Saturday, 11, May, 2024
 
 
 
Expand O P Jindal Global University
 

अभियुक्त के पागल होने की दशा में प्रक्रिया, CrPC, Section 328 ( CrPC Section 328. Procedure in case of accused being lunatic )


 

अभियुक्त के पागल होने की दशा में प्रक्रिया-(1) जब जांच करने वाले मजिस्ट्रेट को यह विश्वास करने का कारण है कि वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध जांच की जा रही है विकृतचित्त है और परिणामतः अपनी प्रतिरक्षा करने में असमर्थ है तब मजिस्ट्रेट ऐसी चित्त-विकृति के तथ्य की जांच करेगा और ऐसे व्यक्ति की परीक्षा उस जिले के सिविल सर्जन या अन्य ऐसे चिकित्सक अधिकारी द्वारा कराएगा, जिसे राज्य सरकार निदिष्ट करे, और फिर ऐसे सिविल सर्जन या अन्य अधिकारी की साक्षी के रूप में परीक्षा करेगा और उस परीक्षा को लेखबद्ध करेगा ।

   [(1क) यदि सिविल सर्जन इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अभियुक्त विकृतचित्त है तो वह ऐसे व्यक्ति को देखभाल, उपचार और अवस्था के पूर्वानुमान के लिए मनश्चिकित्सक या रोग विषयक् मनोविज्ञानी को निर्दिष्ट करेगा और, यथास्थिति, मनश्चिकित्सक या रोग विषयक् मनोविज्ञानी मजिस्ट्रेट को सूचित करेगा कि अभियुक्त चित्तविकृति या मानसिक मंदता से ग्रस्त है अथवा नहीं :

परंतु यदि अभियुक्त, यथास्थिति, मनश्चिकित्सक या रोग विषयक् मनोविज्ञानी द्वारा मजिस्ट्रेट को दी गई सूचना से व्यथित है तो वह चिकित्सा बोर्ड के समक्ष, अपील कर सकेगा जो निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, -

(क) निकटतम सरकारी अस्पताल में मनश्चिकित्सा एकक प्रमुख ; और

(ख) निकटतम चिकित्सा महाविद्यालय में मनश्चिकित्सा संकाय का सदस्य ।]

(2) ऐसी परीक्षा और जांच लंबित रहने तक मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति के बारे में धारा 330 के उपबंधों के अनुसार कार्यवाही कर   सकता है ।

 [(3) यदि ऐसे मजिस्ट्रेट को यह सूचना दी जाती है कि उपधारा (1क) में निर्दिष्ट व्यक्ति विकृतचित्त का व्यक्ति है तो मजिस्ट्रेट आगे यह अवधारित करेगा कि क्या चित्त-विकृति अभियुक्त को प्रतिरक्षा करने में असमर्थ बनाती है और यदि अभियुक्त इस प्रकार असमर्थ पाया जाता है तो मजिस्ट्रेट उस आशय का निष्कर्ष अभिलिखित करेगा और अभियोजन द्वारा पेश किए गए साक्ष्य के अभिलेख की परीक्षा करेगा तथा अभियुक्त के अधिववक्ता को सुनने के पश्चात् किंतु अभियुक्त से प्रश्न किए बिना, यदि वह इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि अभियुक्त के विरुद्ध प्रथमदृष्ट्या मामला नहीं बनता है तो वह जांच को मुल्तवी करने की बजाय अभियुक्त को उन्मोचित कर देगा और उसके संबंध में धारा 330 के अधीन उपबंधित रीति में कार्यवाही करेगा :

परंतु यदि मजिस्ट्रेट इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि उस अभियुक्त के विरुद्ध प्रथमदृष्ट्या मामला बनता है जिसके संबंध में विकृतचित्त होने का निष्कर्ष निकाला गया है तो वह कार्यवाही को ऐसी अवधि के लिए मुल्तवी कर देगा जो मनश्चिकित्सक या रोग विषयक् मनोविज्ञानी की राय में अभियुक्त के उपचार के लिए अपेक्षित है और यह आदेश देगा कि अभियुक्त के संबंध में धारा 330 के अधीन उपबंधित रूप में कार्यवाही की जाए ।

(4) यदि ऐसे मजिस्ट्रेट को यह सूचना दी जाती है कि उपधारा (1क) में निर्दिष्ट व्यक्ति मानसिक मंदता से ग्रस्त व्यक्ति है तो मजिस्ट्रेट आगे इस बारे में अवधारित करेगा कि मानसिक मंदता के कारण अभियुक्त व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा करने में असमर्थ है और यदि अभियुक्त इस प्रकार असमर्थ पाया जाता है, तो मजिस्ट्रेट जांच बंद करने का आदेश देगा और अभियुक्त के संबंध में धारा 330 के अधीन उपबंधित रीति में कार्यवाही करेगा ।

Download the LatestLaws.com Mobile App
 
 
Latestlaws Newsletter
 
 
 
Latestlaws Newsletter
 
 
 

LatestLaws.com presents: Lexidem Offline Internship Program, 2024

 

LatestLaws.com presents 'Lexidem Online Internship, 2024', Apply Now!

 
 
 
 

LatestLaws Guest Court Correspondent

LatestLaws Guest Court Correspondent Apply Now!
 

Publish Your Article

Campus Ambassador

Media Partner

Campus Buzz