सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा को भारत वापस लाने का मसला सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर छोड़ दिया है।  जो ISIS में भर्ती होकर आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान गई है आयशा के फादर ने अपनी बेटी और नातिन सारा को देश वापस लाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का निपटरा करते  हुए कहा की केंद्र सरकार एक महीने मे विचार करे और फैसला सुनाये 

आयशा अफगानिस्तान की जेल में बंद है. और साथ ही इस्लाम कबूल कर चुकी है आयशा के साथ केरल की चार महिलाएं अपने पतियों की तरफ से लड़ाई मे हिस्सा लेने के लिए ISIS मे भर्ती हो कर अफगानिस्तान गई थी पतियों के मरजाने के बाद  उन्होंने ने अपने आप को समर्पण कर दिया था. आयशा के पिता ने वी जे सेबेस्टियन फ्रांसिस की अर्जी मे कहा था की उसे अपनी गलतियों का पछतावा है. अदालत ने भारत सरकार को ये निर्देश दिया की वह आयशा और उसकी बेटी सारा को देश वापस लाए जाये. 

आयशा के खिलाफ भारत में UAPA के तहत मुकदमा दर्ज

अर्जी मे कहा गया था की अफगानिस्तान मे जो हालात बदले है जिस से आयशा के जीवन पर खतरा है सके खिलाफ UAPA के तहत उसके खिलाफ भारत मे मुकदमा दर्ज है उसे भारत मे लाके मुकदमा चलाया जाना चाहिए सेबेस्टियन फ्रांसिस के वकील ने कहा अदालत मे केंद्र सरकार  को ज्ञापन सौंपा था पर इस कोई सुनवाई नहीं हुई. जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आर गवई की बेंच ने सीधे कोई आदेश देने की बजाय कहा की यह केंद्र सरकार को ज्ञापन पर विचार का निर्देश दे रहे हैं.

जजों ने केस को ख़तम करते हुए कहा की भारत सरकार एक महीने मे निर्णय ले. अगर याचिकाकर्ता को अपनी ज्ञापन मे केंद्रीय विदेश मंत्रालय की तरफ से निर्णय सही नहीं है तो वह हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते है 

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