इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी SP रतन कुमार यादव को अनिवार्य सेवा निवृत्ति देने का प्रदेश सरकार का आदेश रद्द कर दिया है। इसके साथ ही तीन हफ्ते के अंदर उन्‍हें सेवा में वापस लेने और छह हफ्ते के अंदर बकाया वेतन और भत्‍तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डिप्टी SP को 3 सप्ताह के भीतर सेवा में वापस लेने और उसके सभी बकाया वेतन और भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है। रतन कुमार यादव की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने दिया।

याची का कहना था कि उसे सरकारी कार्य और कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने और स्वेच्छाचारिता के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद उसके दो इंक्रीमेंट 5 वर्ष के लिए रोकने और सर्विस रिकॉर्ड में दो परिनिंदा प्रविष्टि के आदेश दिए गए। स्क्रीनिंग कमेटी ने 7 नवंबर 2019 को याची की अनिवार्य सेवा निवृत्ति को मंजूरी दे दी।

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि आदेश पारित करते समय याची के सर्विस रिकॉर्ड पर विचार नहीं किया गया और ना ही उसके द्वारा दाखिल प्रतिउत्तर पर ही विचार किया गया। याची को वर्ष 1998 में सब इंस्पेक्टर के पद पर रहते हुए मुन्ना बजरंगी गैंग से मुठभेड़ में एके-47 से 5 गोलियां लगी थी। ठीक होने के बाद उसे इंस्पेक्टर पद पर प्रोन्नति दी गई तथा बाद में वह डिप्टी SP के पद पर प्रोन्नत हुआ । उत्कृष्ट सेवा के लिए उसे राष्ट्रपति मेडल भी मिल चुका है। स्क्रीनिंग कमेटी ने इन तथ्यों पर गौर किए बिना अनिवार्य सेवा निवृत्ति का आदेश पारित किया तथा परिंनिंदा प्रविष्टि के खिलाफ उसकी अपील खारिज कर दी गई।

कोर्ट ने सभी तथ्यों पर विचार करने और संबंधित रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई तथात्मक संतोष अपने आदेश में दर्ज नहीं किया है। चलताऊ तरीके से अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित कर दिया गया । आदेश पारित करते समय याची का व्यक्तिगत सर्विस रिकॉर्ड भी नहीं देखा गया । उसे परिनिंदा प्रविष्टि के तौर पर दोहरा दंड दिया गया । कोर्ट ने 7 नवंबर 2019 को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करते हुए याची को तीन सप्ताह के भीतर सेवा में पुन ज्वाइन करने और 6 सप्ताह के भीतर उसके सभी बकाया वेतन व भत्तों का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

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