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आन्ध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अन्तरण) अधिनियम, 1968 ( Andhra Pradesh and Mysore (Transfer of Territory) Act, 1968 )


 

आन्ध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अन्तरण)

अधिनियम, 1968

(1968 का अधिनियम संख्यांक 36)

[22 अगस्त, 1968]

मैसूर राज्य से आन्ध्र प्रदेश राज्य को कुछ राज्यक्षेत्र अन्तरित करने का उपबन्ध

करने और उससे संबद्ध मामलों के लिए

                                  अधिनियम            

भारत गणराज्य के उन्नीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-

1. संक्षिप्त नाम-यह अधिनियम आन्ध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अन्तरण) अधिनियम, 1968 कहा जा सकेगा ।

2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-

(क) “नियत दिन" से अक्तूबर, 1968 का पहला दिन अभिप्रेत है ;

(ख) “सभा निर्वाचन-क्षेत्र", परिषद् निर्वाचन-क्षेत्र" और संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र" के वे ही अर्थ हैं जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (1950 का 43) में हैं ;

(ग) संसद् के या किसी राज्य के विधान-मण्डल के दोनों सदनों में से किसी के सम्बन्ध में आसीन सदस्य" से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जो नियत दिन के ठीक पहले उस सदन का सदस्य हो ; 

(घ) “अन्तरित राज्यक्षेत्र" से वह राज्यक्षेत्र अभिप्रेत है जो अनुसूची में विनिर्दिष्ट है और मैसूर राज्य से आन्ध्र प्रदेश राज्य को धारा 3 द्वारा अन्तरित किया गया है ।

3. मैसूर से आन्ध्र प्रदेश को राज्यक्षेत्र का अन्तरण-(1) अनुसूची में विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्र आन्ध्र प्रदेश राज्य में नियत दिन से जोड़ दिया जाएगा और तब वह मैसूर राज्य का भाग नहीं रह जाएगा ।

(2) अन्तरित राज्यक्षेत्र आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनन्तपुर जिले के हिन्दूपुर तालुके मे सम्मिलित किया जाएगा और उसका      भाग होगा ।

(3) उपधारा (2) की किसी बात से यह न समझा जाएगा कि वह आन्ध्र प्रदेश राज्य के किसी जिले या तालुके के नाम, विस्तार या सीमाओं में कोई परिवर्तन, नियत दिन के पश्चात् करने की राज्य सरकार की शक्ति पर प्रभाव डालती है ।

4. संविधान की प्रथम अनुसूची का संशोधन-नियत दिन से संविधान की प्रथम अनुसूची में, 1. राज्य" शीर्ष के नीचे,-

(क) “1. आन्ध्र प्रदेश" के सामने की प्रविष्टि के स्थान पर निम्नलिखित रखा जाएगा, अर्थात् :-

“वे राज्यक्षेत्र, जो आन्ध्र प्रदेश राज्य अधिनियम, 1953 की धारा 3 की उपधारा (1) में, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 3 की उपधारा (1) में, आन्ध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा परिवर्तन) अधिनियम, 1959 की प्रथम अनुसूची में और आन्ध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अन्तरण) अधिनियम, 1968 की अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, किन्तु वे राज्यक्षेत्र, जो आन्ध्र प्रदेश और मद्रास (सीमा परिवर्तन) अधिनियम, 1959 की द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, इससे अपवर्जित हैं ।" ; तथा

(ख) “9. मैसूर" के सामने की प्रविष्टि में राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956" शब्द और अंक के पश्चात् किन्तु वह राज्यक्षेत्र जो आन्ध्र प्रदेश और मैसूर (राज्यक्षेत्र अन्तरण) अधिनियम, 1968 की अनुसूची में विनिर्दिष्ट है, इससे अपवर्जित हैं" शब्द, कोष्ठक और अंक अन्तःस्थापित किए जाएंगे ।

5. संसदीय और सभा निर्वाचन-क्षेत्रों का विस्तार-अन्तरित राज्यक्षेत्र मैसूर राज्य के मधुगिरि संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र और बागेपल्ली सभा निर्वाचन-क्षेत्र का, जैसे कि वे परिसीमन आयोग अधिनियम, 1962 (1962 का 61) की धारा 10 के अधीन किए गए परिसीमन आयोग के आदेश संख्या 11 में परिसीमित किए गए थे, भाग, नियत दिन से न रह जाएगा और आन्ध्र प्रदेश राज्य में हिन्दूपुर संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र और हिन्दूपुर सभा निर्वाचन-क्षेत्र का, जैसे कि वे उक्त धारा के अधीन किए गए परिसीमन आयोग के आदेश संख्या 3 में परिसीमित किए गए थे, भाग बन जाएगा ।

