इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी शहरों में बेतरतीब तरीके से चले रहे हजारों बैटरी रिक्शा के संदर्भ में यूपी सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इतनी बड़ी संख्या में शहरों में दौड़ रहे बैटरी रिक्शा के लिए कोई गाइडलाइन है या नहीं। इनके कारण लोगों को हो रही परेशानी कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने मेरठ के मनोज कुमार चौधरी की जनहित याचिका पर अधिवक्ता सौरभ सिंह को सुनकर दिया है। कोर्ट ने जनहित याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख लगाई है।

जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान एडवोकेट सौरभ सिंह ने कोर्ट को बताया कि प्रदेश के प्रत्येक शहर में हजारों गैर रजिस्टर्ड बैटरी रिक्शा दौड़ रहे हैं। खास बात यह कि इनकी न कोई गाइडलाइन है और न ही रूट निर्धारित हैं। इस कारण ये बेतरतीब तरीके से कहीं भी धड़ल्ले से चल रहे हैं और भीड़भाड़ वाले इलाकों में ट्रैफिक जाम व वहां की सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण भी हैं।

उन्होंने मेरठ शहर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 30 लाख आबादी में 13443 बैटरी रिक्शा रजिस्टर्ड हैं जबकि हकीकत में 50 हजार से ज्यादा बैटरी रिक्शा वहां बेतरतीब दौड़ रहे हैं। इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की हालत गंभीर है और लोग परेशान हैं। इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही जबकि याची मेरठ के ट्रैफिक एसपी से लेकर मुख्य सचिव तक गुहार लगा चुका है।

एडवोकेट सौरभ सिंह ने यह भी बताया कि प्रॉपर गाइडलाइन न होने के कारण युवाओं के अलावा बच्चे, बुजुर्ग, वृद्ध महिला, लड़कियां कोई भी बैटरी रिक्शा चला रहा है। इनके बेतरतीब तरीके से चलाने से स्पष्ट होता है कि इनके चालकों को ट्रैफिक नियमों की कोई जानकारी नहीं है क्योंकि ये एंबुलेंस को भी निकलने का रास्ता नहीं देते।

गाइडलाइन न होने के कारण ही अधिकतर स्थानों पर इन बैटरी रिक्शा में चार की जगह छह सवारी ढोई जा रही हैं और सुबह, शाम, देर रात किसी भी समय बहुत तेज आवाज में फिल्मी गीत बजाते हुए चलते हैं। जनहित याचिका में मांग की गई है कि शहरों में बैटरी रिक्शा संचालन के लिए प्रॉपर गाइडलाइन बने, इनकी संख्या व इनके रूट और सवारी निर्धारित हों।

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