हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को जमानत देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि केवल अपराध की गंभीरता के आधार पर आरोपी को जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता। नाबालिग को जमानत से इनकार करने के लिए ठोस आधार बेहद जरूरी हैं।

याचिका दाखिल करते हुए याची ने बताया कि FIR के समय वह 16 साल 9 माह का था। पानीपत पुलिस ने पीड़िता की मां की शिकायत पर 28 सितंबर 2023 को पोक्सो एक्ट, आईटी एक्ट, एससी/एसटी एक्ट व अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था।

पीड़िता की मां ने पुलिस को बताया था कि वे किसी काम से घर से बाहर गए थे और जब वापस लौटे तो उनकी बेटी ने बताया कि याची उसे नशीला पदार्थ खिलाकर होटल लेकर गया था। वहां पर उसने दुष्कर्म का प्रयास किया और इसकी वीडियो भी बनाई। पीड़िता के शोर मचाने पर उसे धमकी दी कि उसके भाई को मार दिया जाएगा और वीडियो वायरल कर दी जाएगी।

इसके बाद पुलिस ने याची को गिरफ्तार कर लिया और वह तभी से हिरासत में है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने उसकी जमानत याचिका को अपराध की गंभीरता के आधार पर खारिज कर दिया था। इसके बाद सेशन कोर्ट ने भी जमानत खारिज कर दी।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची को जमानत से इस आधार पर इनकार किया गया है कि अपराध बेहद गंभीर है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी नाबालिग को जमानत से तब तक इनकार नहीं किया जा सकता जब तक कि यह संभावना न हो कि जमानत देने से वह अपराधियों के संपर्क में आ जाएगा। उसे जमानत से समाज पर बेहद गंभीर प्रभाव होगा। ऐसे में हाईकोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले को रद्द करते हुए याची को जमानत दे दी।

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