आप्रवासी (आसाम से निष्कासन)
अधिनियम, 1950
(1950 का अधिनियम संख्यांक 10)
[1 मार्च, 1950]
कतिपय आप्रवासियों के आसाम से
निष्कासन का उपबन्ध
करने के लिए
अधिनियम
संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
1. संक्षिप्त नाम और विस्तार-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम आप्रवासी (आसाम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 है ।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है ।
2. कतिपय आप्रवासियों के निष्कासन का आदेश देने की शक्ति-यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय है कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का कोई वर्ग, जो भारत से बाहर के किसी स्थान में साधारणतया निवासी रहा है, इस अधिनियम के प्रारम्भ से पू्र्व या उसके पश्चात् आसाम में आ गया है, और ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग का आसाम में ठहरना भारत के जन-साधारण के लिए, अथवा उसके किसी वर्ग के लिए, अथवा आसाम में किसी अनुसूचित जनजाति के लिए अहितकर है तो, केन्द्रीय सरकार आदेश द्वारा,-
(क) यह निदेश दे सकेगी कि ऐसा व्यक्ति या व्यक्तियों का वर्ग उतनी अवधि के भीतर जितनी, और ऐसे मार्ग से, जो आदेश में विनिर्दिष्ट हो, अपने को भारत से या आसाम से हटा ले ; और
(ख) भारत या आसाम से उसके हटाए जाने के बारे में ऐसे अतिरिक्त निदेश दे सकेगी जिन्हें वह आवश्यक या समीचीन समझे :
परन्तु इस धारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी, जिसे किसी ऐसे क्षेत्र में, जो अब पाकिस्तान का भाग है, नागरिक उपद्रवों या ऐसे उपद्रवों के भय के कारण उस क्षेत्र में अपने निवास-स्थान से विस्थापित कर दिया गया है या जिसने उस क्षेत्र में निवास करना छोड़ दिया है और तत्पश्चात् आसाम में निवास करने लगा है ।
3. शक्तियों का प्रत्योजन-केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, यह निदेश दे सकेगी कि धारा 2 द्वारा उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग और अधिरोपित कर्तव्यों का निर्वहन ऐसी शर्तों के, यदि कोई हों, अधीन रहते हुए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं,-
(क) केन्द्रीय सरकार के अधीनस्थ किसी अधिकारी द्वारा ;
(ख) [ [आसाम, मेघालय या नागालैंड] की सरकार] या उस सरकार के अधीनस्थ किसी अधिकारी द्वारा भी किया जा सकेगा ।
4. आदेश को प्रभावी करने की शक्ति, आदि-इस अधिनियम के उपबन्धों द्वारा या उनके अनुसरण में किसी शक्ति का प्रयोग करने के लिए सशक्त कोई प्राधिकारी, अन्य ऐसी कार्रवाई के साथ-साथ जो इस अधिनियम में स्पष्टतः उपबन्धित है, वे उपाय भी कर सकता है या करा सकता है जो ऐसी शक्ति के प्रभावपूर्ण प्रयोग के लिए, उसकी राय में, उचित रूप से आवश्यक हों ।
5. शास्तियां-कोई व्यक्ति, जो-
(क) धारा 2 के अधीन किए गए किसी आदेश का उल्लंघन करेगा या उल्लंघन करने का प्रयत्न करेगा या उल्लंघन को दुष्प्रेरित करेगा, अथवा
(ख) ऐसे किसी आदेश द्वारा दिए गए किसी निदेश का अनुपालन नहीं करेगा, अथवा
(ग) किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसने धारा 2 के अधीन किए गए किसी आदेश का उल्लंघन किया है या ऐसे किसी आदेश द्वारा दिए गए किसी निदेश का अनुपालन नहीं किया है, शरण देगा,
वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा और जुर्माने का दायी भी होगा ।
6. इस अधिनियम के अधीन काम करने वाले व्यक्तियों का परित्राण-कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी व्यक्ति के विरुद्ध किसी भी ऐसी बात के लिए नहीं होगी, जो इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिए आशयित हो ।
[7. असम के प्रति निर्देश का अर्थान्वयन-धारा 3 के सिवाय इस अधिनियम में असम के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि [मेघालय तथा नागालैंड के राज्य और अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम के संघ राज्यक्षेत्रों,] के प्रति निर्देश भी इसमें हैं ।]
____