POCSO केस में एक दिन में ट्रायल खत्म किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा ट्रायल का आदेश दिया है और इस मामले में दोषसिद्धी को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में पटना हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति जताई है। हाईकोर्ट ने दोषसिद्धी को खारिज करते हुए दोबारा ट्रायल का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट ने डरावनी जल्दबाजी दिखाई है।

क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस A. S. ओका की अगुआई वाली बेंच के सामने यह मामला आया। मौजूदा मामले में अभियोजन पक्ष का आरोप है कि आरोपी आठ साल की बच्ची को दुकान के पास से बगान में ले गया और उसके साथ सेक्सुअल एक्ट किया। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए और फिर उसी दिन ट्रायल चलाकर उसे दोषी करार दे दिया गया। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि आरोपी को अपने बचाव का मौका नहीं मिला। इससे पहले मामला हाईकोर्ट के सामने आया तब हाईकोर्ट ने दोषसिद्धी को खारिज कर दिया और कहा कि यह नेचरल जस्टिस के सिद्धांत के एकदम खिलाफ है। अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और लिबर्टी के अधिकार का जबरदस्त तरीके से अनादर किया गया है। आरोप तय किए जाने के बाद उसी दिन गवाहों के बयान कराए गए। यह न्याय के सिद्धांत के विपरीत हुआ है और न्याय पाने का उद्देश्य प्रभावित हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को माना सही
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट में आया तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह दोबारा मामले में सुनवाई करे और गवाहों के बयान के लिए तारीख फिक्स करे और CRPC यानी अपराध प्रक्रिया की धारा के प्रावधान का सही मायने में अनुसरण करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले के गवाह, शिकायती परिवार और विक्टिम को मिला पुलिस प्रोटेक्शन फैसला आने तक जारी रहेगा।

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