भारतीय दंड संहिता की धारा 152 के अनुसार, जो भी कोई ऐसे किसी लोक सेवक, जो विधिविरुद्ध जनसमूह के बिखेरने, या उपद्रव / दंगे को दबाने का प्रयास में लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो, पर हमला करेगा या उसको हमले की धमकी देगा या उसके काम में बाधा डालेगा या बाधा डालने का प्रयत्न करेगा या ऐसे लोक सेवक पर आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या करने की धमकी देगा, या करने का प्रयत्न करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण--यदि वह जमाव धारा 141 के अर्थ के अन्तर्गत विधिविरुद्ध जमाव हो, तो अपराधी धारा 145 के अधीन दण्डनीय होगा ।
लागू अपराध
खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा स्वेच्छा से आघात पहुंचाना।
सजा - तीन वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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दंगा आदि को दबाने पर लोक सेवक पर हमला या बाधा डालना | 3 साल या जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |