खान और खनिज [(विकास और विनियमन)] अधिनियम, 1957
(1957 का अधिनियम संख्यांक 67)
[28 दिसम्बर, 1957]
संघ के नियंत्रण के अधीन [खानों और खनिजों
के विकास और विनियमन]
का उपबन्ध के लिए
अधिनियम
भारत गणराज्य के आठवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
प्रारंभिक
1. सक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ-(1) यह अधिनियम खान और खनिज 1[(विकास और विनियमन)] अधिनियम, 1957 कहा जा सकेगा ।
(2) इसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियत करे ।
2. संघ नियंत्रण की समीचीनता की घोषणा-एतद्द्वारा यह घोषित किया जाता है कि लोकहित में यह समीचीन है कि खानों का विनियमन और खनिजों का विकास इसमें इसके पश्चात् उपबंधित विस्तार तक संघ अपने नियंत्रण में ले ले ।
3. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
[(क) पट्टाधीन क्षेत्र" से खनन पट्टा में विनिर्दिष्ट ऐसा क्षेत्र अभिप्रेत है, जिसके भीतर खनन संक्रियाएं की जा सकती हैं और इसके अंतर्गत खंड (झ) में यथानिर्दिष्ट खान की परिभाषा के अधीन आने वाले क्रियाकलापों के लिए अपेक्षित और अनुमोदित गैर-खनिज क्षेत्र भी है ;
(कक) खनिजों" के अंतर्गत खनिज तेलों के सिवाय सभी खनिज आते हैं ;]
(ख) खनिज तेल" के अंतर्गत प्राकृतिक गैस और पैट्रोलियम भी है ;
(ग) खनन पट्टा" से खनन संक्रियाओं का उपक्रम करने के प्रयोजनार्थ अनुदत्त पट्टा अभिप्रेत है और ऐसे प्रयोजनार्थ अनुदत्त उप-पट्टा इसके अंतर्गत है ;
(घ) खनन संक्रियाएं" से किसी खनिज को लक्ष्य करने के प्रयोजनार्थ की गई कोई भी संक्रियाएं अभिप्रेत हैं ;
(ङ) गौण खनिज" से इमारती पत्थर, बजरी, मामूली मृत्तिका, विहित प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली बालू से भिन्न मामूली बालू और कोई अन्य ऐसा खनिज अभिप्रेत है जिसे केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा गौण खनिज घोषित करे ;
[(ङक) अधिसूचित खनिज" से चौथी अनुसूची में विनिर्दिष्ट खनिज अभिप्रेत है ;]
(च) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;
(छ) पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति" से पूर्वेक्षण संक्रियाओं का उपक्रम करने के प्रयोजनार्थ अनुदत्त अनुज्ञप्ति अभिप्रेत है ;
[(छक) पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा" से खनन संक्रियाओं के पश्चात् पूर्वोक्षण संक्रियाएं करने के प्रयोजन के लिए अनुदत्त दो स्तरीय रियायत अभिप्रेत है ;]
(ज) पूर्वेक्षण संक्रियाएं" से ऐसी संक्रियाएं अभिप्रेत हैं जिनका उपक्रम खनिज निक्षेपों की खोज करने, उनका स्थान-निर्धारण करने या उन्हें परिषिद्ध करने के प्रयोजनार्थ किया गया है ; ॥।
[(जक) भूमीक्षण संक्रियाएं" से ऐसी संक्रियाएं अभिप्रेत हैं जो प्रादेशिक, आकाशी, भूभौतिकीय या भूरासायनिक सर्वेक्षणों और भूवैज्ञानिक मानचित्रण के माध्यम से किसी खनिज के प्रारम्भिक पूर्वेक्षण के लिए की गई है किन्तु इसके अन्तर्गत गड्ढा बनाना, खाई खोदना, नरमाना (केन्द्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट किसी ग्रिड पर बोरछिद्र बरसाने से भिन्न) या उपसतह उत्खनन नहीं है ;
(जख) भूमीक्षण अनुज्ञापत्र" से भूमीक्षण संक्रियाएं करने के प्रयोजन के लिए अनुदत्त अनुज्ञापत्र अभिप्रेत है ; । । ।
1[(जग) विशेष न्यायालय" से धारा 30ख की उपधारा (1) के अधीन विशेष न्यायालय के रूप में अभिहित सेशन न्यायालय अभिप्रेत है ; और]
(झ) खान" और स्वामी" पदों के वही अर्थ हैं जो उन्हें खान अधिनियम, 1952 (1952 का 35) में दिए गए हैं ।
पूर्वेक्षण और खनन संक्रियाओं का उपक्रम करने पर साधारण निर्बन्धन
4. पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं का अनुज्ञप्ति या पट्टे के अधीन होना-(1) [कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र में कोई भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन अनुदत्त, यथास्थिति, भूमीक्षण अनुज्ञापत्र या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के अधीन तथा उसके निबंधनों और शर्तों के अनुसार ही करेगा, अन्यथा नहीं] :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात उन पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं पर प्रभाव नहीं डालेगी जिनका किसी क्षेत्र में उपक्रम इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व अनुदत्त ऐसे प्रारम्भ के समय प्रवृत्त पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के निबंधनों और शर्तों के अनुसार किया गया हो :
[परन्तु यह और कि इस उपधारा की कोई भी बात किन्हीं ऐसी पूर्वेक्षण संक्रियाओं को लागू नहीं होगी जो भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय खान ब्यूरो, केन्द्रीय सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के 5[खोज और अनुसंधान के लिए परमाणु खनिज निदेशालय] किसी भी राज्य सरकार के खनन और भू-विज्ञान निदेशालयों (चाहे वे किसी भी नाम से ज्ञात हों) तथा मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा, जो कि [कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खंड (45) के अर्थ में सरकारी कम्पनी और ऐसे किसी अस्तित्व द्वारा, जिसे इस प्रयोजन के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए :]
[परन्तु यह और भी कि इस उपधारा की कोई बात गोवा, दमन और दीव संघ राज्यक्षेत्र में, इस अधिनियम के प्रारंभ के ठीक पूर्व प्रवृत्त किसी खनन पट्टा को (चाहे उसका नाम खनन पट्टा, खनन रियासत या कोई अन्य हो) लागू नहीं होगी ।
[(1क) कोई व्यक्ति इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन ही किसी खनिज का परिवहन या भंडार करेगा या परिवहन या भंडार करवाएगा, अन्यथा नहीं ।]
(2) 5[कोई भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों के अनुसार ही अनुदत्त किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।
[(3) कोई भी राज्य सरकार केन्द्रीय सरकार से पूर्व परामर्श करने के पश्चात् और धारा 18 के अधीन बनाए गए नियमों के अनुसार, 5[उस राज्य सरकार के भीतर किसी ऐसे क्षेत्र में जो किसी भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के अधीन पहले ही धृत नहीं है, किन्हीं ऐसे खनिजों की बाबत, जो प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं कर सकेगी ।]
[4क. पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों या खनन पट्टों की समाप्ति-(1) जहां केन्द्रीय सरकार की, राज्य सरकार से परामर्श करने के पश्चात्, यह राय है कि खानों के विनियमन और खनिज विकास, प्राकृतिक पर्यावरण के परिरक्षण, बाढ़ के नियंत्रण, प्रदूषण के निवारण के हित में अथवा लोक स्वास्थ्य या संचार के प्रति खतरे से बचने के लिए अथवा भवनों, स्मारकों या अन्य संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अथवा खनिज स्रोतों के संरक्षण के लिए अथवा खानों में सुरक्षा बनाए रखने के लिए अथवा अन्य ऐसे प्रयोजनों के लिए, जो केन्द्रीय सरकार उचित समझे, ऐसा करना समीचीन है तो वह राज्य सरकार से अनुरोध कर सकेगी कि वह किसी क्षेत्र या उसके भाग में गौण खनिज से भिन्न किसी खनिज से संबंधित पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे की समयपूर्व समाप्ति कर दे, और ऐसे अनुरोध की प्राप्ति पर राज्य सरकार ऐसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे की, उस क्षेत्र या उसके किसी भाग की बाबत, समयपू्र्व समाप्ति करने वाला आदेश देगी ।
(2) जहां रज्य सरकार की, ॥। यह राज्य है कि खानों के विनियमन और खनिज विकास, प्राकृतिक पर्यावरण के परिरक्षण, बाढ़ के नियंत्रण, प्रदूषण के निवारण के हित में अथवा लोक स्वास्थ्य या संचार के प्रति खतरे से बचने के लिए अथवा भवनों, स्मारकों या अन्य संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अथवा अन्य ऐसे प्रयोजनों के लिए जो राज्य सरकार उचित समझे ऐसा करना समीचन है तो वह आदेश द्वारा, किसी गौण खनिज के संबंध में ऐसी अनुज्ञप्ति या पट्टे के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्र या उसके किसी भाग की बाबत पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे की समयपूर्व समाप्ति कर सकेगी :
। । । ।
(3) पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति, या खनन पट्टे की समयपूर्व समाप्ति करने वाला कोई भी आदेश, अनुज्ञप्ति या पट्टे के धारक को सुने जाने का युक्तियुक्त अवसर दिए जाने के पश्चात् ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।
(4) जहां किसी खनन पट्टे का धारक पट्टे के निष्पादन की तारीख के पश्चात् [दो वर्ष] की अवधि तक खनन संक्रियाएं करने में असफल रहता है अथवा खनन संक्रियाएं प्रारम्भ करने के पश्चात् उसने 4[दो वर्ष] या उससे अधिक की अवधि के लिए उन्हें बन्द कर दिया है, वहां पट्टा, यथास्थिति, पट्टे के निष्पादन अथवा खनन संक्रियाओं के बन्द किए जाने की तारीख से 4[दो वर्ष] की अवधि के अवसान पर व्यपगत हो जाएगा :
[परंतु राज्य सरकार, पट्टे के ऐसे धारक द्वारा इस उपधारा के अधीन पट्टे के व्यपगत होने से पहले किए गए आवेदन पर और अपना यह समाधान हो जाने पर कि पट्टे के धारक के लिए, ऐसे कारणों से जिन पर उसका नियंत्रण नहीं है, ऐसी खनन संक्रियाओं का करना या ऐसी संक्रियाओं का जारी रखना संभव नहीं होगा, ऐसी शर्तों के अधीन जो विहित की जाएं, ऐसा आवेदन प्राप्त होने की तारीख से तीन मास की कालावधि के भीतर, इस आशय का आदेश कर सकेगी कि ऐसा पट्टा व्यपगत नहीं होगा :
परंतु यह और कि ऐसा पट्टा, राज्य सरकार के आदेश की तारीख से छह मास की कालावधि के समाप्त होने से पूर्व खनन संक्रियाएं करने में असफल होने या उन्हें जारी रखने में असमर्थ होने पर व्यपगत हो जाएगा :
परंतु यह भी कि राज्य सरकार पट्टे के धारक द्वारा आवेदन किए जाने पर, जो पट्टे के व्यपगत होने की तारीख से छह मास की कालावधि के भीतर प्रस्तुत किया गया हो और अपना यह समाधान हो जाने पर कि ऐसे प्रारंभ न किया जाना या बंद किया जाना ऐसे कारणों से हुआ है, जिन पर पट्टे के धारक का नियंत्रण नहीं था, पट्टे को ऐसे भविष्यलक्षी या भूतलक्षी तारीख से जिसे वह ठीक समझे, किन्तु जो पट्टे के व्यपगत होने की तारीख से पूर्वतर न हो, आवेदन प्राप्त होने की तारीख से तीन मास की कालावधि के भीतर पुनः प्रवर्तित कर सकेगी :
परंतु यह भी कि तीसरे परंतुक के अधीन किसी पट्टे को पट्टे की संपूर्ण कालावधि के दौरान दो बार से अधिक पुनः प्रवर्तित नहीं किया जाएगा ।]
[5. पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों या खनन पट्टों के अनुदान पर निर्बंधन- [(1) कोई राज्य सरकार किसी व्यक्ति को कोई [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] तभी अनुदत्त करेगी जब ऐसा व्यक्ति-
(क) भारतीय राष्ट्रिक है या [कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खंड (20)] में परिभाषित कोई कंपनी है; और
(ख) ऐसी शर्तें पूरी करता है जो विहित की जाएं :
[परंतु प्रथम अनुसूची के भाग क और भाग ख में विनिर्दिष्ट किसी खनिज की बाबत कोई भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से ही अनुदत्त किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।]
स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति भारतीय राष्ट्रिक,-
(क) किसी फर्म या अन्य व्यष्टि-संगम की दशा में, केवल तब समझा जाएगा जब फर्म के सभी सदस्य या संगम के सभी सदस्य भारत के नागरिक हैं; और
(ख) किसी व्यष्टि की दशा में, केवल तब समझा जाएगा जब वह भारत का नागरिक है ।]
(2) राज्य सरकार द्वारा कोई खनन पट्टा तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक उसका यह समाधान नहीं हो जाता है कि-
[(क) यह दर्शित करने के लिए साक्ष्य है कि जिस क्षेत्र के लिए खनन पट्टे के लिए ऐसे पैरामीटरों के अनुसार जो इस प्रयोजन के लिए केन्द्रीय सरकार सरकार द्वारा विहित किए जाएं आवेदन किया गया है, उसमें खनिज अंतर्वस्तु विद्यमान है ;]
(ख) संबंधित क्षेत्र के खनिज भंडार के विकास के लिए खानों के ऐसे प्रवर्ग की बाबत जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए, केन्द्रीय सरकार द्वारा या राज्य सरकार द्वारा सम्यक् रूप से अनुमोदित कोई खनन योजना है :]
1[परंतु खनन याजना तैयार करने, उसका प्रमाणन और उसे मानीटर करने के लिए केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से राज्य सरकार द्वारा स्थापित प्रणाली के अनुसार ऐसी कोई योजना फाइल करने पर खनन पट्टा अनुदत्त किया जा सकेगा ।]
6. वह अधिकतम क्षेत्र जिसके लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त किया जा सकेगा- [(1) कोई व्यक्ति किसी खनिज या सहचारी खनिजों के विहित समूह के बारे में ॥। [किसी राज्य में]
(क) एक या अधिक पूर्वक्षण अनुज्ञप्तियां ऐसे क्षेत्र के लिए अर्जित नहीं करेगा जिसका कुल क्षेत्रफल पच्चीस वर्ग किलोमीटर से अधिक है; अथवा
5[(कक) एक या अधिक भूमीक्षण अनुज्ञापत्र ऐसे क्षेत्र के लिए अर्जित नहीं करेगा जिसका कुल क्षेत्रफल दस हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक है :
परंतु एकल भूमीक्षण अनुज्ञापत्र के अधीन अनुदत्त क्षेत्रफल पांच हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक नहीं होगा ; या]
(ख) एक या अधिक खनन पट्टे ऐसे क्षेत्र के लिए अर्जित नहीं करेगा जिसका कुल क्षेत्रफल दस वर्ग किलोमीटर से अधिक है :
[परंतु यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय है कि किसी खनिज या उद्योग के विकास के हित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह ऐसे कारणों से, जो उसके द्वारा लेखबद्ध किऐ जाएंगे पूर्वेक्षण खनिज या खनन पट्टे की बाबत पूर्वोक्त क्षेत्र सीमाओं को, जहां तक कि वे किसी विशिष्ट खनिज से संबंधित हैं या ऐसे खनिजों के भंडार विशिष्ट वर्ग से संबंधित हैं या किसी विशिष्ट क्षेत्र में अवस्थित किसी विशिष्ट खनिज से संबंधित हैं, बढ़ा सकेगी;]
[(ग) कोई भूमीक्षण अनुज्ञापत्र अथवा खनन पट्टा या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति किसी ऐसे क्षेत्र के बारे में अर्जित नहीं करेगा जो संहृत या संलग्न न हो :
परन्तु यदि राज्य सरकार की यह राय है कि किसी खनिज के विकास के हित में ऐसा करना आवश्यक है, तो वह ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे, किसी व्यक्ति को कोई भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा किसी ऐसे क्षेत्र के बारे में अर्जित करने की अनुज्ञा दे सकती है जो संहृत या संलग्न न हो ।]
(2) ऐसे व्यक्ति के बारे में जो दूसरे व्यक्ति के द्वारा या उसके नाम से कोई ऐसी [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा,] जो स्वय उसके लिए आशियत है, अर्जित करता है इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि उसे वह स्वय अर्जित करता है ।
[(3) उपधारा (1) में निर्दिष्ट कुल क्षेत्रफल अवधारित करने के प्रयोजनार्थ, वह क्षेत्र जो किसी व्यक्ति द्वारा किसी सहकारी सोसाइटी, कम्पनी या अन्य निगम अथवा अविभक्त हिन्दू कुटुम्ब के सदस्य के रूप में अथवा किसी फर्म के भागीदार के रूप में, किसी [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के अधीन धारित है, उपधारा (1) में निर्दिष्ट क्षेत्र से घटा दिया जाएगा जिससे ऐसे व्यक्ति द्वारा, चाहे ऐसे सदस्य या भागीदार के रूप में अथवा व्यक्तिगत रूप में, किसी 4[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के अधीन धारित कुल क्षेत्र किसी भी दशा में उस कुल क्षेत्र से अधिक न हो जो उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट है ।]
[7. वह अवधि जिसके लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां अनुदत्त या नवीकृत की जा सकेंगी-(1) वह अवधि जिसके लिए [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तिट अनुदत्त की जा सकेगी तीन वर्ष से अधिक की नहीं होगी ।
(2) यदि राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है कि अनुज्ञप्तिधारी को पूर्वेक्षण संक्रियाएं पूरा करने में समर्थ बनाने के लिए दीर्घतर अवधि अपेक्षित है तो पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति ऐसी अवधि या अवधियों के लिए नवीकृत की जा सकेगी जो उक्त सरकार विनिर्दिष्ट करे :
परन्तु यह कि वह कुल अवधि, जिसके लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति अनुदत्त की जाती है, पांच वर्ष से अधिक की न हो :
परन्तु यह और कि प्रथम अनुसूची 2[के भाग क और भाग ख में सम्मिलित किसी खनिज], के बारे में अनुदत्त किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति का नवीकरण, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं ।]
[8. वह कालावधि जिसके लिए खनन पट्टे अनुदत्त या नवीकृत किए जा सकेंगे-(1) इस धारा के उपबंध प्रथम अनुसूची के भाग क में विनिर्दिष्ट खनिजों को लागू होंगे ।
(2) वह अधिकतम कालावधि जिसके लिए खनन पट्टा अनुदत्त किया जा सकेगा तीस वर्ष से अधिक नहीं होगी :
परंतु वह निम्नतम कालावधि जिसके लिए ऐसा कोई खनन पट्टा अनुदत्त किया जा सकेगा, बीस वर्ष से कम नहीं होगी ।
(3) किसी खन्न पट्टे को बीस वर्ष से अनधिक कालावधि के लिए, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से नवीकृत किया जा सकेगा ।]
[8क. कोयला, लिग्नइट और आणविक खनिजों से भिन्न खनिजों के लिए खनन पट्टा अनुदत्त करने की कालावधि-(1) इस धारा के उपबंध प्रथम अनुसूची के भाग क और भाग ख में विनिर्दिष्ट खनिजों से भिन्न खनिजों को लागू होंगे ।
(2) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने की तारीख से ही सभी खनन पट्टे पचास वर्ष की कालावधि के लिए अनुदत्त किए जाएंगे ।
(3) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने की तारीख से पूर्व अनुदत्त सभी खनन पट्टे पचास वर्ष की कालावधि के लिए अनुदत्त किए गए समझे जाएंगे ।
(4) पट्टा कालावधि के अवसान पर पट्टे को इस अधिनियम में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार नीलामी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा ।
(5) उपधारा (2), उपधारा (3) और उपधारा (4) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां खनिज का उपयोग कैप्टिव प्रयोजन के लिए किया जाता है, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ की तारीख के पूर्व अनुदत्त पट्टे की कालावधि का, उसके अंतिम बार किए गए नवीकरण की कालावधि के अवसान की तारीख से 31 मार्च, 2030 को समाप्त होने वाली कालावधि तक के लिए नवीकरण की कालावधि, यदि कोई हो, के पूरा होने तक के लिए या ऐसा पट्टा अनुदत्त किए जाने की तारीख से पचास वर्ष की कालावधि के लिए, इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, इस शर्त के अधीन रहते हुए कि पट्टे के सभी निबंधनों और शर्तों का अनुपालन किया गया है, विस्तार किया जाएगा और विस्तार किया गया समझा जाएगा ।
(6) उपधारा (2), उपधारा (3) और उपधारा (4) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां खनिज का उपयोग कैप्टिव से भिन्न प्रयोजन के लिए किया जाता है, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ की तारीख के पूर्व अनुदत्त पट्टे की कालावधि का उसके अंतिम बार किए गए नवीकरण की कालावधि के अवसान की तारीख से 31 मार्च, 2030 को समाप्त होने वाली कालावधि तक के लिए, या नवीकरण की कालावधि, यदि कोई हो, के पूरा होने तक के लिए या ऐसा पट्टा अनुदत्त किए जाने की तारीख से पचास वर्ष तक की कालावधि के लिए इनमें से जो भी पश्चात्वर्ती हो, इस शर्त के अधीन रहते हुए कि पट्टे के सभी निबंधनों और शर्तों का अनुपालन किया गया है, विस्तार किया जाएगा और विस्तार किया गया समझा जाएगा ।
(7) अनुदत्त किए गए पट्टे के किसी धारक को, जहां खनिज का उपयोग किसी कैप्टिव प्रयोजन के लिए किया गया है, पट्टा कालावधि के अवसान पर ऐसे पट्टे के लिए की जाने वाली नीलामी के समय, पहले इंकार का अधिकार होगा ।
(8) इस धारा में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी खनन पट्टों की कालावधि, जिसके अंतर्गत सरकारी कंपनियों या निगमों के विद्यमान खनन पट्टे सम्मिलित हैं वह होगी जो केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्वाहत की जाए ।
(9) इस धारा के उपबंध, उनमें अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने की तारीख से पूर्व अनुदत्त ऐसे खनन पट्टे को, जिसके नवीकृत करने को अस्वीकृत किया गया है, या जिसका अवधारण किया गया है या जो व्यपगत हो गया है, को लागू नहीं होंगे ।]
9. खनन पट्टों के बारे में स्वामिस्व-(1) इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व अनुदत्त खनन पट्टे का धारक, पट्टाकृत क्षेत्र से ऐसे प्रारम्भ के पश्चात् [अपने द्वारा अथवा अपने अभिकर्ता, प्रबन्धक, कर्मचारी, ठेकेदार अथवा शिकमी पट्टेदार द्वारा हटाए गए अथवा उपयोग में लाए किसी भी खनिज] के बारे में स्वामिस्व, पट्टे की लिखत में या ऐसे प्रारंभ के समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते भी, द्वितीय अनुसूची में उस खनिज के बारे में तत्समय विनिर्दिष्ट दर से देगा ।
(2) इस अधिनियम के प्रारम्भ पर या तत्पश्चात् अनुदत्त खनन पट्टे का धारक पट्टाकृत क्षेत्र से 1[अपने द्वारा अथवा अपने अभिकर्ता, प्रबन्धक, कर्मचारी, ठेकेदार अथवा शिकमी पट्टेदार द्वारा हटाए गए अथवा उपयोग में लाए गए किसी भी खनिज] के बारे में स्वामिस्व द्वितीय अनुसूची में उस अनिज के बारे में तत्समय विनिर्दिष्ट दर से देगा ।
[(2क) किसी खनन पट्टे का धारक, चाहे वह पट्टा, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1972 के प्रारंभ के पूर्व दिया गया हो या पश्चात्, किसी ऐसे कोयले के बारे में किसी स्वामिस्व का देनदार नहीं होगा जिसका उपयोग किसी कोयला खान में लगे हुए किसी कर्मकार द्वारा किया गया है परन्तु यह तब जब कि कर्मकार द्वारा ऐसा उपयोग प्रतिमास एक-बटा-तीन टन से अधिक न हो ।]
(3) केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा द्वितीय अनुसूची को इस प्रकार संशोधित कर सकेगी कि उस दर में जिसके अनुसार किसी खनिज के बारे में स्वामिस्व संदेय होगा, उस तारीख से वृद्धि या कमी हो जाए जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट हो :
[परन्तु केन्द्रीय सरकार किसी खनिज के बारे में स्वामिस्व की दर में वृद्धि [तीन वर्ष] की कालावधि में, एक से अधिक बार नहीं करेगी ।]
[9क. अनिवार्य भाटक पट्टेदार द्वारा संदत्त किया जाना-(1) किसी खनन पट्टे का धारक, चाहे वह पट्टा, खान और अनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1972 के प्रारंभ के पूर्व दिया गया हो या पश्चात्, पट्टे की लिखत में अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी प्रतिवर्ष राज्य सरकार को, पट्टे की लिखत में सम्मिलित सभी क्षेत्रों के लिए, ऐसी दर से, जो तत्समय तृतीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट हो, अनिवार्य भाटक संदत्त करेगा:
परन्तु जहां ऐसे खनन पट्टे का धारक अपने द्वारा या अपने अभिकर्ता, प्रबन्धक, कर्मचारी, ठेकेदार अथवा शिकमी पट्टेदार द्वारा पट्टे वाले क्षेत्र से हटाए गए अथवा उपयोग में लाए गए किसी खनिज के लिए धारा 9 के अधीन स्वामिस्व का देनदार हो जाता है, वहां वह या तो ऐसे स्वामिस्व का अथवा उस क्षेत्र के बारे में अनिवार्य भाटक का, इनमें से जो भी अधिक हो, उसका देनदार होगा ।
(2) केन्द्रीय सरकार, उस दर में, जिससे किसी खनन पट्टे के अन्तर्गत किसी क्षेत्र के बारे में, अनिवार्य भाटक संदेय होगा, वृद्धि अथवा कमी करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, तृतीय अनुसूची को संशोधित कर सकती है और ऐसी वृद्धि या कमी उस तारीख से प्रभावी होगी जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं:
परन्तु केन्द्रीय सरकार ऐसे किसी क्षेत्र के बारे में अनिवार्य भाटक की दर में वृद्धि 4[तीन वर्ष] की कालावधि में, एक से अधिक बार नहीं करेगी ।]
[9ख. जिला खनिज प्रतिष्ठान-(1) राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा खनन से संबंधित संक्रियाओं से प्रभावित किसी जिले में जिला खनिज प्रतिष्ठान के नाम से ज्ञात एक अलाभकर निकाय के रूप में एक न्यास की स्थापना करेगी ।
(2) जिला खनिज प्रतिष्ठान का उद्देश्य खनन से संबंधित संक्रियाओं से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और फायदे के लिए ऐसी रीति में कार्य करना होगा, जो राज्य सरकार द्वारा विहित की जाए ।
(3) जिला खनिज प्रतिष्ठान का गठन और कृत्य वे होंगे जो राज्य सरकार द्वारा विहित किए जाएं ।
(4) राज्य सरकार, उपधारा (2) और उपधारा (3) के अधीन नियम बनाते समय अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित संविधान की पांचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के साथ पठित अनुच्छेद 244 में अंतर्विष्ट उपबंधों तथा पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996 (1996 का 40) तथा अनुसूचित जन-जाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 (2006 का 2) से मार्ग दर्शित होगी ।
(5) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ की तारीख को या उसके पश्चात् अनुदत्त खनन पट्टे या पूर्वेक्षण-अनुज्ञप्ति-सह खनन पट्टे का धारक, उस जिल के जिला खनिज प्रतिष्ठान को जिसमें खनन संक्रियाएं की गई हैं, स्वामित्व के अतिरिक्त ऐसी रकम का संदाय करेगा जो दूसरी अनुसूची निबंधनानुसार संदत्त स्वामिस्व की ऐसी प्रतिशतताके समतुल्य है, जो केंद्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए किन्तु जो ऐसे स्वामिस्व के एक-तिहाई से अधिक नहीं हो ।
(6) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ की तारीख से पहले अनुदत्त खनन पट्टे का धारक, उस जिले के, जिला खनिज प्रतिष्ठान को जिसमें खनन संक्रियाएं की गई हैं, स्वामिस्व के अतिरिक्त, द्वितीय अनुसूची के निबंधनानुसार ऐसी रीति में तथा खनन पट्टों के वर्गीकरण और पट्टा धारकों के विभिन्न वर्गों द्वारा संदेय रकमों के अधीन रहते हुए जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, संदत्त स्वामित्व से अनधिक रकम का संदाय करेगा।
9ग. राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास-(1) केन्द्रीय सरकार, अधिसूचना द्वारा राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास के नाम से ज्ञात एक अलाभकर निकाय के रूप में एक न्यास की स्थापना करेगी ।
(2) न्यास का उद्देश्य, प्रादेशिक और विस्तृत खोज के प्रयोजनों के लिए न्यास को प्रोद्भूत निधियों का उपयोग ऐसी रीति में होगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।
(3) न्यास का गठन और कृत्य वे होंगे जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित किए जाएं ।
(4) खनिज पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे का धारक, न्यास को द्वितीय अनुसूची के निबंधनों में संदत्त स्वामिस्व के दो प्रतिशत के समतुल्य राशि का संदाय ऐसी रीति में करेगा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए ।]
उस भूमि के बारे में जिसके खनिज सरकार में निहित हैं, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां या खनन पट्टे
अभिप्राप्त करने की प्रक्रिया
10. पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों या खनन पट्टों के लिए आवेदन-(1) उस भूमि के बारे में, जिसके खनिज सरकार में निहित हों, [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के लिए आवेदन संबद्ध राज्य सरकार को विहित प्ररूप में किया जाएगा और वह विहित फीस के सहित होगा ।
(2) जहां उपधारा (1) के अधीन आवेदन प्राप्त हो, वहां उसकी प्राप्ति की अभिस्वीकृति आवेदक को विहित समय के भीतर और विहित प्ररूप में भेजी जाएगी ।
(3) इस धारा के अधीन आवेदन की प्राप्ति पर राज्य सरकार इस अधिनियम के और तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों के उपबंधों को ध्यान में रखते हुए 1[अनुज्ञापत्र, अनुज्ञप्ति या पट्टा] अनुदत्त कर सकेगी या अनुदत्त करने से इंकार कर सकेगी ।
[10क. विद्यमान रियायत धारकों और आवेदकों के अधिकार-(1) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने की तारीख से पूर्व प्राप्त सभी आवेदन पात्र हो जाएंगे ।
(2) उपधारा (1) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना निम्नलिखित खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने की तारीख से ही पात्र होंगे: -
(क) इस अधिनियम की धारा 11क के अधीन प्राप्त आवेदन;
(ख) जहां खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने से पूर्व किसी भूमि की बाबत किसी खनिज के संबंध में कोई भूमीक्षण अनुज्ञा पत्र या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति अनुदत्त की गई है, वहां अनुज्ञा पत्र धारक या अनुज्ञप्तिधारी को, यथास्थिति, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति अभिप्राप्त करने के पश्चात् खनन पट्टा या उस भूमि में उस खनिज की बाबत खनन पट्टा अभिप्राप्त करने का अधिकार होगा, यदि राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है कि, यथास्थिति, अनुज्ञा पत्र धारक या अनुज्ञप्ति धारक ने,-
(i) उस भूमि में खनिज अंतर्वस्तु विद्यमान होने को साबित करने के लिए ऐसे पैरामीटरों के अनुसार जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित किए जाएं, यथास्थिति, भूमीक्षण संक्रियाएं या पूर्वक्षण संक्रियाएं की हैं ;
(ii) भूमीक्षण अनुज्ञा पत्र या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति के निबंधनों और शर्तों को भंग नहीं किया है ;
(iii) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन अपात्र नहीं हो गया है ; और
(iv) यथास्थिति, भूमीक्षण अनुज्ञा पत्र या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति के समाप्त होने के पश्चात् तीन मास की कालावधि के भीतर या ऐसी छह मास से अनधिक और कालावधि जो राज्य सरकार द्वारा विस्तारित की जाए के भीतर, यथास्थिति, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त करने के लिए आवेदन करने के लिए असफल नहीं रहा है ;
(ग) जहां केन्द्रीय सरकार ने खनन पट्टा अनुदत्त करने के लिए धारा 5 की उपधारा (1) के अधीन यथा अपेक्षित पूर्व अनुमोदन से संसूचित कर दिया है या यदि राज्य सरकार द्वारा खनन पट्टा अनुदत्त करने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 के प्रारंभ होने से पूर्व, आशय पत्र (चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो), जारी कर दिया गया है, वहां खनन पट्टा पूर्व अनुमोदन या आशय पत्र की शर्तों को पूरा करने के अधीन रहते हुए उक्त अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से दो वर्ष की कालावधि के भीतर अनुदत्त किया जाएगा :
परंतु प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी खनिज की बाबत इस उपधारा के खंड (ख) के अधीन के सिवाय केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, कोई पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त नहीं किया जाएगा ।
10ख. नीलामी के माध्यम से अधिसूचित खनिजों की बाबत खनन पट्टा अनुदत्त करना-(1) इस धारा के उपबंध धारा 10क या धारा 17क के अंतर्गत आने वाले मामलों को या प्रथम अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट खनिजों को या उस भूमि की बाबत जिसके खनिज सरकार में निहित नहीं हैं, को लागू नहीं होंगे ।
(2) जहां किसी क्षेत्र की बाबत अधिसूचित खनिज की खनिज अंतर्वस्तु की विद्यमानता को दर्शित करने के लिए अपर्याप्त साक्ष्य हैं, तो राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार का पूर्व अनुमोदन अभिप्राप्त करने के पश्चात् धारा 11 में अधिकथित प्रक्रिया के अनुसरण में, ऐसे ऐसे क्षेत्र में उक्त अधिसूचित खनिजों के लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा अनुदत्त कर सकेगी ।
(3) उन क्षेत्रों में जहां किसी अधिसूचित खनिज अंतर्वस्तु की विद्यमानता केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित रीति में स्थापित की गई है, राज्य सरकार ऐसे क्षेत्रों को ऐसे अधिसूचित खनिज के खनन के लिए खनन पट्टा अनुदत्त करने के लिए ऐसे निबंधन और शर्तें जिनके अधीन ऐसा खनन पट्टा अनुदत्त किया जा सकेगा और अन्य सुसंगत शर्तें और किन्हीं अन्य सुसंगत शर्तों को ऐसी रीति में जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, अधिसूचित करेगी ।
(4) राज्य सरकार, ऐसे अधिसूचित क्षेत्र में किसी अधिसूचित खनिज की बाबत खनन पट्टा अनुदत्त करने के प्रयोजन के लिए प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से, जिसके अंतर्गत ई-नीलामी भी है, किसी ऐसे आवेदक का चयन करेगी जो इस अधिनियम में यथा विनिर्दिष्ट पात्रता शर्तों को पूरा करता है ।
(5) केन्द्रीय सरकार उन निबंधनों और शर्तों तथा प्रक्रिया को विहित करेगी, जिनके अधीन रहते हुए, जिसके अंतर्गत चयन के लिए बोली के पैरामीटर भी हैं, नीलामी का संचालन किया जाएगा, जिसके अंतर्गत खनिज के उत्पादन में हिस्सा या संदेय स्वामिस्व से संबंधित कोई संदाय या कोई अन्य सुसंगत पैरामीटर या उनका कोई संयोजन या उपांतरण भी हो सकेगा ।
(6) केन्द्रीय सरकार उपधारा (5) की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि उसकी राय है कि ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, खनिजों की श्रेणियों, किसी राज्य या राज्यों में खनिज निक्षेप के आकार और क्षेत्र की बाबत, निबंधन और शर्तें, प्रक्रिया और बोली पैरामीटर जिनके अधीन बोली का संचालन किया जाएगा, विहित कर सकेगी:
