हिमाचल प्रदेश कि राजधानी शिमला विकास प्लान 2041 को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। गुरुवार को सर्वोच्च अदालत ने NGT यानी राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों को दरकिनार करते हुए सुक्खू सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है। प्लान के तहत शहर में निर्माण कार्यों को रेग्युलेट करना है। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्लान को पर्यावरण के लिए उपयुक्त माना है।

न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पिछले आदेशों को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि हिमाचल सरकार और उसके अधिकारियों को 'विकास योजना बनाने का निर्देश देना' ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

अदालत का फैसला सुखविंदर सिंह सुक्खू-सरकार के लिए बड़ी जीत है। सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जून 2023 में नई योजना को मंजूरी दी थी जिसके बाद NGT ने इसपर प्रश्न चिन्ह लगाया था। सुक्खू सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 का जोरदार बचाव किया है।

गौरतलब हो, एनजीटी ने शिमला विकास योजना से संबंधित एक मामले में 2017 से कई निर्देश जारी किए थे। NGT ने कहा था कि शिमला योजना क्षेत्र के चलते अनियोजित और अंधाधुंध विकास ने गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दिया है।

शिमला विकास योजना को पिछली राज्य सरकार ने फरवरी 2022 में मंजूरी दे दी थी लेकिन मई 2022 में एनजीटी के स्टे ऑर्डर के चलते योजना लागू नहीं की जा सकी। ट्रिब्यूनल ने इसे अवैध करार दिया था और इसे NGT के ऑर्डर के खिलाफ माना था।

सुक्खू सरकार द्वारा अपील में सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 में राज्य सरकार से विकास योजना पर प्राप्त आपत्तियों पर निर्णय लेने और उसके बाद छह सप्ताह के भीतर अंतिम विकास योजना जारी करने को कहा। साथ ही, अदालत ने स्पष्ट किया कि योजना को अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से एक महीने तक लागू नहीं किया जाएगा और न ही ड्राफ्ट योजना के आधार पर किसी नए निर्माण की अनुमति दी जाएगी।

इसके बाद जून 2023 में राज्य सरकार ने नई योजना का प्लान जारी किया। विजन 2041 नाम की इस योजना में 17 ग्रीन बेल्ट में कुछ प्रतिबंधों के साथ और मुख्य क्षेत्र में निर्माण प्रावधान शामिल थे जहां एनजीटी द्वारा निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कंस्ट्रक्शन में मंजिलों की संख्या, पार्किंग, अटारी और संरचनाओं की ऊंचाई के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देशों का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें कहा गया था कि हरे क्षेत्रों में पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

जानकारी के मुताबिक, डेवलपमेंट प्लान में कंस्ट्रक्शन के लिए कुल 22,450 हेक्टेयर भूमि को ध्यान में रखा गया है। जिसमें शिमला नगर निगम, कुफरी, शोघी और घानाहट्टी के विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण और गांवों के अलावा अतिरिक्त शिमला योजना क्षेत्र शामिल थे।

नई योजना को लागू करने और इसके प्रैक्टिकल पालन पर दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 12 दिसंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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