे इस धारा में इसके पश्चात् समिति कहा गया है) और जो केन्द्रीय सरकार को अनुसूची में उपजीविकाओं और प्रक्रियाओं को जोड़ने के प्रयोजन के लिए सलाह देने के लिए होगी ।

(2) समिति एक अध्यक्ष और दस से अनधिक उतने सदस्यों से मिलकर बनेगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएं ।

(3) समिति की बैठकें उतनी बार होंगी जितनी बार वह आवश्यक समझे और उसे अपनी प्रक्रिया को विनियमित करने की शक्ति होगी ।

(4) समिति, यदि वह ऐसा करना आवश्यक समझे तो एक या अधिक उपसमितियां गठित कर सकेगी और किसी ऐसी उपसमिति में, साधारणतया या किसी विशेष मामले के विचारण के लिए ऐसे किसी व्यक्ति को, जो समिति का सदस्य नहीं है, नियुक्त कर सेकगी ।

(5) समिति के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की पदावधि, उनके पदों में आकस्मिक रिक्तियां भरने की रीति, और उनको संदेय भत्ते, यदि कोई हों, और वे शर्तें और निर्बंधन, जिनके अधीन रहते हुए, समिति ऐसे व्यक्ति को, जो उस समिति का सदस्य नहीं है, अपनी किसी उपसमिति का सदस्य नियुक्त कर सकेगी, वे होंगे जो विहित किए जाएं ।

भाग 3

बालकों के काम की परिस्थितियों का विनियमन

6. भाग का लागू होना-इस भाग के उपबन्ध ऐसे स्थापन या स्थापनों के वर्ग को लागू होंगे जिसमें धारा 3 में निर्दिष्ट उपजीविकाओं या प्रक्रियाओं में से कोई नहीं की जाती है ।

7. काम के घंटे और कालावधि-(1) किसी बालक से किसी स्थापन में उतने घंटों से अधिक काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी, जो ऐसे स्थापन या स्थापनों के वर्ग के लिए विहित किए जाएं ।

(2) प्रत्येक दिन काम की कालावधि इस प्रकार नियत की जाएगी कि कोई कालावधि तीन घंटे से अधिक की नहीं होगी और कोई बालक कम से कम एक घंटे का विश्राम अन्तराल ले चुकने से पूर्व तीन घंटे से अधिक काम नहीं करेगा ।

(3) किसी बालक के काम की कालावधि की व्यवस्था इस प्रकार की जाएगी कि वह उपधारा (2) के अधीन उसके विश्राम के अन्तराल सहित छह घंटों से अधिक की नहीं होगी, जिसके अन्तर्गत किसी दिन काम के लिए प्रतीक्षा में बिताया गया समय भी है ।

(4) किसी बालक से 7 बजे सायं और 8 बजे प्रातः के बीच काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।

(5) किसी बालक से अतिकाल में काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।

(6) किसी बालक से किसी स्थापन में ऐसे दिन काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी, जिस दिन वह पहले से ही किसी अन्य स्थापन में काम कर रहा हो ।

8. साप्ताहिक अवकाश दिन-किसी स्थापन में नियोजित प्रत्येक बालक को प्रत्येक सप्ताह में एक संपूर्ण दिन का अवकाश मनाने की अनुज्ञा होगी, वह दिन स्थापन में किसी सहजदृश्य स्थान पर स्थायी रूप से प्रदर्शित सूचना में अधिष्ठाता द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाएगा और इस प्रकार विनिर्दिष्ट किए गए दिन में उस अधिष्ठाता द्वारा तीन मास में एक बार से अधिक परिवर्तन नहीं किया जाएगा ।

9. निरीक्षक को सूचना-(1) ऐसे स्थापन के संबंध में जिसमें कोई बालक ऐसे स्थापन के संबंध में इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख के ठीक पहले काम करने के लिए नियोजित था या काम करने के लिए अनुज्ञात किया गया था, प्रत्येक अधिष्ठाता ऐसे प्रारम्भ के तीस दिन की कालावधि के भीतर उस निरीक्षक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थापन अवस्थित है, निम्नलिखित अन्तर्विष्ट करते हुए, लिखित सूचना भेजेगा, अर्थात् :-

                (क) स्थापन का नाम और अवस्थिति ;

                (ख) स्थापन का वास्तव में प्रबन्ध करने वाले व्यक्ति का नाम ;