परंतु निबंधनों और शर्तों में किसी विशिष्ट खान या खानों का विशिष्ट अंतिम उपयोग के लिए आरक्षण और ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो ऐसे पात्र अंतिम उपयोगकर्ताओं को बोली में भाग लेने के लिए अनुज्ञात करे, को सम्मिलित किया जा सकेगा ।
(7) राज्य सरकार किसी अधिसूचित क्षेत्र में, ऐसे अधिसूचित खनिज की बाबत इस धारा में अधिकथित प्रक्रिया के अनुसरण में चयनित किसी आवेदक को खनन पट्टा अनुदत्त करेगी ।
10ग. गैर समाविष्ट भूमीक्षण अनुज्ञा पत्रों का अनुदत्त किया जाना-(1) प्रथम अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट खनिजों से भिन्न किसी अधिसूचित खनिज या गैर अधिसूचित खनिज या विनिर्दिष्ट खनिजों के समूह के लिए ऐसे निबंधनों और शर्तों के अधीन रहते हुए जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाएं, गैर समाविष्ट भूमीक्षण अनुज्ञापत्र अनुदत्त किए जा सकेंगे ।
(2) ऐसे गैर समाविष्ट भूमीक्षण अनुज्ञापत्र धारक किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे या किसी खनन पट्टे को अनुदत्त किए जाने के लिए दावा करने का हकदार नहीं होगा ।]
[11. अधिसूचित खनिजों से भिन्न खनिजों की बाबत नीलामी के माध्यम से पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे का अनुदत्त किया जाना-(1) इस धारा के उपबंध धारा 10क या धारा 17क के अंतर्गत आने वाले मामलों को या प्रथम अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट खनिजों को या उस भूमि की बाबत जिसके खनिज सरकार में निहित नहीं हैं, लागू नहीं होंगे ।
(2) उन क्षेत्रों में जहां धारा 5 की उपधारा (2) के खंड (क) द्वारा यथा अपेक्षित खनिज अंतर्वस्तु की विद्यमानता को दर्शित करने का साक्ष्य है, राज्य सरकार धारा 10ख में अधिकथित प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए अधिसूचित खनिजों से भिन्न खनिजों के लिए खनन पट्टा अनुदत्त करेगी ।
(3) उन क्षेत्रों में जहां धारा 5 की उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन यथा अपेक्षित खनिज अंतर्वस्तु की विद्यमानता को दर्शित करने के लिए अपर्याप्त साक्ष्य है, राज्य सरकार इस धारा में, अधिकथित प्रक्रिया के अनुसरण में अधिसूचित खनिजों से भिन्न खनिजों के लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा अनुदत्त करेगी ।
(4) राज्य सरकार उन क्षेत्रों को जिनमें अधिसूचित खनिजों से भिन्न किन्हीं खनिजों के लिए पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा प्रदान किया जाएगा, उन निबंधनों और शर्तों और किन्हीं अन्य सुसंगत शर्तों को, ऐसी रीति में, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, अधिसूचित करेगी ।
(5) राज्य सरकार ऐसे अधिसूचित क्षेत्र में किसी अधिसूचित खनिज की बाबत पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा अनुदत्त करने के प्रयोजन के लिए प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से जिसके अंतर्गत ई-नीलामी भी है, किसी ऐसे आवेदक का चयन करेगी जो इस अधिनियम में यथा विनिर्दिष्ट पात्रता शर्तों को पूरा करता है ।
(6) केन्द्रीय सरकार उन निबंधनों और शर्तों तथा प्रक्रिया को विहित करेगी जिनके अधीन रहते हुए नीलामी का जिसके अंतर्गत चयन के लिए बोली के पैरामीटर भी हैं, संचालन किया जाएगा, जिसके अंतर्गत खनिज के उत्पादन में हिस्सा या संदेय स्वामि से संबंधित कोई संदाय या कोई अन्य सुसंगत पैरामीटर या उनका कोई संयोजन या उपांतरण भी हो सकेगा ।
(7) केन्द्रीय सरकार उपधारा (6) की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि उसकी राय है कि ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, खनिजों की श्रेणियों, किसी राज्य या राज्यों में खनिज निक्षेप के आकार और क्षेत्र की बाबत, निबंधन और शर्तें, प्रक्रिया और बोली पैरामीटर जिनके अधीन बोली का संचालन किया जाएगा, विहित कर सकेगी ।
(8) राज्य सरकार इस धारा में अधिकथित प्रक्रिया के अनुसरण में चयनित किसी आवेदक को पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा अनुदत्त करेगी ।
(9) पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा धारक से धारा 7 में अधिकथित अवधि के भीतर आवेदन आमंत्रित करने की सूचना में यथा विनिर्दिष्ट पूर्वेक्षण संक्रियाओं को समाधानप्रद रूप से पूरा किया जाना अपेक्षित होगा ।
(10) कोई पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा धारक जो उपधारा (9) में यथा अधिकथित पूर्वेक्षण संक्रियाओं को पूरा करता है और इस प्रयोजन के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा यथा विहित पैरामीटरों के अनुसार क्षेत्र में खनन अंतर्वस्तु की विद्यमानता को स्थापित करता है, से ऐसे क्षेत्र के लिए खनन पट्टे के लिए आवेदन किया जाना अपेक्षित होगा और उसे खनन पट्टा प्राप्त करने और तत्पश्चात् इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार खनन संक्रियाएं करने का अधिकार होगा ।]
[11क. कोयले या लिग्नाइट के संबंध में प्रक्रिया-केन्द्रीय सरकार, किसी ऐसे क्षेत्र के संबंध में, जिसमें कोयला या लिग्नाइट अन्तर्विष्ट है, भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त करने के प्रयोजन के लिए, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो विहित की जाएं प्रतियोगी बोली द्वारा नीलामी के माध्यम से, ऐसी किसी कंपनी का चयन कर सकेगी, जो-
(i) लोहे तथा इस्पात के उत्पादन ;
(ii) विद्युत के उत्पादन ;
(iii) किसी खान से अभिप्राप्त कोयले की धावन ; या
(iv) ऐसे अन्य अंतिम उपयोग, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विनिर्दिष्ट करे,
में लगी हुई है और राज्य सरकार, कोयला या लिग्नाइट के संबंध में ऐसा भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा ऐसी कंपनी को अनुदत्त करेगी, जिसका इस धारा के अधीन प्रतियोगी बोली द्वारा नीलामी के माध्यम से चयन किया जाता है :
परन्तु प्रतियोगी बोली द्वारा नीलामी कोयला या लिग्नाइट वाले किसी ऐसे क्षेत्र के संबंध में लागू नहीं होगी,-
(क) जाहं ऐसे क्षेत्र पर किसी सरकारी कंपनी या निगम को खनन या ऐसे अन्य विनिर्दिष्ट अंतिम उपयोग के लिए आबंटन हेतु विचार किया जाता है ;
(ख) जहां ऐसे क्षेत्र पर ऐसी किसी कंपनी या निगम को, जिसे टैरिफ के लिए प्रतियोगी बोलियों के आधार पर कोई विद्युत परियोजना (जिसमें अति बृहत् विद्युत परियोजनाएं सम्मिलित हैं) प्रदान की गई है, आबंटन के लिए विचार किया जाता है ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए कंपनी" से कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 3 में यथापरिभाषित कोई कंपनी अभिप्रेत है और इसमें उस अधिनियम की धारा 591 के अर्थ के भीतर कोई विदेशी कंपनी भी सम्मिलित है ।]
[11ख. केन्द्रीय सरकार की प्रथम अनुसूची के भाग ख के अधीन विनिर्दिष्ट आणविक खनिजों के विनियमन के लिए नियम बनाने की शक्ति-केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रथम अनुसूची के भाग ख में विनिर्दिष्ट खनिजों की बाबत, खनन पट्टे या अन्य खनिज रियायतों को अनुदत्त करने का विनियमन करने के लिए और उनसे संबद्ध प्रयोजनों के लिए विनियम बना सकेगी तथा राज्य सरकार ऐसे नियमों के अनुसार ऐसे किसी खनिज की बाबत भूमीक्षण अनुज्ञा पत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त करेगी ।
11ग. केन्द्रीय सराकर की प्रथम अनुसूची और चौथी अनुसूची को संशोधित करने की शक्ति-केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रथम अनुसूची और चौथी अनुसूची का संशोधन कर सकेगी जिससे उसमें ऐसे किसी खनिज को जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, जोड़ा या हटाया जा सके ।]
12. पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों और खनन पट्टों के रजिस्टर-(1) राज्य सरकार-
(क) पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों के आवेदनों का एक रजिस्टर;
(ख) पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों का एक रजिस्टर;
[(ग) खनन पट्टों के लिए आवेदनों का एक रजिस्टर;
(घ) खनन पट्टेदारों का एक रजिस्टर;
(ङ) भूमीक्षण परमिटों के लिए आवेदनों का एक रजिस्टर; और
(च) भूमीक्षण अनुज्ञापत्रों का एक रजिस्टरट,
विहित प्ररूप में रखवाएगी, जिनमें से प्रत्येक में ऐसी विशिष्टियां प्रविष्ट की जाएंगी, जैसी विहित की जाएं ।
(2) ऐसा प्रत्येक रजिस्टर इतनी फीस के संदाय पर, जितनी राज्य सरकार नियत करे, किसी व्यक्ति द्वारा निरीक्षण के लिए खुला रहेगा ।
