कालाधन, बेनामी संपत्तियों को जब्त करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई है। याचिका पर आने वाले दिनों में सुनवाई होने की संभावना है।

याचिका में रिश्वतखोरी, काला धन रखने, बेनामी संपत्ति रखने, कर चोरी करने, काले धन को अवैध तरीके से सफेद में बदलने, जमाखोरी, खाद्य मिलावट, मानव और मादक पदार्थों की तस्करी, कालाबाजारी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा की मांग की गई है।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने इस साल भ्रष्टाचार दृष्टिकोण सूचकांक में भारत को 80वें स्थान पर रखा है। इसके आलोक में अश्विनी कुमार उपाध्याय की यह याचिका आई है। वकील अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मान से खुशहाल जीवन जीने का अधिकार दिया गया है, लेकिन व्यापक भ्रष्टाचार की वजह से प्रसन्नता सूचकांक में हमारी रैंकिंग बहुत निम्न है।

इसमें दावा किया गया है कि भ्रष्टाचार का जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान के अधिकार पर विनाशकारी प्रभाव होता है और यह सामाजिक और आर्थिक न्याय, भाईचारे, लोगों के सम्मान, एकता और राष्ट्रीय अखंडता को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस तरह यह अनुच्छेदों 14 और 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है।

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