6. संसद् के और विधान सभाओं के आसीन सदस्यों के सम्बन्ध में उपबन्ध-(1) आन्ध्र प्रदेश राज्य में हिन्दूपुर संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र और मैसूर राज्य में मधुगिरि संसदीय निर्वाचन-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक सभा के आसीन सदस्य, उन निर्वाचन-क्षेत्रों के विस्तार में इस अधिनियम के उपबन्धों के आधार पर हुए परिवर्तन के होते हुए भी, लोक सभा के सदस्य बनें रहेंगे ।

(2) हिन्दूपुर सभा निर्वाचन-क्षेत्र और बागेपल्ली सभा निर्वाचन-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले क्रमशः आन्ध्र प्रदेश और मैसूर विधान सभाओं के आसीन सदस्य, उन निर्वाचन-क्षेत्रों के विस्तार में इस अधिनियम के उपबन्धों के आधार पर हुए परिवर्तन के होते हुए भी, उक्त सभाओं के सदस्य बने रहेंगे ।

7. परिषद् निर्वाचन-क्षेत्रों का विस्तार-(1) परिषद् निर्वाचन-क्षेत्र परिसीमन (आन्ध्र प्रदेश) आदेश, 1957 में अनन्तपुर जिले के प्रति किसी भी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अन्तर्गत वह राज्यक्षेत्र भी है जो मैसूर राज्य से उस जिले को अन्तरित किया गया है ।

(2) परिषद् निर्वाचन-क्षेत्र परिसीमन (मैसूर) आदेश, 1951 में कोलार जिले के प्रति किसी भी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसमें से वह राज्यक्षेत्र अपवर्जित है जो उस जिले में से आन्ध्र प्रदेश राज्य को अन्तरित किया गया है ।

8. विधान परिषदों के आसीन सदस्य-आन्ध्र प्रदेश की या मैसूर की विधान परिषद् के प्रत्येक आसीन सदस्य के बारे में, जो ऐसे परिषद् निर्वाचन-क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है जिसके विस्तार में धारा 7 के आधार पर परिवर्तन किया गया है, नियत दिन से यह समझा जाएगा कि वह उस यथापरिवर्तित निर्वाचन-क्षेत्र द्वारा उक्त परिषद् के लिए निर्वाचित हुआ है ।

9. आन्ध्र प्रदेश में उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार-(1) नियत दिन से,-

(क) आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार अन्तरित राज्यक्षेत्र पर होगा ; तथा

(ख) मैसूर उच्च न्यायालय को उक्त राज्यक्षेत्र की बाबत कोई भी अधिकारिता न होगी ।

                (2) अन्तरित राज्यक्षेत्र से संबंधित कोई कार्यवाही नियत दिन के ठीक पहले मैसूर उच्च न्यायालय में लम्बित हो तो,    उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, उस उच्च न्यायालय द्वारा ऐसी कार्यवाही की सुनवाई की जाएगी और उसे निपटाया   जाएगा ।

                (3) ऐसी किसी कार्यवाही में, जिसकी बाबत उपधारा (2) के आधार पर मैसूर उच्च न्यायालय अधिकारिता का प्रयोग करता है, उस उच्च न्यायालय द्वारा किया गया कोई भी आदेश सभी प्रयोजनों के लिए न केवल मैसूर उच्च न्यायालय के आदेश के रूप में किन्तु आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा किए गए आदेश के रूप में भी प्रभावी होगा ।

                (4) इस धारा के प्रयोजनों के लिए-

(क) मैसूर उच्च न्यायालय में कार्यवाहियां तब तक लम्बित समझी जाएंगी जब तक उस न्यायालय ने पक्षकारों के बीच के सभी विवाद्यकों को, जिनके अन्तर्गत कार्यवाहियों के खर्चों के विनिर्धारण की बाबत विवाद्यक भी हैं, निपटा न दिया हो, और उनके अन्तर्गत अपीलें, उच्च न्यायालय में अपील करने की इजाजत के लिए आवेदन, पुनर्विलोकन के लिए आवेदन, पुनरीक्षण के लिए अर्जियां और रिटों के लिए अर्जियां भी होंगी ;