[12क. खनिज रियायतों का अंतरण-(1) इस धारा के उपबंध प्रथम अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट खनिजों को लागू नहीं होंगे ।
(2) किसी खनिज पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे का कोई धारक, धारा 10ख या धारा 11 में अधिकथित प्रक्रिया के अनुसार, राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से, यथास्थिति, अपने खनन पट्टे या पूर्वेक्षण-सह-खनन पट्टे को ऐसी रीति में जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अनुसरण में ऐसे खनन पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति सह-खनन-पट्टे को धारण करने के लिए पात्र व्यक्ति को अंतरित कर सकेगा ।
(3) यदि राज्य सरकार, यथास्थिति, ऐसे खनन पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे के अंतरण के लिए ऐसी सूचना प्राप्त होने की तारीख से नब्बे दिन के भीतर अपने पूर्वानुमोदन की सूचना नहीं देती है, तो यह अर्थ लगाया जाएगा कि राज्य सरकार को ऐसे अंतरण पर कोई आपत्ति नहीं है:
परन्तु मूल खनन पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे का धारक राज्य सरकार को अंतरण के लिए हितबद्ध उत्तरवर्ती द्वारा संदेय प्रतिफल से संसूचित करेगा जिसके अंतर्गत पहले से ही की जा रही पूर्वेक्षण संक्रियाओं की बाबत प्रतिफल और संक्रियाओं के दौरान सृजित रिपोर्टें और डाटा भी हैं ।
(4) उपधारा (2) में निर्दिष्ट किसी खनन पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे का कोई अंतरण नहीं होगा यदि राज्य सरकार सूचना अवधि के भीतर और संसूचित किए जाने वाले लिखित कारणों से अंतरण को इस आधार पर अननुमोदित कर देती है कि अंतरिती इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार पात्र नहीं है:
परन्तु किसी खनन पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे का ऐसा अंतरण किसी शर्त के, जिसके अधीन खनन पट्टा या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा अनुदत्त किया गया था, के उल्लंघन में नहीं किया जाएगा ।
(5) इस धारा के अधीन किए गए सभी अंतरण इस शर्त के अधीन होंगे कि अंतरिती ने तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन सभी शर्तों और दायित्वों को स्वीकार कर लिया है जिनके अधीन अंतरण, यथास्थिति, ऐसे खनन पट्टे या अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे की बाबत था ।
(6) खनन रियायतों का अंरण केवल उन रियायतों के लिए अनुज्ञात किया जाएगा जो नीलामी के माध्यम से अनुदत्त की गई है:]
[परन्तु जहां खनन पट्टा नीलामी से भिन्न माध्यम से अनुदत्त की गई है और जहां ऐसे खनन पट्टे से खनिजों का, आबद्ध प्रयोजन के लिए उपयोग किया गया है, वहां ऐसे खनन पट्टों को, ऐसे निबंधनों और शर्तों के पूरा किए जाने के अध्यधीन और ऐसी रकम या अंतरण प्रभारों के संदाय पर, जो विहित किए जाएं अंतरित किए जाने की अनुज्ञा दी जा सकेगी ।
स्पष्टीकरण-इस परंतुक के प्रयोजनों के लिए आबद्ध प्रयोजन के लिए उपयोग" पद से पट्टेदार के स्वामित्वाधीन किसी विनिर्माण इकाई में खनन पट्टे से निकाले गए खनिज की संपूर्ण मात्रा का उपयोग अभिप्रेत है ।]
पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों और खनन पट्टों का अनुदान विनियमित करने के लिए नियम
13. खनिजों के बारे में केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार खनिजों के बारे में [भूमीक्षण अनुज्ञापत्रों, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों और खनन पट्टों] का अनुदान विनियमित करने के लिए और उससे संबंधित प्रयोजनों के लिए नियम शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतः और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सब विषयों के लिए या उनमें से किसी के उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) वह व्यक्ति जिसके द्वारा और वह रीति जिससे उस भूमि के बारे में, जिसके खनिज सरकार में निहित हों, 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्रों, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों और खनन पट्टोंट के लिए आवेदन दिए जा सकेंगे और वे फीसें जो उनके लिए दी जानी हैं ;
(ख) वह समय जिसके भीतर और वह प्ररूप जिसमें ऐसे आवेदन की प्राप्ति की अभिस्वीकृति भेजी जा सकेगी;
(ग) वे बातें जिन पर, जब एक ही दिन एक ही भूमि के बारे में अनेक आवेदन प्राप्त हुए हों, विचार किया जाएगा;
[(घ) धारा 11क के अधीन कंपनी का चयन करने के लिए प्रतियोगी बोली द्वारा नीलामी के निबंधन और शर्तें;]
(ङ) वह प्राधिकारी जिसके द्वारा उस भूमि के बारे में, जिसके खनिज सरकार में निहित हों, 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्रों, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां या खनन पट्टे] अनुदत्त किए जा सकेंगे;
(च) किसी ऐसी भूमि के बारे में, जिसके खनिज सरकार से भिन्न किसी व्यक्ति में निहित हों, 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] अभिप्राप्त करने के लिए प्रक्रिया और वे निबंधन जिन पर और वे शर्तें जिनके अध्यधीन, 1[ऐसा अनुज्ञापत्र, ऐसी अनुज्ञप्ति या ऐसा पट्टा] अनुदत्त या नवीकृत किया जा सकेगा;
(छ) वे निबंधन जिन पर, और वे शर्तें, जिनके अध्यधीन कोई अन्य 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] अनुदत्त या नवीकृत किया जा सकेगा;
(ज) वे सुविधाएं जो खनन संक्रिया संबंधी बातों में गवेक्षण करने या प्रशिक्षण पाने के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा भेजे जाने वाले व्यक्तियों को खनन पट्टों के धारकों द्वारा दी जानी हैं;
[(झ) 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्रों, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों या खनन पट्टोंट के लिए फीस, भूमि, भाटक, प्रतिभूति निक्षेप, जुर्माना, अन्य फीस या प्रभार नियत करना और उनका संग्रहण करना तथा वह समय जिसके भीतर और वह रीति जिससे अनिवार्य भाटक या स्वामिस्व संदेय होगा;]
(ञ) वह रीति जिस से पर व्यक्तियों के हितों की संरक्षा (प्रतिकर के संदाय द्वारा या अन्यथा) उन मामलों में, जिनमें किसी 1[भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रिया] के कारण ऐसे किसी पक्षकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हो, की जा सकेगी;
[(ञञ) धारा 5 की उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन खनिज अंतर्वस्तु की विद्यमानता के पैरामीटर;]
(ट) धारा 6 के प्रयोजनों के लिए सहचारी खनिजों का समूहन;
(ठ) वह रीति जिससे और वे शर्तें, जिनके अध्यधीन रहते हुए 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] अंतरित किया जा सकेगा;
(ड) सड़कों, विद्युत पारेषण लाइनों, ट्राममार्गों, रेल मार्गो आकाशी रज्जुमार्गों, जलमार्गों का सन्निर्माण, अनुरक्षण और उपयोग तथा खनन पट्टे में समाविष्ट किसी भूमि पर खनन के प्रयोजनार्थ जल के लिए मार्ग बनाना;
(ढ) उन रजिस्टरों के प्ररूप जो इस अधिनियम के अधीन रखे जाने हैं;
। । । ।
(त) वे रिपोर्टें और विवरण जो 1[भूमीक्षण अनुज्ञापत्रों या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों] के धारकों या खानों के स्वामियों द्वारा दिए जाने हैं और वे प्राधिकारी जिन्हें ऐसी रिपोर्टें और विवरण दिए जाएंगे;
(थ) वह कालावधि जिसके भीतर इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन प्रदत्त किसी शक्ति के प्रयोग में राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी द्वारा किए गए किसी आदेश के पुनरीक्षण के लिए आवेदन किए जा सकेंगे [उनके लिए दी जाने वाली फीस और वे दस्तावेजें जो ऐसे आवेदनों के साथ लगाई जाएंगी] और वह रीति जिससे ऐसे आवेदन निपटाए जाएंगे; ॥।
[(थथ) वह रीति जिससे पेड़, पौधों और वनस्पति की, जैसे कि वृक्ष, झाड़ियां और वैसी ही चीजें, जो किन्हीं पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं के कारण नष्ट हो गई हों, उसी क्षेत्र में या किसी अन्य ऐसे क्षेत्र में, जिसका केन्द्रीय सरकार द्वारा (पुनर्स्थापन के खर्चे की प्रतिपूर्ति के रूप में या अन्यथा) चयन किया गया हो, पुनर्स्थापन पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा धारण करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाएगा ।]
[(थथक) धारा 9ख की उपधारा (5) और उपधारा (6) के अधीन जिला खनिज प्रतिष्ठान को किए जाने वाले संदाय की रकम;
