अरावली रेंज में बढ़ते खनन पर रोक लगाने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला दिया। अब राज्यों को अरावली रेंज में खनन के नए पट्टे देने अथवा पुराने पट्टों के नवीनीकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात में फैली अरावली रेंज को परिभाषित करने के लिए वन मंत्रालय के सचिव की अगुवाई में कमेटी बनाने का भी निर्देश दिया।

यह कमेटी दो महीने के भीतर कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। अब मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने अरावली रेंज में बढ़ते खनन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। इस दौरान शीर्ष अदालत ने राजस्थान सरकार की ओर से अरावली रेंज में खनन को लेकर तय की गई नीति पर भी सवाल उठाए।

सौ मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाडि़यों पर खनन की मंजूरी

राजस्थान सरकार की नीति के तहत सौ मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाडि़यों पर खनन की मंजूरी दी जा रही है। कोर्ट ने कहा कि जब ऊंची पहाडि़यों के आसपास की निचली पहाडि़यों को काट दिया जाएगा, तो ऊंची पहाडि़यों अपने आप खत्म हो जाएगी।

खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से बढ़ेगा अवैध खनन

हालांकि कोर्ट ने न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता एडीएन राव की खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि खनन पर पूरी तरह से रोक लगाने से अवैध खनन बढ़ेगा। कोर्ट ने चारों राज्यों में फैली अरावली रेंज को परिभाषित करने का भी निर्देश दिया और वन मंत्रालय के सचिव की अगुवाई में कमेटी गठित करने का आदेश दिया।

कमेटी दो महीने के भीतर दे अपनी रिपोर्ट

पीठ ने कहा कि कमेटी में चारों राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ भारतीय वन सर्वेक्षण व भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण के भी प्रतिनिधि शामिल रहेंगे। कोर्ट ने कमेटी को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। इसके साथ ही पीठ ने अरावली रेंज में खनन के लिए चारों राज्यों को एक जैसे मानक तैयार करने के निर्देश दिए। मौजूदा समय में अरावली रेंज से जुड़े दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात में खनन को लेकर अलग-अलग नियम है।

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