पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भतीजे और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक बनर्जी की याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में उन्होंने लगातार राजनीति से प्रेरित साक्षात्कार देने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए निर्देश देने का आग्रह किया था।

उन्होंने मांग की थी कि शिक्षक भर्ती घोटाला की सुनवाई जस्टिस गंगोपाध्याय कर रहे हैं और उन्हें हटाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डायमंड हार्बर से सांसद और तृणमूल कांग्रेस महासचिव अभिषेक बनर्जी की याचिका को उन अन्य अर्जी के साथ स्वत: संज्ञान मामले के साथ संबद्ध किया जाएगा, जिसकी सुनवाई पांच न्यायाधीशों की पीठ कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने MBBS की आरक्षित श्रेणी की सीट के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों को जाति प्रमाणपत्र जारी करने में कथित घोटाले से संबंधित सभी याचिकाओं को 29 जनवरी को अपने हाथ में ले लिया था। इससे पहले सीबीआई जांच कराने के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट की दो पीठ में टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी।

शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ इससे पहले इस विवाद को निपटाने के लिए 27 जनवरी को अवकाश के दिन बैठी थी, जहां एक असहमत न्यायाधीश गंगोपाध्याय ने खंडपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसने उनके निर्देश को रद्द कर दिया था। खंडपीठ ने सीबीआई जांच का निर्देश देने के साथ केंद्रीय एजेंसी को जांच आगे बढ़ने के न्यायाधीश के निर्देश को रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने शुक्रवार को बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर गौर किया। इसमें मांग की गई कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय लगातार राजनीति से प्रेरित साक्षात्कार दे रहे हैं और उन्हें इस तरह के बयान देने से रोका जाना चाहिए।

सिंघवी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देश पारित किया जाना चाहिए कि आवेदक/याचिकाकर्ता (बनर्जी) के खिलाफ 'अदालत परिसर के भीतर या बाहर एकल न्यायाधीश की टिप्पणी से प्रतिवादियों (सीबीआई और ईडी) द्वारा की गई जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए।'

सिंघवी की दलील
इस मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि एक सहकर्मी न्यायाधीश की टिप्पणी के कारण न्यायमूर्ति सिन्हा के समक्ष कार्यवाही को दूसरे न्यायाधीश को क्यों स्थानांतरित किया जाना चाहिए? बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने कहा कि न्यायाधीश ने नेता के खिलाफ 5 साक्षात्कार दिए थे,

इसके बावजूद कि वह हाईकोर्ट में लंबित घोटाले से संबंधित किसी भी कार्यवाही से जुड़े नहीं थे।जब सिंघवी ने कहा कि वह हाईकोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ विशेष अपील के लिए दबाव नहीं डालेंगे, तो पीठ ने कहा कि याचिका को स्वत: संज्ञान मामले के साथ संबद्ध किया जायेगा। वरिष्ठ वकील ने कहा कि हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की पीठ से मामले को स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर विचार किया जा सकता है।

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