कर्नाटक हाईकोर्ट ने सऊदी अरब की जेल में बंद भारतीय नागरिक को कानूनी मदद देने के संबंध में दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि क्या जेल में बंद व्यक्ति को अपील के दौरान अपनी पसंद का वकील तय करने का मौका दिया जाएगा और क्या सरकार इस संबंध में उसकी मदद करेगी? हाईकोर्ट ने सऊदी अरब में स्थानीय कानूनों के न्यायाधिकार क्षेत्र के बारे में भी जानकारी मांगी और पूछा कि क्या भारत में की गई जांच की रिपोर्ट वहां की अदालतों में पेश की जा सकती है।

कोर्ट ने आगे पूछा कि क्या राजनयिक स्तर पर भारत में पुलिस जांच पूरी होने तक सऊदी अरब में अपील की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई आठ अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। कर्नाटक के मंगलुरु निवासी शैलेश सऊदी अरब में काम करते थे और उन्हें वहां के राजा और इस्लाम के खिलाफ कथित अपमानजनक पोस्ट डालने का दोषी ठहराया गया है। फिर वाराणसी कोर्ट में शुरू होगी Shrigar Gauri केस की सुनवाई, महिलाएं बोलीं- वो मंदिर था, मंदिर ही रहेगा

शैलेश की पत्नी कविता ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में दावा किया है कि शैलेश के फर्जी फेसबुक अकाउंट से 12 और 13 फरवरी, 2020 को उक्त पोस्ट किया गया और स्थानीय पुलिस, सऊदी अरब के अधिकारियों को सबूत देने में विफल रही। स्थानीय पुलिस ने फेसबुक पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया था। शैलेश ने भारत सरकार के संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NCR) के समर्थन में एक पोस्ट डाला था। इसके बाद कथित तौर पर उन्हें एक धमकी भरा कॉल आया और उन्होंने अपना अकाउंट बंद कर दिया।

इसके बाद सऊदी अरब के राजा और इस्लाम के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट अपलोड की गई। शैलेश को सऊदी अरब में गिरफ्तार किया गया। मुकदमा चलाया गया और 15 साल जेल की सजा सुनाई गई। उनकी पत्नी ने भारत में पुलिस से शिकायत की कि उनके पति ने उन्हें सूचित किया था कि उनके नाम पर पोस्ट अपलोड करने के लिए एक फर्जी फेसबुक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया था। शैलेश को 23 फरवरी 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं।

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