                (ग) वह पता जिस पर स्थापन से संबंधित संसूचनाएं भेजी जानी चाहिएं, और

                (घ) उपजीविका की प्रकृति या स्थापन में की जाने वाली प्रक्रिया ।

(2) किसी स्थापन के संबंध में, ऐसा प्रत्येक अधिष्ठाता जो ऐसे स्थापन के संबंध में इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख के पश्चात् किसी बालक को काम करने के लिए नियोजित या अनुज्ञात करता है ऐसे नियोजन की तारीख से तीस दिन की कालावधि के भीतर उस निरीक्षक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं के भीतर स्थापन अवस्थित है, उपधारा (1) में वर्णित विशिष्टियां अन्तर्विष्ट करते हुए लिखित सूचना भेजेगा ।

स्पष्टीकरण-उपधारा (1) और उपधारा (2) के प्रयोजनों के लिए किसी स्थापन के संबंध में इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख" से ऐसे स्थापन के संबंध में इस अधिनियम को प्रवृत्त करने की तारीख अभिप्रेत है ।

(3) धारा 7 और धारा 8 और धारा 9 की कोई बात, किसी ऐसे स्थापन को जिसमें अधिष्ठाता द्वारा कोई प्रक्रिया अपने कुटुम्ब की सहायता से की जाती है या सरकार द्वारा स्थापित या उससे सहायता या मान्यताप्राप्त करने वाले किसी विद्यालय को लागू नहीं होगी ।

10. आयु के बारे में विवाद-यदि किसी ऐसे बालक की, जो अधिष्ठाता द्वारा किसी स्थापन में काम करने के लिए नियोजित या अनुज्ञात किया जाता है, आयु के बारे में निरीक्षक और अधिष्ठाता के बीच कोई प्रश्न उत्पन्न होता है, तो वह प्रश्न, विहित चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा ऐसे बालक की आयु के बारे में दिए गए प्रमाणपत्र के अभाव में, निरीक्षक द्वारा विहित चिकित्सा प्राधिकारी को विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा ।

11. रजिस्टर का रखा जाना-प्रत्येक अधिष्ठाता द्वारा किसी स्थापन में काम करने के लिए नियोजित या अनुज्ञात बालकों के संबंध में एक रजिस्टर रखा जाएगा जो काम के घंटों के दौरान सब समयों पर या जब किसी ऐसे स्थापन में काम हो रहा हो, तब सभी समयों पर निरीक्षक द्वारा निरीक्षण के लिए उपलभ्य होगा, जिसमें निम्नलिखित दर्शित होंगे :-

                (क) काम के लिए इस प्रकार नियोजित या अनुज्ञात किए गए प्रत्येक बालक का नाम और उसके जन्म की तारीख ;

                (ख) किसी ऐसे बालक के काम के घंटे और कालावधियां तथा विश्राम के वे अन्तराल जिनका वह हकदार है ;

                (ग) किसी ऐसे बालक के काम की प्रकृति ; और

                (घ) ऐसी अन्य विशिष्टियां जो विहित की जाएं ।

12. धारा 3 और धारा 14 की संक्षिप्ति को अंतर्विष्ट करने वाली सूचना का संप्रदर्शन-प्रत्येक रेल प्रशासन, प्रत्येक पत्तन प्राधिकारी और प्रत्येक अधिष्ठाता, यथास्थिति, अपनी रेल के प्रत्येक स्टेशन पर या किसी पत्तन की सीमाओं के भीतर या काम के स्थल पर किसी सहजदृश्य और सुगम स्थान पर स्थानीय भाषा में और अंग्रेजी भाषा में, इस अधिनियम की धारा 3 और धारा 14 की संक्षिप्ति अन्तर्विष्ट करने वाली सूचना संप्रदर्शित करवाएगा ।

13. स्वास्थ्य और सुरक्षा-(1) समुचित सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, किसी स्थापन या किसी वर्ग के स्थापनों में काम करने के लिए नियोजित या अनुज्ञात बालकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए नियम बना सकेगी ।

(2) पूर्वगामी उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, उक्त नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों का उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात् :-

                (क) काम के स्थल पर सफाई और उसकी न्यूसेंस से मुक्ति ;

                (ख) अपशिष्ट और बहिःस्राव का व्ययन ;

