सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दाखिल एक मुकदमे पर सुनवाई बुधवार (24 अप्रैल) को एक मई तक के लिए स्थगित कर दी। बंगाल सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) पर राज्य से बिना मंजूरी प्राप्त किए चुनाव के बाद हिंसा मामलों में जांच को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है। बंगाल सरकार का आरोप है कि सीबीआई को राज्य के मामलों की जांच के लिए दी गई मंजूरी वापस लिए जाने के बावजूद भी जांच एजेंसी प्राथमिकियां दर्ज कर रही है और अपनी जांच आगे बढ़ा रही है।

जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई को स्थगित करने के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध के बाद मामले को स्थगित कर दिया।

तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन्हें नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने पेश होना है, जिस कारण सुनवाई को स्थगित कर दिया जाए। मेहता ने पीठ से कहा, 'मैं जानता हूं कि मैंने कई मौकों पर स्थगन का अनुरोध किया है लेकिन आज संविधान पीठ के समक्ष मेरे पेश होने की बारी है। यह मेरे नियंत्रण में नहीं है।'

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे। पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल किया है। बंगाल सरकार का आरोप है कि राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आने वाले मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को दी गई मंजूरी वापस ले ली गई, जिसके बावजूद सीबीआई प्राथमिकियां दर्ज कर रही है और अपनी जांच आगे बढ़ा रही है।

अनुच्छेद 131 एक राज्य को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच विवाद की स्थिति में सीधे सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार देता है। पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को राज्य में जांच और छापेमारी करने के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ले ली थी।

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