औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक (उपक्रमों का
अंतरण और निरसन) अधिनियम, 1997
(1997 का अधिनियम संख्यांक 7)
[19 मार्च, 1997]
भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रमों का कम्पनी
अधिनियम, 1956 के अधीन कंपनी के रूप में बनाई और
रजिस्ट्रीकृत की जाने वाली कंपनी को अंतरण करने
और उसमें निहित करने का तथा उससे संबंधित
या उसके आनुषंगिक विषयों का और
भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक
अधिनियम, 1984 का निरसन
करने का भी उपबंध
करने के लिए
अधिनियम
भारत गणराज्य के अड़तालीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
अध्याय 1
प्रारंभिक
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक (उपक्रमों का अन्तरण और निरसन) अधिनियम, 1997 है ।
(2) यह 24 जनवरी, 1997 को प्रवृत्त हुआ समझा जाएगा ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) नियत दिन" से वह तारीख अभिप्रेत है, जो केन्द्रीय सरकार धारा 3 के अधीन, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ;
(ख) कम्पनी" से कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के अधीन बनाया और रजिस्ट्रीकृत किया जाने वाला दि इंडस्ट्रीयल इन्वेस्टमेंट बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड अभिप्रेत है ;
(ग) पुनर्निर्माण बैंक" से भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 (1984 का 62) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अभिप्रेत है ।
अध्याय 2
पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रमों का कंपनी को अतंरण और उसमें निहित होना
3. पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रमों का कंपनी में निहित होना-ऐसी तारीख को जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा नियत करे, पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रम कंपनी को अंतरित हो जाएंगे और उसमें निहित हो जाएंगे ।
4. उपक्रमों का कंपनी में निहित होने का साधारण प्रभाव-(1) केन्द्रीय सरकार, नियत दिन से ठीक पूर्व पुनर्निर्माण बैंक की शेयरधारक होने के कारण, नियत दिन से ही कंपनी की शेयरधारक के रूप में रजिस्ट्रीकृत समझी जाएगी ।
(2) पुनर्निर्माण बैंक के उन उपक्रमों के बारे में जो धारा 3 के अधीन कंपनी को अंतरित हो गए हैं और उसमें निहित हो गए हैं, यह समझा जएगा कि उनके अंतर्गत सभी कारबार, आस्तियां, अधिकार, शक्तियां, प्राधिकार और विशेषाधिकार तथा किसी भी प्रकृति की और कहीं भी स्थित जंगम और स्थावर, वास्तविक और व्यक्तिगत, मूर्त और अमूर्त, कब्जाधीन या आरक्षण में की, वर्तमान या समाश्रित सभी संपत्तियां हैं, जिनके अन्तर्गत भूमि, भवन, यान, नकद अतिशेष, निक्षेप, विदेशी मुद्रा, प्रकटित और अप्रकटित आरक्षितियां, आरक्षित निधि, विशेष आरक्षित निधि, हितकारी आरक्षित निधि, कोई अन्य निधि, स्टाक, विनिधान, शेयर, बंधपत्र, डिबेंचर, प्रतिभूति, किसी औद्योगिक समुत्थान का प्रबन्ध, औद्योगिक समुत्थानों को दिए गए ऋण, अग्रिम और प्रत्याभूति, अभिधृतियां, पट्टे और बही ऋण तथा ऐसी संपत्ति से उत्पन्न होने वाले वे सभी अन्य अधिकार और हित, जो नियत दिन के ठीक पूर्व भारत में या भारत के बाहर उसके उपक्रमों के संबंध में पुनर्निर्माण बैंक के स्वामित्व, कब्जे या शक्ति में थे और उसे संबंधित सभी लेखा बहियां, रजिस्टर, अभिलेख और दस्तावेज हैं और यह भी समझा जाएगा कि उनके अंतर्गत, ऐसे सभी उधार, दायित्व और बाध्यतांए भी हैं, चाहे किसी भी प्रकार की हों, जो पुनर्निर्माण बैंक की भारत में या भारत के बाहर उसके उपक्रमों के संबंध में उस समय अस्तित्व में थी ।