(थथख) धारा 9ग की उपधारा (2) के अधीन राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास को उद्भूत निधियों के उपयोजन की रीति;
(थथग) धारा 9ग की उपधारा (3) के अधीन राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास की संरचना और कृत्य;
(थथघ) धारा 4ग की उपधारा (4) के अधीन राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास को रकम के संदाय की रीति;
(थथङ) वे निबंधन और शर्तें जिनके अध्यधीन धारा 10ख की उपधारा (3) के अधीन खनन पट्टा अनुदत्त किया जाएगा;
(थथच) वे निबंधन और शर्तों तथा प्रक्रिया जिनके अध्यधीन नीलामी का संचालन किया जाएगा जिसके अंतर्गत धारा 10ख की उपधारा (5) के अधीन चयन के लिए बोली पैरामीटर भी हैं;
(थथछ) धारा 10ख, धारा 11, धारा 11क, धारा 11ख और धारा 17क के अधीन खनन पट्टे या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टे को अनुदत्त करने के लिए आवेदनों और उनके नवीकरण की कार्यवाही के विभिन्न प्रक्रमों की समय-सीमा;
(थथज) धारा 10ग की उपधारा (1) के अधीन गैर समाविष्ट भूमीक्षण अनुज्ञपत्रों को अनुदत्त करने के लिए निबंधन और शर्तें;
(थथझ) धारा 11 की उपधारा (4) के अधीन पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति-सह-खनन पट्टा अनुदत्त करने के लिए निबंधन और शर्तें;
(थथञ) धारा 11 की उपधारा (6) के अधीन चयन के लिए निबंधन और शर्तें तथा प्रक्रिया जिसके अंतर्गत बोली लगाने के पैरामीटर भी हैं;
[(थथञक) धारा 12क की उपधारा (6) के परंतुक के अधीन निबंधन और शर्तें तथा रकम या अंतरण प्रभार;]
(थथट) धारा 17 की उपधारा (2ग) के अधीन खनन पट्टा अनुदत्त करने के लिए सरकारी कंपनी या निगम या किसी संयुक्त उद्यम द्वारा संदेय रकम; और]
(द) कोई अन्य बात जो इस अधिनियम के अधीन विहित की जानी है या की जाए ।
[13क. भारत के राज्यक्षेत्रीय समुद्र अथवा कान्टिनेन्टल शैल्फ के बारे में पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां अथवा खनन पट्टे प्रदान करने के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, भारत के राज्यक्षेत्रीय समुद्र और कान्टिनेन्टल शैल्फ के अन्तर्गत सागर के नीचे किन्हीं खनिजों के बारे में पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां अथवा खनन पट्टे प्रदान करने के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकती है ।]
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी विषयों या उनमें से किसी के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) वे शर्तें, सीमाएं और निर्बन्धन जिनके अधीन ऐसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां या खनन पट्टे प्रदान किए जा सकते हैं;
(ख) भारत के राज्यक्षेत्रीय समुद्र या कान्टिनेन्टल शैल्फ के अन्दर खनिजों की खोज अथवा उनके विदोहन का विनियमन:
(ग) यह सुनिश्चित करना कि ऐसी खोज अथवा ऐसे विदोहन से नौपरिवहन में कोई हस्तक्षेप न हो; और
(घ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या किया जाए ।]
14. धारा 5 से धारा 13 तक का गौण खनिजों को लागू न होना-धारा [5 से धारा 13 तक] के (जिनके अंतर्गत ये दोनों धाराएं भी हैं) उपबन्ध [गौण खनिजों के बारे में खदान पट्टों, खनन पट्टों अथवा अन्य खनिज रियायतों] को लागू नहीं होंगे ।
15. गौण खनिजों के बारे में नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्ति-(1) राज्य सरकार [गौण खनिजों के बारे में खदान पट्टों, खनन पट्टों अथवा अन्य खनिज रियायतों] का अनुदान विनियमित करने के लिए और तत्संबद्ध प्रयोजनों के लिए नियम शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।
[(1क) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी विषयों या उनमें से किसी के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) वह व्यक्ति जिसके द्वारा और वह रीति जिससे खदान पट्टों, खनन पट्टों या अन्य खनिज रियायतों के लिए आवेदन किए जा सकेंगे और उनके लिए दी जाने वाली फीसें;
(ख) वह समय जिसके भीतर और वह प्ररूप जिसमें ऐसे किन्हीं आवेदनों की प्राप्ति की अभिस्वीकृति भेजी जा सकेगी;
(ग) जहां एक ही भूमि की बाबत आवेदन एक ही दिन प्राप्त होते हैं वहां वे विषय जिन पर विचार किया जा सकेगा;
(घ) वे निबंधन जिन पर और वे शर्तें जिनके अधीन और वह प्राधिकारी जिसके द्वारा खदान पट्टे, खनन पट्टे या अन्य खनिज रियायतें अनुदत्त या नवीकृत की जा सकेंगी;
(ङ) खदान पट्टे, खनन पट्टे या अन्य खनिज रियायतें अभिप्राप्त करने के लिए प्रक्रिया;
(च) वे सुविधाएं जो खदान पट्टों, खनन पट्टों या अन्य खनिज रियायतों के धारकों द्वारा उन व्यक्तियों को दी जाएंगी, जिन्हें सरकार द्वारा खनन संक्रियाओं से संबंधित विषयों में अनुसंधान या प्रशिक्षण लेने के प्रयोजन के लिए प्रतिनियुक्त किया जाता है;
(छ) भाटक, स्वामिस्व, फीस, अनिवार्य भाटक, जुर्माने और अन्य प्रभार नियत करना और उनका संग्रहण करना, तथा वह समय जिसके भीतर और वह रीति जिसमें वे संदेय होंगे;
(ज) वह रीति जिससे पर-व्यक्तियों के अधिकारों की (प्रतिकर के संदाय के रूप से या अन्यथा) उन दशाओं में जिनमें किन्हीं पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं के कारण ऐसे किसी पक्षकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, संरक्षा की जा सकेगी;
(झ) वह रीति जिससे पेड़-पौधों और अन्य वनस्पति, जैसे कि वृक्षों, झाड़ियों और ऐसी ही चीजों का, जो किसी खदान क्रिया या खनन संक्रियाओं के कारण नष्ट हो गई हों, उसी क्षेत्र में या किसी अन्य क्षेत्र में जिसका राज्य सरकार द्वारा (पुनःस्थापन के खर्चे की प्रतिपूर्ति के रूप में या अन्यथा) चयन किया गया हो पुनर्स्थापन खदान क्रिया या खनन पट्टा धारण करने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाएगा;
(ञ) वह रीति जिससे और वे शर्तें जिनके अधीन कोई खदान पट्टा या खनन पट्टा या अन्य खनिज रियायत अंतरित की जा सकेगी;
(ट) किसी ऐसी भूमि पर, जो किसी खदान या खनन पट्टे या अन्य खनिज रियायत में समाविष्ट है, खनन के प्रयोजनों के लिए सड़कों, बिजली पारेषण लाइनों, ट्राम-पथों, रेलपथों, आकाशी रज्जु मार्गों, पाइप लाइनों का सन्निर्माण, अनुरक्षण और उपयोग तथा जल मार्ग का बनाया जाना;
(ठ) इस अधिनियम के अधीन रखे जाने वाले रजिस्टरों का प्ररूप;
(ड) वे रिपोर्टें और विवरण जो खदान या खनन पट्टों या अन्य खनिज रियायतों के धारकों द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे और वह प्राधिकारी जिसको ऐसी रिपोर्टें और विवरण प्रस्तुत किए जाएंगे;
(ढ) वह कालावधि जिसके भीतर और वह रीति जिससे और वह प्राधिकारी जिसको इन नियमों के अधीन किसी प्राधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश के पुनरीक्षण के लिए आवेदन किए जा सकेंगे, उनके लिए दी जाने वाली फीस, तथा पुनरीक्षण प्राधिकारी की शक्तियां; और
(ण) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए ।]
(2) जब तक उपधारा (1) के अधीन नियम न बना दिए जाएं तब तक [गौण खनिजों के बारे में खदान-पट्टों, खनन पट्टों अथवा अन्य खनिज रियायतों] का अनुदान विनियमित करने के लिए जो नियम राज्य सरकार द्वारा बनाए गए हों और इस अधिनियम के प्रारंभ के ठीक पहले प्रवृत्त हों, वे प्रवृत्त बने रहेंगे ।
[(3) उपधारा (1) के अधीन बनाए गए किसी नियम के अधीन दिए गए किसी खनन पट्टेदार अथवा किसी अन्य खनिज रियायत का धारक अपने द्वारा या अपने अभिकर्ता, प्रबन्धक, कर्मचारी, ठेकेदार अथवा शिकमी पट्टेदार द्वारा हटाए गए या उपयोग में लाए गए गौण खनिजों के बारे में [स्वामिस्व या अनिवार्य भाटक, इसमें से जो भी अधिक हो], राज्य सरकार द्वारा गौण खनिजों के बारे में बनाए गए नियमों में तत्समय विहित दर से देगा ।
[(4) राज्य सरकार, उपधारा (1), उपधारा (2) और उपधारा (3) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना अधिसूचना द्वारा, निम्नलिखित के लिए इस अधिनियम के उपबंधों को विनियमित करने के लिए नियम बना सकेगी, अर्थात्: -
(क) धारा 9ख की उपधारा (2) के अधीन जिला खनिज प्रतिष्ठान के कार्य करने की रीति;
(ख) धारा 9ख की उपधारा (3) के अधीन जिला खनिज प्रतिष्ठान की संरचना और कृत्य; और
(ग) धारा 15क के अधीन गौण खनिज धारकों द्वारा जिला खनिज प्रतिष्ठान को किए जाने वाले संदाय की रकम:]
परन्तु राज्य सरकारी किसी गौण खनिज के बारे में 3[स्वामिस्व या अनिवार्य भाटकट की दर में वृद्धि, [तीन] वर्ष की किसी कालावधि में, एक से अधिक बार नहीं करेगी ।
