पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा ने अटॉर्नी जनरल से आश्‍वासन मांगा है कि पाकिस्तानी सेना केवल रक्षा संबंधी मामलों पर काम करेगी और कोई व्यवसाय नहीं करेगी। एक मीडिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य भूमि पर की जा रही व्यावसायिक गतिविधियों के खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह आश्‍वासन मांगा।

सुनवाई के दौरान सीजेपी ईसा ने कहा कि सेना व्यवसाय कर रही है और सैन्य भूमि पर विवाह हॉल स्थापित कर रही है। इसके बाद उन्होंने अटॉर्नी जनरल मंसूर उस्मान अवान से आश्‍वासन मांगा कि सेना "संरक्षक" बनी रहेगी और कोई व्यवसाय नहीं करेगी।

मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल से पूछा, "क्या आपको यह आश्‍वासन मिल सकता है?" और कहा कि सभी को अपने आदेश के अनुसार काम करना चाहिए। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेपी ने कहा, "सेना को अपना काम करना चाहिए और अदालतें अपना काम करेंगी।"

जवाब में एजी मंसूर उस्मान अवान ने कहा कि सिद्धांत के मुताबिक, सभी को अपना काम करना चाहिए। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि यदि एजी के पास निर्देश हैं, तो उन्हें अदालत को आश्‍वासन देना चाहिए।

यह मामला पूर्व सीजेपी गुलजार अहमद द्वारा 2021 में शुरू किया गया था, जब अदालत का ध्यान कराची में छावनी बोर्ड की भूमि के कथित अवैध उपयोग की ओर आकर्षित किया गया था। उस समय छावनी बोर्ड की भूमि को रणनीतिक उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित किया गया था लेकिन वाणिज्यिक लाभ के लिए उपयोग किया गया था।

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