(ख) उच्च न्यायालय के प्रति निर्देशों का अर्थ यह लगाया जाएगा कि उनके अन्तर्गत उसके न्यायाधीश या खण्ड न्यायालय के प्रति निर्देश भी हैं तथा न्यायालय या न्यायाधीश द्वारा किए गए आदेश के प्रति निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उनके अन्तर्गत उस न्यायालय या न्यायाधीश द्वारा पारित या किए गए दण्डादेश, निर्णय या डिक्री के प्रति          निर्देश भी हैं ।

10. अन्तरित राज्यक्षेत्र में व्यय के लिए विद्यमान विनियोग अधिनियमों के अधीन धन का विनियोग-नियत दिन से कोई ऐसा अधिनियम, जिसे आन्ध्र प्रदेश विधान-मण्डल ने वित्तीय वर्ष 1968-1969 के किसी भी भाग की बाबत कोई व्यय करने के लिए राज्य की संचित निधि में से किसी धन का विनियोग करने के लिए उस दिन से पूर्व पारित किया हो, अन्तरित राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में भी प्रभावी होगा और राज्य सरकार के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वह उस राज्यक्षेत्र के लिए कोई भी रकम उस रकम में से खर्च करे जो ऐसे अधिनियम द्वारा उस राज्य में किन्हीं सेवाओं के लिए व्यय किए जाने के लिए प्राधिकृत हो ।

11. आस्तियां और दायित्व-(1) अन्तरित राज्यक्षेत्र में की सभी भूमि, और सभी भंडार, वस्तुएं तथा अन्य माल, जो मैसूर राज्य के हैं, नियत दिन से, आन्ध्र प्रदेश राज्य को संक्रान्त हो जाएंगे ।

स्पष्टीकरण-इस उपधारा में, भूमि" शब्द के अन्तर्गत प्रत्येक प्रकार की स्थावर सम्पत्ति और ऐसी सम्पत्ति में या उस पर कोई अधिकार भी हैं और “माल" शब्द के अन्तर्गत सिक्के, बैंक  नोट और करेन्सी नोट नहीं हैं ।

(2) वे सभी अधिकार, दायित्व और बाध्यताएं, जो अन्तरित राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में मैसूर राज्य की हैं, चाहे वे किसी संविदा से उद्भूत हों या अन्यथा, नियत दिन से, आन्ध्र प्रदेश राज्य के क्रमशः अधिकार, दायित्व और बाध्यताएं हो जाएंगी ।

12. राज्य वित्तीय निगम और राज्य विद्युत बोर्ड- नियत दिन से-

(क) मैसूर और आन्ध्र प्रदेश राज्यों के लिए राज्य वित्तीय निगम अधिनियम, 1951 (1951 का 63) के अधीन गठित वित्तीय निगमों के बारे में ; तथा

(ख) उक्त राज्यों के लिए विद्युत (प्रदाय) अधिनियम, 1948 (1948 का 54) के अधीन गठित राज्य विद्युत बोर्डों के बारे में,

यह समझा जाएगा कि वे धारा 3 के उपबन्धों द्वारा यथापरिवर्तित क्षेत्रों वाले उन राज्यों के लिए गठित किए गए हैं ।

13. विधियों का विस्तारण-नियत दिन के ठीक पहले जिन विधियों का विस्तार आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनन्तपुर जिले के हिन्दूपुर तालुके पर हो या जो वहां प्रवृत्त हो किन्तु जिनका विस्तार अन्तरित राज्यक्षेत्र पर न हो या जो वहां प्रवृत्त न हो, यथास्थिति, उस तारीख से, उनका विस्तार अन्तरित राज्यक्षेत्र पर हो जाएगा या वे वहां प्रवृत्त हो जाएंगी और वे सभी विधियां, जो नियत दिन के ठीक पहले अन्तरित राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त हों किन्तु आन्ध्र प्रदेश राज्य के अनन्तपुर जिले के हिन्दूपुर तालुके में प्रवृत्त न हों, अन्तरित राज्यक्षेत्र में, उन बातों के बारे में के सिवाय जो उस तारीख से पूर्व की गई या किए जाने से छोड़ दी गई हों, उस तारीख को प्रवृत्त न रह जाएंगी । 

 स्पष्टीकरण-इस अधिनियम में विधि" के अन्तर्गत ऐसी कोई अधिनियमिति, अध्यादेश, विनियम, आदेश, उपविधि, नियम, स्कीम, अधिसूचना या अन्य लिखत भी है, जो सम्पूर्ण आन्ध्र प्रदेश या मैसूर राज्य में या उनके किसी भी भाग में विधि का बल रखती है । 

