पति-पत्नी को अपने झगड़े में बच्चों को मोहरा नहीं बनाना चाहिए। बच्चों को अपने अभिमान के टकराव से दूर रखें। हाई कोर्ट के जस्टिस टीएस शिवांगम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने एक पति-पत्नी को यह सलाह दी, जो उनके मामले की सुनवाई के दौरान हमसफर के बजाय रकीब बन गए थे। कहा जाता है कि इससे बच्चों के मानसिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

पति ने अपने बच्चे की तलाश के लिए अपील करते हुए एक हेवियस कॉर्पस (Hevius Corpus) दायर किया है। इसकी सुनवाई में अपने वकीलों  के साथ अमेरिका के पति और ओडिशा की पत्नी समेत अपने छह साल के बेटे ने भी वर्चुअल मोड पर हिस्सा लिया। बेंच ने आदेश दिया है कि पिता अपने छह साल के बेटे से रोजाना तीस मिनट वीडियो कॉल पर बात करें।

पति-पत्नी दोनों पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। पति गूगल में डायरेक्टर इंजीनियर हैं और फिलहाल कैलिफोर्निया में पोस्टेड हैं। 2014 में इनकी शादी हुई थी और इसके बाद ये दोनों अमेरिका चले गए। इस दौरान 2016 में बच्चे का जन्म हुआ और उसके बाद से ही विवाद शुरू हो गया। नतीजतन, पत्नी अपने बेटे के साथ भारत लौट आई और अपने ससुराल वालों के साथ रहने लगी। कुछ दिनों बाद वह अपने बेटे के साथ ओडिशा में अपने पिता के घर चली गई।

बच्चे को वापस पाने के लिए पति ने 2019 में अमेरिका की फेडरल कोर्ट में केस दायर किया और फैसला उसके पक्ष में आया। लेकिन इस फैसले पर अमल नहीं हो सका। इसके बाद पति ने बच्चे के ठीक होने की अपील करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में हेवियस कॉर्पस ((Hevius Corpus)) दायर किया। इस पर सुनवाई के बाद बेंच ने अंतरिम आदेश दिया है।

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