NGT के आदेश के बाद जिला प्रशासन व नगर निगम के अधिकारियों ने कलियासोत नदी के नो कंस्ट्रक्शन जोन का चिह्नांकन व सीमांकन कर लिया गया है। इसमें करीब 1100 से अधिक अतिक्रमणों को चिह्नित कर नोटिस भी भेजे गए हैं। लेकिन कार्रवाई से पहले इस मामले में रहवासियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया है। कोर्ट के सामने रहवासियों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जब यहां निर्माण अवैध था, तो अधिकारियों ने अनुमति क्यों दी।

700 से अधिक लोगों को मिले हैं नोटिस
बता दें कि नगर निगम ने कलियासोत नदी के इर्द-गिर्द 33 मीटर के दायरे में आ रहे निर्माण कार्यों को लेकर 700 से अधिक लोगों को नोटिस दिए हैं। इन्हीं नोटिस की कार्रवाई को रोकने के लिए स्टे दिया गया है। इसके अलावा इस हिस्से में रह रहे 350 से अधिक झुग्गिवासियों को भी नोटिस जारी किया गया है। इस मामले में नोटिस मिलने के बाद रहवासियों का तर्क था कि नगर निगम समेत अन्य एजेंसियों की अनुमति के आधार पर ही मकानों का निर्माण किया गया है, फिर यह अवैध कैसे हो सकते हैं।

रहवासियों ने लगाई थी याचिका
इस मामले में रहवासियों ने नगर निगम आयुक्त फ्रैंक नोबल ए. के सामने भी पक्ष रखा था। इसके बाद हाईकोर्ट में सागर प्रीमियम फेस-2 के रहवासियों के पक्षकार एडवोकेट आर्यन उरमलिया ने बताया कि नगर निगम द्वारा नोटिस दिए जाने के मामले में रहवासियों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इस पर गुरुवार को सुनवाई हुई। शाम साढ़े चार बजे तक मामले में सुनवाई चलती रही। जिसके बाद स्टे दिया गया है।

कोर्ट का रुख सख्त, चार सप्ताह में मांगा जवाब
सिग्नेचर 99 के रहवासी राजेश अवस्थी ने बताया कि नगर निगम के नोटिस को लेकर रहवासियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में निगम को अगले 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है। दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 11 अगस्त को आदेश दिया था कि भोपाल की नदी कलियासोत के 33-33 मीटर के ग्रीन बेल्ट को आरक्षित किया जाए। इसके लिए 31 दिसंबर तक चिह्नांकन, सीमांकन कर अतिक्रमण को हटाया जाकर हरियाली विकसित की जाए। इस अवधि में जिला प्रशासन ने सीमांकन का काम पूरा कर लिया। वहीं NGT के समक्ष 15 जनवरी से पहले रिपोर्ट सौंपना है। हालांकि, इससे पहले निगम के नोटिस पर रहवासियों को स्टे मिला है।

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