14. विधियों का अर्थान्वयन करने की शक्ति-अन्तरित राज्यक्षेत्र पर धारा 13 द्वारा विस्तारित किसी विधि को प्रवृत्त करने के लिए अपेक्षित या सशक्त कोई न्यायालय, अधिकरण या प्राधिकारी, अन्तरित राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में उस विधि को लागू करने को सुकर बनाने के प्रयोजन के लिए उस विधि का, उसके सार पर प्रभाव डाले बिना, इस प्रकार से अर्थान्वयन कर सकेगा जैसा न्यायालय, अधिकरण या प्राधिकारी के समक्ष के मामले के सम्बन्ध में आवश्यक या उचित हो ।

15. विधिक कार्यवाहियां-जहां इस अधिनियम के अधीन आन्ध्र प्रदेश राज्य को अन्तरित किसी सम्पत्ति, अधिकारों या दायित्वों विषयक किन्हीं विधिक कार्यवाहियों में मैसूर राज्य नियत दिन के ठीक पहले पक्षकार हो वहां यह समझा जाएगा कि, यथास्थिति, मैसूर राज्य के स्थान पर आन्ध्र प्रदेश राज्य उन कार्यवाहियों के पक्षकार के रूप में प्रतिस्थापित किया गया है या उसके पक्षकार के रूप में जोड़ दिया गया है और वे कार्यवाहियां तद्नुसार चलती रह सकेंगी ।

16. लम्बित कार्यवाहियों का अन्तरण-(1) प्रत्येक कार्यवाही, जो (उच्च न्यायालय से भिन्न) किसी न्यायालय, अधिकरण, प्राधिकारी या अधिकारी के समक्ष किसी ऐसे क्षेत्र में जो नियत दिन को मैसूर राज्य में पड़ता हो, उस दिन के ठीक पहले लम्बित हो, उस दशा में जब वह ऐसी कार्यवाही हो जो अन्तरित राज्यक्षेत्र के किसी भाग से अनन्यतः सम्बद्ध हो, आन्ध्र प्रदेश राज्य के तत्स्थानी न्यायालय, अधिकरण, प्राधिकारी या अधिकारी को अन्तरित हो जाएगी ।

(2) यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई कार्यवाही उपधारा (1) के अधीन अन्तरित होनी चाहिए या नहीं तो उसे मैसूर उच्च न्यायालय को निर्देशित किया जाएगा और उस उच्च न्यायालय का विनिश्चय अन्तिम होगा ।

(3) इस धारा में, -

(क) “कार्यवाही" के अन्तर्गत कोई वाद, मामला या अपील भी है, तथा

(ख) “आन्ध्र प्रदेश राज्य के तत्स्थानी न्यायालय, अधिकरण, प्राधिकारी या अधिकारी" से-

(1) वह न्यायालय, अधिकरण, प्राधिकारी या अधिकारी अभिप्रेत है जिसमें या जिसके समक्ष वह कार्यवाही उस दशा में की जाती जब वह नियत दिन के पश्चात् संस्थित की गई होती, अथवा

(2) शंका की दशा में उस राज्य का ऐसा न्यायालय, अधिकरण, प्राधिकारी या अधिकारी अभिप्रेत है जिसे नियत दिन के पश्चात् आन्ध्र प्रदेश सरकार द्वारा या नियत दिन के पहले मैसूर सरकार द्वारा तत्स्थानी न्यायालय, अधिकरण, प्राधिकारी या अधिकारी अवधारित किया जाए ।

17. अन्य विधियों से असंगत उपबन्धों का प्रभाव-इस अधिनियम के उपबन्ध इस बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे कि उनसे असंगत कोई बात किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट है ।

18. कठिनाइयां दूर करने की शक्ति-यदि इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई (जिसके अन्तर्गत कोई ऐसी कठिनाई भी है जो एक विधि से दूसरी विधि को धारा 13 के अधीन संक्रमण होने से होती है), उत्पन्न हो तो, राष्ट्रपति आदेश द्वारा कोई ऐसी बात कर सकेगा जो इस अधिनियम के उपबन्धों से असंगत न हो और उस कठिनाई को दूर करने के लिए उसे आवश्यक प्रतीत हो ।

19. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभावी करने के लिए नियम, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी ।

 [(2) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडे़गा ।]

 

अनुसूची

[धाराएं (2घ) और 3 देखिए]

मैसूर राज्य से आन्ध्र प्रदेश राज्य को अन्तरित राज्यक्षेत्र

कोलार जिले में बागेपल्ली तालुके के अबाकावरीपल्ली" गांव के सर्वेक्षण संख्या 19 में समाविष्ट क्षेत्र ।

                                                                                   _____

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