हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोलकाता के ठाकुरबाड़ी में स्थित गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के पैतृक आवास के वास्तविक स्वरूप से किसी तरह से छेड़छाड़ ना हो। यह विरासती इमारत है।

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के जोरासांको परिसर में विरासत संरचनाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए। एक जनहित याचिका में एक याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जिस कमरे में रवींद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी ने पहली बार बातचीत की थी, उसे अब एक एसोसिएशन के कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, और परिसर के कुछ कमरों को फिर से तैयार किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्राधिकरण से यह सुनिश्चित करने को कहा कि परिसर में विरासत संरचनाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाए। याचिकाकर्ता स्वदेश मजूमदार द्वारा आरोप लगाया गया था कि इमारत को ग्रेड एक विरासत के रूप में चिह्नित किए जाने के बावजूद संरचना के साथ छेड़छाड़ की गई थी।

टैगोर का पैतृक घर जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी, राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालय के परिसरों में से एक है। हिन्दुस्थान समाचार /ओम प्रकाश /गंगा

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