नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को उस वक्त राहत मिली, जब देश की सर्वोच्च अदालत ने बीते सोमवार को लोकसभा चुनाव को अमान्य करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। लेकिन साथ ही कोर्ट ने बतौर सांसद उनकी सारे अधिकार क बहाल नहीं किया और कहा कि रेवन्ना बिना किसी भत्ते और सदन की कार्यवाही के दौरान बिना मतदान के अधिकार के सांसद बने रहेंगे।

एक पत्रिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के 1 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाले लोकसभा में जनता दल (सेक्युलर) के एकमात्र लोकसभा सांसद सदस्य रेवन्ना द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।

सीजेआई की बेंच ने कहा, “अपीलकर्ता सभी विशेषाधिकारों का हकदार होगा। लेकिन वह संसद सदस्य के रूप में कोई भत्ता नहीं लेंगे और हम कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगाते हैं, जिसमें उसने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में हसन निर्वाचन क्षेत्र से रेवन्ना के लोकसभा चुनाव परिणाम को अमान्य कर दिया था।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने जेडीएस नेता रेवन्ना को संसद की कार्रवाही में भाग लेने और संसदीय समितियों के सदस्य के रूप में अपने कर्तव्यों के पालन की अनुमति दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वे सदन में वोट देने के हकदार नहीं होंगे।

इस केस में सांसद रेवन्ना की ओर से पेश हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से उन्हें 2024 का संसदीय चुनाव लड़ने की अनुमति देने का अनुरोध किया। जिसे मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने स्वीकार करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता इस मामले में जारी किए जाने वाले किसी भी अंतरिम निर्देश के अधीन अगले संसदीय चुनाव में लड़ने का हकदार होगा।

मालूम हो कि बीते 1 सितंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दो अलग-अलग चुनाव याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना के लोकसभा चुनाव परिणाम को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने जिन दो याचिकाओं पर यह फैसला दिया था, उनमें से एक भारतीय जनता पार्टी के नेता और लोकसबा चुनाव में रेवन्ना के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार ए मंजू द्वारा दायर किया गया था।

वहीं दूसरी याचिका एक मतदाता जी देवराजेगौड़ा द्वारा दायर की घई थी। मामले में प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ फैसला देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने माना था कि हसन सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ लोकसभा चुनाव से पहले दाखिल नामांकन पत्र में संपत्ति का गलत खुलासा करने और भ्रष्ट आचरण में शामिल होने के आरोप साबित हुआ था।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नटराजन ने 1 सितंबर को दिये फैसले में कहा था, “याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर दोनों चुनाव याचिकाएं आंशिक रूप से स्वीकार की जाती हैं। प्रतिवादी नंबर 1 अर्थात् प्रज्वल रेवन्ना का निर्वाचन क्षेत्र 16, हसन (सामान्य सीट) से बतौर लोकसभा सांसद जीता गया चुनाव दिनांक 23.5.2019 से शून्य घोषित किया जाता है।

इसके साथ अपने फैसले में न्यायमूर्ति नटराजन ने भारत के चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया नियमों के अनुसार चुनाव कदाचार के लिए रेवन्ना के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था। वहीं इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ उस वक्त आया, जब मामले में याचिकाकर्ता ए मंजू इस साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले भाजपा छोड़कर जेडीएस में शामिल हो गईं और विधायक बन गईं।

पूर्व पीएम देवेगौड़ा के पोते रेवन्ना ने साल 2019 के आम चुनावों में जेडीएस के एकमात्र ऐसे सफल उम्मीदवार थे, जिन्होंने हासन लोकसभा सीट पर भारी अंतर से जीत हासिल की थी।

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