                (ग) संवातन और तापमान ;

                (घ) धूल और धूम ;

                (ङ) कृत्रिम नमीकरण ;

                (च) प्रकाश ;

                (छ) पीने का पानी ;

                (ज) शौचालय और मूत्रालय ;

                (झ) थूकदान ;

                (ञ) मशीनरी पर बाड़ लगाना ;

                (ट) मशीनरी के गतिमान होने पर उस पर या उसके निकट काम ;

                (ठ) खतरनाक मशीनों पर बालकों का नियोजन ;

                (ड) खतरनाक मशीनों पर बालकों के नियोजन के संबंध में अनुदेश, प्रशिक्षण और पर्यवेक्षण ;

                (ढ) बिजली काटने के लिए युक्तियां ;

                (ण) स्वक्रीय मशीनें ;

                (त) नई मशीनरी का सुकरण ;

                (थ) फर्श, सीढ़ियां और पहुंचने के साधन ;

                (द) गर्त, चौबच्चे, फर्शों में विवर, आदि ;

                (ध) अत्यधिक वजन ;

                (न) आंखों का संरक्षण ;

                (प) विस्फोटक या ज्वलनशील धूल, गैस, आदि ;

                (फ) आग लगने की दशा में पूर्वावधानियां ;

                (ब) भवनों का अनुरक्षण, और

                (भ) भवनों और मशीनरी की सुरक्षा ।

भाग 4

प्रकीर्ण

14. शास्तियां-(1) जो कोई किसी बालक को धारा 3 के उपबंधों के उल्लंघन में नियोजित करेगा या काम करने के लिए अनुज्ञात करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास से कम की नहीं होगी, किन्तु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए से कम का नहीं होगा, किन्तु जो बीस हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा ।

(2) जो कोई धारा 3 के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया जाएगा और तत्पश्चात् वैसा ही अपराध करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी, किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा ।

(3) जो कोई-

                (क) धारा 9 द्वारा अपेक्षित सूचना देने में असफल रहेगा ; या

                (ख) धारा 11 की अपेक्षानुसार रजिस्टर रखने में असफल रहेगा या किसी ऐसे रजिस्टर में मिथ्या प्रविष्टि       करेगा ; या

                (ग) धारा 12 की अपेक्षानुसार धारा 3 और इस धारा की संक्षिप्ति को अन्तर्विष्ट करने वाली सूचना संप्रदर्शित करने में असफल रहेगा ; या

                (घ) इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं अन्य उपबंधों का अनुपालन करने में असफल रहेगा या उनका उल्लंघन करेगा,

वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, अथवा दोनों से, दंडनीय होगा ।

15. शास्तियों के संबंध में कुछ विधियों का उपांतरित रूप में लागू होना-(1) जहां कोई व्यक्ति उपधारा (2) के अधीन उल्लिखित उपबंधों में से किसी के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है और सिद्धदोष ठहराया जाता है वहां वह इस अधिनियम की धारा 14 की उपधारा (1) और उपधारा (2) में उपबंधित रूप में, न कि उन अधिनियमों के अधीन, जिनमें वे उपबंध अन्तर्विष्ट हैं, शास्तियों का दायी होगा ।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट उपबंध निम्नलिखित हैं :-

                (क) कारखाना अधिनियम, 1948 (1948 का 63) की धारा 67 ;

                (ख) खान अधिनियम, 1952 (1952 का 35) की धारा 40 ;

                (ग) वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 (1958 का 44) की धारा 109 ; और

                (घ) मोटर परिवहन कर्मकार अधिनियम, 1961 (1961 का 27) की धारा 21 ।

16. अपराधों से संबंधित प्रक्रिया-(1) कोई व्यक्ति, पुलिस अधिकारी या निरीक्षक इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के किए जाने का परिवाद सक्षम अधिकारिता वाले किसी न्यायालय में कर सकेगा ।

(2) किसी बालक की आयु के बारे में प्रत्येक प्रमाणपत्र, जो विहित चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा दिया गया है, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए, उस बालक की, जिससे वह संबंधित है, आयु के बारे में निश्चायक साक्ष्य होगा ।

(3) महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट के न्यायालय से अवर कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का विचारण नहीं करेगा ।

