विपक्षी दलों और पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्तों द्वारा विरोध जताये जाने के बाद सरकार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों का दर्जा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष बरकरार रखने का निर्णय लिया है। वर्तमान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और अन्य निर्वाचन आयुक्तों का दर्जा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समकक्ष ही है।

सरकार ने इस वर्ष अगस्त में राज्यसभा में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें) विधेयक 2023 पेश किया था। विधेयक में सीईसी और अन्य निर्वाचन आयुक्तों का दर्जा कैबिनेट सचिव के समकक्ष लाने का प्रस्ताव किया गया था। विपक्षी दलों और कुछ पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने इस कदम का विरोध किया था। उनका कहना है कि ऐसा करना संस्था की स्वतंत्रता के प्रतिकूल होगा।

सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित संशोधन के अनुसार सीईसी एवं अन्य निर्वाचन आयुक्तों को जो वेतन दिया जाएगा वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होगा। अन्य प्रस्तावित संशोधन के अनुसार केंद्रीय कानून मंत्री के नेतृत्व में और भारत सरकार के सचिव स्तर या उससे ऊपर के दो अन्य सदस्यों वाली एक ‘सर्च कमेटी’ बनायी जाएगी। यह समिति पांच लोगों के नामों का एक पैनल बनायेगी। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि कैबिनेट सचिव ‘सर्च कमेटी’ का नेतृत्व करेंगे। यह विधेयक राज्यसभा में मंगलवार को विचार एवं पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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