(3) सभी संविदाएं, विलेख, बंधपत्र, प्रत्याभूतियां, मुख्तारनामे, अन्य लिखतें और काम करने के बारे में ठहराव जो नियत दिन के ठीक पूर्व अस्तित्वशील हैं और पुनर्निर्माण बैंक को प्रभावित कर रहे हैं, पुनर्निर्माण बैंक के विरुद्ध प्रभावी नहीं रहेंगे या प्रवर्तनीय नहीं होंगे और उस कंपनी के विरुद्ध या उसके पक्ष में, जिसमें पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रम इस अधिनियम के आधार पर निहित हुए हैं, पूर्ण बल रखेंगे और प्रभावी होंगे और पूर्ण रूप से और प्रभावी तौर पर इस प्रकार प्रवर्तनीय होंगे मानो पुनर्निर्माण बैंक के बजाय वहां कंपनी को नामित किया गया था या वह उसमें एक पक्षकार थी ।
(4) कोई कार्यवाही या वाद हेतुक, जो नियत दिन के ठीक पूर्व पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रमों के संबंध में उसके द्वारा या उसके विरुद्ध लंबित या विद्यमान था, नियत दिन से उस कंपनी द्वारा या उसके विरुद्ध, जिसमें इस अधिनियम के आधार पर पुनर्निर्माण बैंक के उपक्रम निहित हो गए हैं, उसी प्रकार जारी रहेगा और प्रवर्तित किया जाएगा जिस प्रकार वह पुनर्निर्माण बैंक द्वारा या उसके विरुद्ध तब प्रवर्तित किया गया होता जब यह अधिनियम अधिनियमित न किया गया होता और पुनर्निर्माण बैंक द्वारा या उसके विरुद्ध प्रवर्तनीय नहीं रहेगा ।
5. पुनर्निर्माण बैंक के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के बारे में उपबंध-(1) पुनर्निर्माण बैंक का प्रत्येक अधिकारी या अन्य कर्मचारी (बोर्ड के निदेशक या अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को छोड़कर) जो नियत दिन के ठीक पूर्व उसके नियोजन में कार्यरत हैं, जहां तक ऐसा अधिकारी या अन्य कर्मचारी उन उपक्रमों के संबंध में, जो इस अधिनियम के आधार पर कंपनी में निहित हो गए हैं, नियोजित है, नियत दिन से कंपनी का, यथास्थिति, अधिकारी या अन्य कर्मचारी हो जाएगा और उसी अवधि तक, उसी पारिश्रमिक पर, उन्हीं निबंधनों और शर्तों पर, उन्हीं बाध्यताओं के साथ तथा छुट्टी, छुट्टी भाड़ा रियायत, कल्याण स्कीम, चिकित्सा प्रसुविधा स्कीम, बीमा, भविष्य निधि, अन्य निधि, सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, उपदान और अन्य फायदों के बारे में उन्हीं अधिकारों और विशेषाधिकारों के साथ उसमें अपना पद या सेवा धारण करेगा जो वह पुनर्निर्माण बैंक के अधीन उस दशा में धारण करता यदि उसका उपक्रम कंपनी में निहित नहीं हुआ होता और वह कंपनी के, यथास्थिति, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के रूप में ऐसा करता रहेगा या नियत दिन से छह मास की अवधि के समाप्त हो जाने तक, यदि ऐसा अधिकारी या अन्य कर्मचारी उस अवधि के भीतर कंपनी का अधिकारी या अन्य कर्मचारी न बने रहने का विकल्प देता है, ऐसा करता रहेगा ।
(2) जहां पुनर्निर्माण बैंक का कोई अधिकारी या अन्य कर्मचारी उपधारा (1) के अधीन कंपनी के नियोजन या सेवा में न रहने का विकल्प देता है, वहां ऐसे अधिकारी या अन्य कर्मचारी के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने त्यागपत्र दे दिया है ।
(3) औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 (1947 का 14) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, पुनर्निर्माण बैंक के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी की सेवाओं का कंपनी को अंतरण, ऐसे अधिकारी या अन्य कर्मचारी को इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन किसी प्रतिकर का हकदार नहीं बनाएगा और ऐसा कोई दावा किसी न्यायालय, अधिकरण या अन्य प्राधिकरण द्वारा ग्रहण नहीं किया जाएगा ।
