सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मुंबई ने बैंक को सदोषपूर्ण हानि पहुंचाने पर श्री रामचन्द्र श्रीधर जोशी, तत्कालीन मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, वॉकेश्वर रोड शाखा, मुंबई को दो अलग-अलग मामलों में क्रमशः दो वर्ष एवं  एक  वर्ष की कठोर कारावास के साथ-साथ दोनों मामलों में  कुल  4,37,500/- रु.जुर्माने की सजा सुनाई। 

पहले मामले में,  सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मुंबई ने श्री रामचन्द्र श्रीधर जोशी, तत्कालीन मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, वॉकेश्वर रोड शाखा, मुंबई को दो वर्ष  की कठोर कारावास एवं  3,00,000/- रु. के जुर्माने की सज़ा सुनाई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने श्री रामचन्द्र श्रीधर जोशी, तत्कालीन मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, वॉकेश्वर रोड शाखा, मुंबई एवं अन्यों के विरुद्ध  दिनाँक 12.05.1994 को वर्तमान  मामला दर्ज किया। यह आरोप है  कि कुल 10.50 करोड़ रु.(लगभग) की विभिन्न धनराशियों का गबन कर  बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ धोखाधड़ी के  लिए निजी व्यक्ति के साथ आपराधिक षड्यंत्र रचा और उक्त राशि को कपटपूर्ण तरीकों से आरोपी ने निजी व्यक्ति के खातों में पथांतरित(divert) कर दिया। इस प्रकार  बैंक को सदोषपूर्ण हानि हुई।

जांच के पश्चात, उक्त तत्कालीन मुख्य प्रबन्धक एवं निजी व्यक्ति सहित  दो आरोपियों के विरुद्ध  दिनाँक 27.12.1996 को आरोप पत्र को दायर किया गया। अदालत  ने विचारण  के बाद,  उक्त आरोपी को कसूरवार  पाया एवं  तदनुरूप उन्हें सजा सुनाई। विचारण  के दौरान,   अन्य आरोपी(निजी व्यक्ति) की मृत्यु हो जाने के कारण के उसके विरुद्ध मामला हटा लिया  गया।

दूसरे मामले में, सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मुंबई ने श्री रामचन्द्र श्रीधर जोशी, तत्कालीन मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, वॉकेश्वर रोड शाखा, मुंबई को एक वर्ष की  कठोर कारावास (आरआई) के साथ  1,37,500 रु. जुर्माने की सजा सुनाई।  सीबीआई ने श्री रामचन्द्र श्रीधर जोशी, तत्कालीन मुख्य प्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, वॉकेश्वर रोड शाखा, मुंबई एवं अन्यों के विरुद्ध मामला दर्ज किया। यह आरोप है  कि आरोपियों  ने बैंक ऑफ बड़ौदा, वॉकेश्वर रोड शाखा, मुंबई के साथ धोखाधड़ी  के लिए षड्यंत्र रचा एवं कपटपूर्ण तरीके से एक निजी व्यक्ति के खाते में उक्त राशि को पथांतरित(divert) कर 5 करोड़ रु. (लगभग) का गबन किया,  जिससे बैंक को सदोषपूर्ण हानि हुई। 

जांच के पश्चात,  आरोपी रामचन्द्र श्रीधर जोशी सहित  चार आरोपियों के विरुद्ध  दिनाँक 24.12.1996 को आरोप पत्र दायर किया गया। विचारण के पश्चात, उक्त आरोपी को कसूरवार  पाया एवं  तदनुसार उसे  सजा सुनाई गई। विचारण  के दौरान,  दो आरोपियों की मृत्यु  हो जाने के कारण उनके विरुद्ध  मामला हटा लिया  गया, जबकि एक अन्य आरोपी को आरोपमुक्त कर दिया गया

 

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