17. निरीक्षक की नियुक्ति-समुचित सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयोजनों के लिए निरीक्षक नियुक्त कर सकेगी और इस प्रकार नियुक्त किया गया कोई निरीक्षक भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) के अर्थ में लोक सेवक समझा जाएगा ।

18. नियम बनाने की शक्ति-(1) समुचित सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, और पूर्व प्रकाशन की शर्तों के अधीन रहते हुए नियम बना सकेगी ।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों का उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात् :-

                (क) बालक श्रम तकनीकी सलाहकार समिति के अध्यक्ष और सदस्यों की पदावधि, उनकी आकस्मिक रिक्तियों को भरने की रीति और उनको संदेय भत्ते तथा वे शर्तें और निर्बन्धन, जिनके अधीन रहते हुए, कोई ऐसा व्यक्ति जो सदस्य नहीं है, धारा 5 की उपधारा (5) के अधीन किसी उपसमिति में नियुक्त किया जा सकेगा ;

                (ख) उन घंटों की संख्या, जिनके लिए किसी बालक को धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन काम करने के लिए अपेक्षित या अनुज्ञात किया जा सकेगा ;

                (ग) नियोजन में या नियोजन चाहने वाले अल्पवय व्यक्तियों के संबंध में आयु के प्रमाणपत्र का दिया जाना, चिकित्सा प्राधिकारी, जो ऐसा प्रमाणपत्र दे सकेंगे, ऐसे प्रमाणपत्र का प्ररूप, वे प्रभार जो उसके अधीन दिए जा सकेंगे और वह रीति जिससे ऐसा प्रमाणपत्र दिया जा सकेगा :

                परन्तु यदि आवेदन के साथ आयु का ऐसा साक्ष्य है जो संबंधित प्राधिकारी द्वारा समाधानप्रद समझा जाता है तो ऐसा प्रमाणपत्र दिए जाने के लिए कोई प्रभार नहीं लिया जाएगा ;

                (घ) अन्य विशिष्टियां, जो धारा 11 के अधीन रखे गए रजिस्टर में होगी चाहिएं ।

19. नियमों और अधिसूचनाओं का संसद् या राज्य विधान-मंडल के समक्ष रखा जाना-(1) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम और धारा 4 के अधीन निकाली गई प्रत्येक अधिसूचना बनाए या निकाले जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखी जाएगी । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या अधिसूचना में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाए तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगी । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए या वह अधिसूचना नहीं निकाली जानी चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगी । किन्तु नियम या अधिसूचना के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

(2) इस अधिनियम के अधीन किसी राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, उस राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा ।

20. विधि के कुछ अन्य उपबंधों का वर्जित होना-धारा 15 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंध कारखाना अधिनियम, 1948 (1948 का 63), बागान श्रम अधिनियम, 1951 (1951 का 69) और खान अधिनियम, 1952 (1952 का 35) के उपबंधों के अतिरिक्त होंगे, न कि उनके अल्पीकरण में ।

21. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति-(1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत नहीं है और जो उसे उस कठिनाई को दूर करने के लिए आवश्यक या समीचीन प्रतीत होते हैं :

परन्तु कोई ऐसा आदेश उस तारीख से, जिसको इस अधिनियम को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त होती है, तीन वर्ष की कालावधि की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा ।

(2) इस धारा के अधीन निकाला गया प्रत्येक आदेश, निकाले जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा ।

22. निरसन और व्यावृत्ति-(1) बालक नियोजन अधिनियम, 1938 (1938 का 26) इसके द्वारा निरसित किया जाता है ।

(2) ऐसे निरसन के होते हुए भी यह है कि इस प्रकार निरसित अधिनियम के अधीन की गई या की जाने के लिए तात्पर्यित कोई बात या कार्रवाई, जहां तक वह इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत नहीं है, इस अधिनियम के तत्स्थानी उपबंधों के अधीन की गई समझी जाएगी ।

 

 ।                             ।                              ।                              ।                              ।                              ।                              ।

अनुसूची

(धारा 3 देखिए)

भाग क-उपजीविकाएं

                निम्नलिखित से संबंधित कोई उपजीविका-

                                (1) यात्री, माल या डाक का रेल द्वारा परिवहन,

                                (2) रेल परिसरों में सिंडर चुनना, भस्म गर्त को साफ करना या भवन संक्रियाएं,

                (3) किसी रेल स्टेशन पर खानपान स्थापन में कार्य, जिसके अन्तर्गत एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर या किसी गतिमान गाड़ी में या उसके बाहर स्थापन के विक्रेता या किसी अन्य कर्मचारी का गमनागमन है ।