(4) ऐसे अधिकारी या अन्य कर्मचारी, जो नियत दिन के पूर्व पुनर्निर्माण बैंक की सेवा से सेवानिवृत्त हो गए हैं, और जो किन्हीं प्रसुविधाओं, अधिकारों या विशेषाधिकारों के हकदार हैं, कंपनी से ऐसी प्रसुविधाएं, अधिकार और विशेषाधिकार पाने के हकदार होंगे ।
(5) पुनर्निर्माण बैंक के भविष्य-निधि या उपदान निधि संबंधी न्यास और अधिकारियों या कर्मचारियों के कल्याण के लिए सृजित कोई अन्य निकाय कंपनी में वैसे ही अपने कृत्यों का निर्वहन करते रहेंगे जैसे कि वे पुनर्निर्माण बैंक में किया करते थे और भविष्य निधि या उपदान निधि के संबंध में दी गई कोई कर-छूट कंपनी की बाबत लागू रहेगी ।
(6) इस अधिनियम या कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में या पुनर्निर्माण बैंक के विनियमों में किसी बात के होते हुए भी, ऐसा कोई भी बोर्ड का निदेशक, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक या कोई अन्य व्यक्ति, जो पुनर्निर्माण बैंक के कारबार और कार्यकलापों के संपूर्ण या सारवान् भाग का प्रबंध करने का हकदार है, पुनर्निर्माण बैंक या कंपनी के विरुद्ध पद की हानि या पुनर्निर्माण बैंक के साथ उसके द्वारा की गई किसी प्रबंध संविदा के समय से पूर्व पर्यवसान की बाबत किसी प्रतिकर का हकदार नहीं होगा ।
अध्याय 3
प्रकीर्ण
6. रियायतों आदि का कम्पनी को दिया गया समझा जाना-नियत दिन से, तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन पुनर्निर्माण बैंक के कार्यकलाप और कारबार के संबंध में पुनर्निर्माण बैंक को दी गई सभी वित्तीय और अन्य रियायतें, अनुज्ञप्तियां, फायदे, विशेषाधिकार और छूटें, कम्पनी को दी गई समझी जाएंगी ।
7. कर-छूट या फायदे का प्रभावशील बने रहता-(1) आय-कर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) या आय, लाभ या अभिलाभ पर कर, से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियमिति में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कम्पनी, व्युत्पन्न किसी आय, लाभ या अभिलाभ अथवा कम्पनी द्वारा प्राप्त की गई किसी रकम की बाबत, नियत दिन से संगणित पांच वर्ष की अवधि के लिए आय-कर या किसी अन्य कर के संदाय के लिए दायी नहीं होगी ।
(2) धारा 3 के निबंधनों के अनुसार उपक्रम या उसके किसी भाग के अन्तरण और निहित किए जाने का अर्थ पूंजी अभिलाभ के प्रयोजनों के लिए, आय-कर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) के अर्थान्तर्गत अन्तरण के रूप में नहीं लगाया जाएगा ।
8. प्रत्याभूति का प्रवर्तन में बने रहना-पुनर्निर्माण बैंक के संबंध में या उसके पक्ष में किसी ऋण, पट्टा, वित्तपोषण या अन्य सहायता की बाबत दी गई कोई प्रत्याभूति कंपनी के संबंध में प्रवर्तन में बनी रहेगी ।
9. निदेशकों की नियुक्ति पर कम्पनी के साथ ठहरावों का अभिभावी होना-(1) जहां कम्पनी द्वारा किसी औद्योगिक या अन्य समुत्थान के साथ किए गए किसी ठहराव में ऐसे समुत्थान के एक या अधिक निदेशकों की कम्पनी द्वारा नियुक्ति के लिए उपबन्ध किया गया है, वहां ऐसा उपबन्ध और उसके अनुसरण में की गई निदेशकों की कोई नियुक्ति, कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अथवा ऐसे समुत्थान से संबंधित, ज्ञापन, संगम-अनुच्छेदों या किसी अन्य लिखत में किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, विधिमान्य और प्रभावी होगी और पूर्वोक्त ऐसी किसी विधि या लिखत में अन्तर्विष्ट शेयर धारण अर्हता, आयु सीमा, निदेशक पद संख्या, निदेशक के पद से हटाए जाने तथा इसी प्रकार की अन्य शर्तों से संबंधित कोई उपबंध किसी ऐसे निदेशक को लागू नहीं होगा जो कंपनी द्वारा पूर्वोक्त ठहराव के अनुसरण में नियुक्त किया गया है ।
