सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, लखनऊ ने 24.28 करोड़ रु.(लगभग) की  दो अलग अलग बैंक धोखाधड़ी के मामलों में सात आरोपियों  को 03 से 07 वर्ष की कठोर कारावास (आरआई) के साथ-साथ संयुक्त रूप से 8.3 लाख रु. के जुर्माने की सजा सुनाई। 

पहले मामले में,  सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, लखनऊ ने इलाहाबाद बैंक को हानि पहुंचाने से संबन्धित बैंक धोखाधड़ी के मामले में आरोपी श्री राधा रमन बाजपेयी (तत्कालीन अधिकारी, इलाहाबाद बैंक) को 7 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 2 लाख रु. का जुर्माना; श्री रिकेश कुमार शुक्ला को 5 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 1.5 लाख रु. का जुर्माना एवं तीन आरोपियों यथा श्री गोपी नाथ टंडन (तत्कालीन विशेष सहायक, इलाहाबाद बैंक), श्री संजय सोमानी व  श्री दीपक सोमानी को 3 वर्ष की कठोर कारावास के साथ प्रत्येक पर एक लाख रु. के जुर्माने की सजा सुनाई।  

सीबीआई ने श्री संजय सोमानी एवं अन्यों  के विरुद्ध  दिनाँक 29.04.1994 को एक मामला  दर्ज किया जिसमे आरोप है कि दिनाँक 27.03.1992 से 16.01.1994 की अवधि के दौरान, श्री संजय सोमानी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा  और इलाहाबाद बैंक, फीलखाना शाखा, कानपुर के साथ 22.70 करोड़ रु.(लगभग) की धोखाधड़ी की। यह आरोप है  कि आरोपियों ने इलाहाबाद बैंक को सदोषपूर्ण हानि पहुंचाई  और उसी अनुरूप स्वयं  को लाभ पहुंचाया।

 इस मामले में सीबीआई ने दिनाँक  29.05.1998 को  आरोप पत्र दायर किया। विचारण के पश्चात,  अदालत  ने पांचों आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।

 दूसरे मामले में, सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, लखनऊ ने यूको बैंक को सदोषपूर्ण हानि पहुंचाने से संबन्धित बैंक धोखाधड़ी के मामले में तत्कालीन सहायक प्रबन्धक  श्री केके मेहता, यूको बैंक, हैल्सी रोड शाखा, कानपुर को 5 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 1.6 लाख रु. का जुर्माना तथा  श्री सुनील कुमार अग्रवाल (निजी व्यक्ति) को 3 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 20,000 रु. के जुर्माने की सजा सुनाई।  
 सीबीआई ने यूको बैंक, हैल्सी रोड शाखा, कानपुर के अधिकारियों  एवं कर्मचारियों के विरुद्ध दिनाँक 28.09.2005 को  तत्काल मामला दर्ज किया जिसमे आरोप है  कि अप्रैल 2003 से अप्रैल 2005 के दौरान आरोपियों ने यूको बैंक, अर्मापुर करेंसी चेस्ट शाखा, कानपुर को गलत प्रेषण(Remittances) दर्शाकर  1.58 करोड़ रु. (लगभग) का गबन किया। यह आरोप है कि आरोपियों ने यूको बैंक को सदोषपूर्ण हानि पहुंचाई और उसी अनुरूप स्वयं  को लाभ पहुंचाया।
 सीबीआई ने  दिनाँक 30.03.2007 को आरोप पत्र दायर किया। विचारण के पश्चात,  अदालत  ने दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया एवं उन्हे तदनुसार  सजा सुनाई।

 

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