(4) रेल स्टेशन के सन्निर्माण से या किसी ऐसे अन्य कार्य से, जहां ऐसा कार्य रेल लाइनों के निकट या उनके बीच में किया जाता है, संबंधित कार्य ।

                                (5) किसी पत्तन की सीमाओं के भीतर कोई पत्तन प्राधिकारी ।

                                 [(6) अस्थायी लाइसेंस वाली दुकानों में पटाखे और आतिशबाजी का दिखावा करने से संबंधित कार्य ।]

                                 [(7) वधशालाएं/बूचड़खाने ।]

                                 [(8) मोटरगाड़ी वर्कशाप और गैरेज ।

                                (9) ढलाई कारखाना ।

                                (10) विषैले या ज्वलनशील पदार्थों या विस्फोटकों की उठाई-धराई ।

                                (11) हथकरघा और विद्युत चालित करघा उद्योग ।

                                (12) खानें (भूमिगत और अन्तर्जलीय) और कोलियरी ।

                                (13) प्लास्टिक इकाईयां और फाइबर ग्लास कार्यशालाएं ।]

                                 [(14) घरेलू श्रमिकों अथवा नौकरों के रूप में बच्चों का नियोजन ।

                (15) ढाबों (सड़क के किनारे खान-पान के ठिकानों), रेस्तरां, होटलों, मोटलों, स्पा या अन्य मनोरंजन केन्द्रों में बच्चों का नियोजन ।]

भाग ख-प्रक्रियाएं

                (1) बीड़ी बनाना ।

                5[(2) कालीन बुनना जिसके अंतर्गत उसकी प्रारंभिक और आनुषंगिक प्रक्रिया भी है ।]

                (3) सीमेंट बनाना, जिसके अंतर्गत सीमेंट को बोरियों में भरना है ।

                5[(4) कपड़ा छपाई, रंजन और न्यूतन जिसके अंतर्गत उसकी प्रारंभिक और आनुषंगिक प्रक्रिया भी है ।]

                (5) दियासलाई, विस्फोटक और आतिशबाजी का विनिर्माण ।

                (6) अभ्रक काटना और विपाटन ।

                (7) चमड़ा विनिर्माण ।

                (8) साबुन विनिर्माण ।

                (9) चर्मशोधन ।

                (10) ऊन की सफाई ।

                 [(11) भवन और सन्निर्माण उद्योग जिसके अंतर्गत ग्रेनाइट (मकराना) पत्थरों का प्रसंस्करण और उनकी पालिश करना भी है ।]

                 [(12) स्लेट पेन्सिलों का (जिसके अंतर्गत पैक करना भी है) विनिर्माण ।

                (13) सुलेमानी पत्थर से उत्पादों का विनिर्माण ।

                (14) विषाक्त धातुओं और पदार्थों जैसे कि सीसा, पारा, मैंगनीज, कैडमियम, बैन्जीन, नाशकजीवमार और एस्बेस्टस का उपभोग करने वाली विनिर्माण प्रक्रियाएं ।]

                 [(15) कारखाना अधिनियम, 1948 (1948 का 63) की धारा 2 (गख), यथा परिभाषित जोखिमकारी संक्रियाएं" तथ धारा 67 के अन्तर्गत गए नियमों में यथा अधिसूचित खतरनाक संक्रियाएं" ।

                (16) कारखाना अधिनियम, 1948 (1948 का 63) की धारा 2(ट) में यथा परिभाषित मुद्रण ।

                (17) काजू तथा काजूगिरी छिलाई और प्रसंस्करण ।

                (18) इलेक्ट्रानिक उद्योगों में टांका लगाने संबंधी संक्रियाएं ।]

                 [(19) अगरबत्ती" विनिर्माण ।

                (20) आटोमोबाइल मरम्मत और अनुरक्षण जिसके अन्तर्गत उसकी अनुषंगी प्रक्रियाएं भी हैं जैसे बेल्ड़िग, लेथ संकर्म, डेन्ट बीटिंग और पेंटिंग शामिल है ।

