राजस्थान की राजधानी जयपुर में 2008 में हुए सीरियल बम धमाके के नाबालिग आरोपी की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट अगले हफ्ते करेगा सुनवाई। ट्रायल कोर्ट जज के ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राजस्थान सरकार हाईकोर्ट जाकर ट्रायल कोर्ट के जज की नियुक्ति का अनुरोध करे।

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार का अनुरोध स्वीकार करते हुए राज्य को 2008 जयपुर धमाके के मामले में मुकदमा पूरा करने में असमर्थता के कारण रिक्त पद भरने के लिए हाईकोर्ट से दोबारा अनुरोध करने की अनुमति दी है। इस मामले में आरोपी का नाम घटना के समय नाबालिग होने का दावा करने के कारण गोपनीय रखा गया है। इसलिए उसका नाम मुकदमा सूची में भी एक्स है। 

71 लोगों की हुई थी मौत
एक्स को पिछली बार 9।2।2024 को सुनवाई के दौरान इस आधार पर जमानत नहीं दी गई थी। राज्य सरकार को ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया गया था। यह मामला एक ऐसे बम से संबंधित है जो फटा नहीं था और इससे जुड़े अन्य मामलों में 71 लोगों की मौत और 181 लोगों की गंभीर चोटें लगी थीं।

जब ये मामला पिछली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आया था तो कहा गया था कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत नाबालिग को अधिकतम तीन साल तक ही सजा दी जा सकती है। वो भी सामान्य जेल में नहीं बल्कि किशोर सुधार गृह के सामान्य माहौल में।

इस मामले में सुनवाई के दौरान राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपी वापस अपराधियों के संपर्क में आ सकता है। गुजरात बम ब्लास्ट केस में भी इसकी जरूरत है। उसने गंभीर अपराध किया है। ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।

Source Link

Picture Source :