भूमि संबंधी विवादों की न्यायिक प्रक्रिया को आसान बनाने और उसके त्वरित निपटारे की दिशा में किए जा रहे सुधारों के सकारात्मक नतीजे आने लगे हैं। भूमि के बैनामा (पंजीकरण) से लेकर उसके मालिकाना हक तक से संबंधित मुकदमों से निचली अदालतें हलकान है। इस गंभीर समस्या से निपटने में कानूनी सुधार के साथ उसमें Technology का उपयोग काफी मुफीद साबित होने लगा है।

Digitization होने से स्थितियां काबू में
भूमि दस्तावेजों व नक्शों के Digitization होने से स्थितियां काबू में आई है। सरकार ने इसके अगले कदम के रूप में जमीन संबंधी डाटा-बेस (आंकड़ों) को ई-अदालतों से जोड़ने की प्रक्रिया शुरु कर दी है। 26 राज्यों के हाईकोर्ट से इस बाबत मंजूरी भी मिल गई है। केंद्रीय ग्रामीण विकास व भूमि संसाधन मंत्रालय ने इस दिशा पहल करते हुए चरणबद्ध तरीके से इसमे सुधार किए हैं। पहले चरण में भूमि दस्तावेजों और नक्शे का Computerization कराया गया।

केंद्रीय भूमि संसाधन व ग्रामीण विकास मंत्री ने दी जानकारी
29 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के कुल 6.56 लाख गांवों में से 6.20 लाख गांवों की जमीनों का Computerization करा दिया गया है। जबकि 1.66 करोड़ भूमि के टुकड़ों के नक्शे का Digitization पूरा हो चुका है। सुधार के दूसरे चरण में देश के कुल 5254 रजिस्ट्रार आफिस में से 4000 आफिसों को एकीकृत कर दिया गया है। केंद्रीय भूमि संसाधन व ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया 'भूमि से संबद्ध इन सारे डिजिटल आंकड़ों को E-courts से जोड़ दिया जाएगा।

लंबित मामलों को भी सुलझाने में मिलेगी मदद
इस बाबत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में पायलट प्रोजेक्ट शुरु किया गया था, जिसके नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं। पायटल प्रोजेक्ट की सफलता को देखते हुए इसे देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा।' E-courts से जोड़ने से जहां लोगों को भूमि संबंधी सभी जानकारी पारदर्शिता के साथ प्रामाणिकता के साथ प्राप्त होगी, वहीं किसी भी तरह के विवाद का त्वरित निपटारा हो जाएगा।

अदालतों में लंबित मामलों को भी सुलझाने में मदद मिलेगी। भूमि विवादों में कमी आएगी और व्यापार के साथ लोगों की मुश्किलें कम होंगी। आम लोगों की मुश्किलों को आसान करने के लिहाज से सभी तरह के भूमि दस्तावेजों की नकल की प्रति प्राप्त करने के लिए निर्धारित 22 भारतीय भाषाओं में से किसी का भी चयन किया जा सकता है।

कौन-कौन से राज्य हैं शामिल
देश की 26 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित उच्च न्यायालयों से इस बारे में जरूरी मंजूरी प्राप्त हो गई है। इससे भूमि रिकार्ड Application Software और Registry Database के साथ E-courts Application Software का एकीकरण का रास्ता और आसान हो जाएगा। इन राज्यों में त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तेलंगाना, झारखंड, दिल्ली, सिक्किम, मेघालय, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।

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