                (21) ईंट भट्टे और खपरैल इकाईयां ।

                (22) सूत कताई और प्रसंस्करण हौजरी माल का उत्पादन ।

                (23) अपम जर्क का विनिर्माण ।

                (24) गढाई वर्कशाप (लौह और अलौह) ।

                (25) रत्न तराशना और पॉलिश करना ।

                (26) क्रोमाइट और मैंगनीज अयस्क की उठाई-धराई ।

                (27) जूट कपड़ा विनिर्माण और कयर बनाना ।

                (28) चना भट्टा और चूने का विनिर्माण ।

                (29) ताले बनाना ।

                (30) विनिर्माण प्रक्रियाएं, जिनमें सीसा का उद्भासन होता है जैसे सीसा लेपित धातु निर्मितियों का प्राथमिक और गौण प्रगलन, बैल्डिंग और कटाई करना, गल्वनीकृत या जिंक सिलिकेट पोलीविनाइल क्लोराइड की बेल्डिंग करना, क्रिस्टल ग्लास मास का मिश्रण (हाथ से) करना, सीसा पेंट की बालू हटाना या खुरचना, तामचीनी वर्कशापों में सीसे का दाहन, खान से सीसा निकालना, नलसाजी, केबल बनाना, तार बिछाना, सीसा ढलाई मुद्रणालयों में अक्षर की ढलाई भंडार टाइप की मंच-सज्जा, कारों का समंजन, छर्रे बनाना, सीसा कांच फुलाना ।

                (31) सीमेंट, पाइपों, सीमेंट उत्पादों का विनिर्माण और अन्य संबंधित कार्य ।

                (32) कांच, कांच के सामान का विनिर्माण जिसके अन्तर्गत चूड़ियां, फ्लोरेसेन्ट ट्यूबों, बल्बों और अन्य समान कांच के उत्पादों का विनिर्माण भी है ।

                (33) रंजक और रंजक द्रव्यों का विनिर्माण ।

                (34) जीवनाशक और कीटनाशी की विनिर्माण या उनकी उठाई-धराई ।

                (35) संक्षारक और विषैले पदार्थों के विनिर्माण/प्रसंस्करण, इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में धातु साफ करने, फोटो उत्कीर्णन, तथा टांका लगाने की प्रक्रियाएं ।

                (36) जलाऊ कोयला और कोयला इष्टिकाओं का विनिर्माण ।

                (37) खेलकूद के ऐसे माल की विनिर्माण जिसमें सिंथेटिक सामग्री, रसायन और चमड़े का उद्भासन अन्तर्वलित है ।

                (38) फाइबर ग्लास और प्लास्टिक की मोल्डिंग और प्रसंस्करण ।

                (39) तेल पिराई और परिष्करण ।

                (40) कागज बनाना ।

                (41) पौटरी और चीनी मिट्टी उद्योग ।

                (42) सभी प्रकार के पीतल के माल का विनिर्माण, पॉलिश, ढलाई, कटाई और वेल्डिंग करना ।

                (43) कृषि प्रक्रियाएं, जहां फसल की गहराई और कटाई में ट्रैक्टरों और मशीनों का उपयोग किया जाता है और भूसी कटाई ।

                (44) आरा मिल-सभी प्रक्रियाएं ।

                (45) रेशम संसाधन ।

                (46) चमड़ा और उसके उत्पाद बनाने के लिए स्किनिंग, डाईंग और प्रक्रियाएं ।

                (47) पत्थर तोड़ना और पत्थर कूटना ।

                (48) तम्बाकू प्रसंस्करण जिसके अन्तर्गत तम्बाकू लेई का विनिर्माण भी है, किसी भी रूप में तम्बाकू की उठाई-धराई ।

                (49) टायर बनाना, मरम्मत करना, ग्रेफाइट सज्जीकरण ।

                (50) बर्तनों को बनाना और पॉलिश करना, धातु चिक्कणन ।

                (51) जरी बनाना (सभी प्रक्रियाएं) ।]

                 [(52) इलैक्ट्रोप्लेटिंग ।

                (53) ग्रेफाइट का चूर्ण करना और उससे आनुषंगिक प्रक्रिया ।

                (54) धातुओं की घिसाई या उन पर कांच चढ़ाना ।

                (55) हीरों की कटाई और पालिश ।

                (56) खानों से स्लेट का निस्तारण ।

                (57) चिरकुट उठाना और अवशोधन ।]

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