(2) उपधारा (1) के अनुसरण में नियुक्त किया गया कोई निदेशक-
(क) कंपनी के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेगा और कंपनी द्वारा लिखित आदेश द्वारा हटाया या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकेगा ;
(ख) उसके केवल निदेशक होने के कारण ही या निदेशक के रूप में अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सद्भावपूर्वक की गई या करने में लोप की गई किसी बात के लिए या उससे संबंधित किसी बात के लिए कोई बाध्यता या दायित्व उपगत नहीं करेगा ;
(ग) चक्रानुक्रम द्वारा सेवानिवृत्ति के लिए दायी नहीं होगा और ऐसी सेवानिवृत्ति के लिए दायी निदेशकों की संख्या की संगणना करने में हिसाब में नहीं लिया जाएगा ।
10. 1891 के अधिनियम 18 का कंपनी की बहियों को लागू होना-कंपनी, बैंककार बही साक्ष्य अधिनियम, 1891 के प्रयोजनों के लिए बैंक समझा जाएगा ।
11. शेयरों, बंधपत्रों और डिबेंचरों का अनुमोदित प्रतिभूतियां समझा जाना-तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी कंपनी के शेयर, बंधपत्र और डिबेंचर भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2), बीमा अधिनियम, 1938 (1938 का 4) । । । के प्रयोजनों के लिए अनुमोदित प्रतिभूतियां समझे जाएंगे ।
12. अधिनियमों, नियमों या विनियमों में पुनर्निर्माण बैंक के स्थान पर कम्पनी का प्रतिस्थापन-नियत दिन को प्रवृत्त प्रत्येक अधिनियम, नियम या विनियम में, -
(क) भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक" शब्दों के स्थान पर, जहां-जहां भी वे आते हैं, इण्डस्ट्रीयल इन्वेस्टमेंट बैंक ऑफ इण्डिया लिमिटेड" शब्द रखे जाएंगे;
(ख) पुनर्निर्माण बैंक" शब्दों के स्थान पर जहां-जहां भी वे आते हैं, इण्डस्ट्रीयल इन्वेस्टमेंट बैंक" शब्द रखे जाएंगे ।
13. 1984 के अधिनियम 62 का निरसन और व्यावृत्ति-(1) नियत दिन को, भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 निरसित हो जाएगा ।
(2) भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 का निरसन होते हुए भी,-
(क) कंपनी, जहां तक हो सके, पुनर्निर्माण बैंक के वार्षिक लेखा और संपरीक्षा से संबंधित किन्हीं प्रयोजनों के लिए इस प्रकार निरसित अधिनियम के अध्याय 7 के उपबंधों का अनुपालन करेगी ;
(ख) इस प्रकार निरसित अधिनियम के अध्याय 8 के उपबन्ध, उसकी धारा 18 के अधीन पुनर्निर्माण बैंक द्वारा किसी औद्योगिक समुत्थान के साथ किए गए ठहराव के संबंध में नियत दिन तक लागू होते रहेंगे और कंपनी, उस पर पूर्ण रूप से और प्रभावी तौर पर कार्यवाही करने और प्रवर्तन कराने की उसी प्रकार हकदार होगी, मानो यह अधिनियम अधिनियमित ही न किया गया हो ।
अध्याय 4
भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक अधिनियम, 1984 का संशोधन
। । । । । । ।
15. निरसन और व्यावृत्ति-(1) औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक (उपकमों का अन्तरण और निरसन) अध्यादेश, 1997(1997 का अध्यादेश संख्यांक 7) इसके द्वारा निरसित किया जाता है ।
(2) ऐसे निरसन के होते हुए भी, इस प्रकार निरसित अध्यादेश के अधीन की गई कोई बात या कार्रवाई इस अधिनियम के तत्स्थानी उपबन्धों के अधीन की गई समझी जाएगी ।
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