सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, धारवाड़ (कर्नाटक) ने सीबीआई के एक मामले में श्री मोहम्मद अयूब, तत्कालीन परियोजना प्रबंधक, निर्मिति केंद्र, रायचूर (कर्नाटक) को आज दोषी ठहराया एवं 4 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 2 लाख रु. के जुर्माने की सजा सुनाई। मैसर्स निर्मिति केंद्र, ‘किफ़ायती भवन निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र (Cost Effective Building Materials & Technology Transfer Centre)’  हेतु भारत सरकार व कर्नाटक सरकार द्वारा संयुक्त रूप से प्रायोजित है।

माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय, गुलबर्गा पीठ के आदेश पर दिनाँक 13.05.2013 को आरोपी एवं अन्य अज्ञातों के विरुद्ध मामला दर्ज किया।

जाँच के पश्चात,  सीबीआई ने दोषी के विरुद्ध दिनाँक 23.12.2014 को आरोप पत्र दायर किया। जांच से पता चला कि श्री मोहम्मद अयूब ने वर्ष 2007-2012 की अवधि के दौरान, मैसर्स निर्मिति केंद्र, रायचूर के परियोजना प्रबंधक के रूप में काम करते हुए, अपने अधिकार से परे कार्य करके  एवं अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके, कर्नाटक सरकार द्वारा विभिन्न परियोजनाओं हेतु जारी धनराशि का अनुचित प्रयोग किया। आगे यह आरोप है कि उन्होंने विभिन्न बैंकों में कई एफडी एवं एसबी खाते खोले, जहां सरकार द्वारा जारी धनराशि जमा की गई थी और  विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर अंधाधुंध चेक जारी किए गए।  ऐसे गैरकानूनी कृत्यों के कारण, राज्य सरकार को 7.36 करोड़  रु. की  सदोषपूर्ण हानि हुई।  
     
विचारण के पश्चात, अदालत ने आरोपी को कसूरवार पाया एवं  उन्हें तदनुसार सजा सुनाई।

 

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