[15क. राज्य सरकार की गौण खनिजों की दशा में जिला खनिज प्रतिष्ठान के लिए निधियां एकत्रित करने की शक्ति-राज्य सरकार, गौण खनिजों से संबंधित रियायत धारकों द्वारा उस जिले के जिसमें खनन संक्रियाएं की जा रही हैं जिला खनिज प्रतिष्ठान को संदाय की जाने वाली रकमों को विहित कर सकेगी ।]
16. 25 अक्टूबर, 1949 के पूर्व अनुदत्त खनन पट्टों में उपांतरण करने की शक्ति- [(1) (क) खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1972 के प्रारंभ के पूर्व दिए गए सभी खनन पट्टे [यदि खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1994 के प्रारंभ की तारीख को प्रवृत्त हैं, तो खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1994 के प्रारंभ की तारीख से दो वर्ष के भीतर) या उतने अतिरिक्त समय के भीतर जितना केन्द्रीय सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, इस अधिनियम के उपबन्धों तथा तद्धीन बनाए गए नियमों के अनुरूप बना लिए जाएंगे ।
(ख) जहां किसी सम्पदा या भू-धृति के स्वत्वधारी द्वारा खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1972 के प्रारंभ के पूर्व दिए गए किसी खनन पट्टे के अधीन अधिकार, किसी प्रान्तीय या राज्य विधान-मंडल के किसी ऐसे अधिनियम के उपबधों के अनुसरण में, जो सम्पदाओं या भू-धृतियों के अर्जन का उपबन्ध करता है या भूमि सम्बन्धी सुधार का उपबन्ध करता है,25 अक्तूबर, 1949 को या उसके पश्चात् राज्य सरकार में निहित हो गए हैं वहां ऐसा खनन पट्टा, [खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1994 के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर] अथवा इतने अतिरिक्त समय के भीतर जितना केन्द्रीय सरकार, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, इस अधिनियम के उपबन्धों तथा तद्धीन बनाए गए नियमों के अनुरूप बना लिया जाएगा ।]
[(1क) जहां किसी पट्टे की अवधि को इस अधिनियम और इसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के अनुरूप बनाने के लिए उपधारा (1) के खण्ड (क) या खंड (ख) के अधीन कोई कार्रवाई की जाती है वहां, धारा 8 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे पट्टे की अवधि, ऐसे पट्टे को इस अधिनियम के उपबंधों के अनुरूप बनाने की तारीख से दो वर्ष की अवधि के लिए, प्रवर्तन में रहेगी ।]
(2) केन्द्रीय सरकार उपधारा (1) के उपबंधों को प्रभावी करने के प्रयोजन के लिए नियम शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी और ऐसे नियम विशिष्टतः निम्नलिखित के लिए उपबन्ध करेंगे :-
(क) पट्टेदार को, और जहां पट्टाकर्ता केन्द्रीय सरकार न हो वहां पट्टाकर्ता को भी, ऐसे उपांतरण या परिवर्तन की, जो किसी विद्यमान खनन पट्टे में करने की प्रस्थापना हो, पूर्व सूचना देना और प्रस्थापना के विरुद्ध कारण दर्शित करने का उसे अवसर देना ;
(ख) विद्यमान खनन पट्टे के किसी क्षेत्र के घटाए जाने के बारे में पट्टेदार को प्रतिकर देना ; तथा
(ग) वे सिद्धांत जिन पर, वह रीति जिससे और वह प्राधिकारी जिसके द्वारा उक्त प्रतिकर अवधारित किया जाएगा ।
कतिपय मामलों में पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं का उपक्रम करने की
केन्द्रीय सरकार की विशेष शक्तियां
17. कुछ भूमियों में पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं का उपक्रम करने की केन्द्रीय सरकार की विशेष शक्तियां-(1) इस धारा के उपबंध ॥। उस भूमि के बारे में लागू होंगे जिसके खनिज राज्य सरकार [या किसी अन्य व्यक्ति] में निहित हों ।
(2) इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार से परामर्श के पश्चात् किसी ऐसे क्षेत्र में [भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं] का उपक्रम कर सकेगी जो किसी 3[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के अधीन पहले से धारित न हो, और जहां ऐसा करने का उसका विचार हो वहां वह शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा,-
(क) ऐसे क्षेत्र की सीमाओं को विनिर्दिष्ट करेगी ;
(ख) इस बात का कथन करेगी कि उस क्षेत्र में पूर्वेक्षण संक्रियाएं चलाई जाएंगी या खनन संक्रियाएं ; तथा
(ग) ऐसे खनिज या खनिजों को विनिर्दिष्ट करेगी जिनके बारे में ऐसी संक्रियाएं चलाई जाएंगी ।
(3) जहां केन्द्रीय सरकार, उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग के किसी क्षेत्र में 3[भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं] का उपक्रम करे वहां केन्द्रीय सरकार, यथास्थिति, 3[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र फीस या पूर्वेक्षण फीस] स्वामिस्व, भू-भाटक या अनिवार्य भाटक का संदाय उसी दर से करने के दायित्व के अधीन होगी जिससे वह इस अधिनियम के अधीन इस दशा में संदेय होता जब 3[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के अधीन ऐसी 3[भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं] का उपक्रम किसी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा किया गया होता ।
(4) केन्द्रीय सरकार, उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अपने को समर्थ बनाने की दृष्टि से, राज्य सरकार से परामर्श के पश्चात्, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा यह घोषित कर सकेगी कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट भूमि के बारे में कोई भी 3[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] अनुदत्त नहीं किया जाएगा ।
[17क. संरक्षण के प्रयोजनों के लिए क्षेत्र का आरक्षण-(1) केन्द्रीय सरकार, किसी खनिज का संरक्षण करने की दृष्टि से और राज्य सरकार से परामर्श करने के पश्चात् किसी ऐसे क्षेत्र को जो किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के अधीन पहले से धृत नहीं है आरक्षित कर सकेगी तथा जहां उसकी ऐसा करने की प्रस्थापना हो, वहां वह राज्पत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे क्षेत्र की सीमाएं और वह या वे खनिज जिनके संबंध में ऐसा क्षेत्र आरक्षित किया जाएगा, विनिर्दिष्ट करेगी ।
[(1क) केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार के परामर्श से, किसी ऐसे क्षेत्र को, जो किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के अधीन पहले से धृत नहीं है, किसी सरकारी कंपनी या ऐसे निगम के जो इसके स्वामित्व या नियंत्रण में है, माध्यम से पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं करने के लिए आरक्षित कर सकेगी और जहां उसकी ऐसा करने की प्रस्थापना हो वहां वह, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे क्षेत्र की सीमाएं और वह खनिज या वे खनिज, जिनके संबंध में ऐसा क्षेत्र आरक्षित किया जाएगा विनिर्दिष्ट करेगी ।]
(2) राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से, किसी ऐसे क्षेत्र को, जो किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के अधीन पहले से धृत नहीं है, किसी सरकारी कंपनी या ऐसे निगम के [जो उसके स्वामित्व या नियंत्रण में हैं,] माध्यम से, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं की जाने के लिए आरक्षित कर सकेगी तथा जहां उसकी ऐसा करने की प्रस्थापना है वहां, राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा, ऐसे क्षेत्र की सीमाएं और वह या वे खनिज, जिनके संबंध में ऐसे क्षेत्र आरक्षित किए जाएंगे, विनिर्दिष्ट करेगी ।
[(2क) जहां, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार उपधारा (1क) या उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी क्षेत्र को पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं करने के लिए आरक्षित करती है, वहां राज्य सरकार ऐसे क्षेत्र की बाबत ऐसी सरकारी कंपनी या निगम को, यथास्थिति, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त करेगी:
परंतु केन्द्रीय सरकार, प्रथम अनुसूची के भाग क और भाग ख में विनिर्दिष्ट किसी खनिज की बाबत, यथास्थिति, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा राज्य सरकार का पूर्व अनुमोदन अभिप्राप्त करने के पश्चात् ही अनुदत्त करेगी ।
(2ख) जहां सरकारी कंपनी या निगम पूर्वेक्षण संक्रियाएं या खनन संक्रियाएं अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त उद्यम में करने की वांछा रखती हैं, वहां संयुक्त उद्यम भागीदार का चयन एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा और ऐसी सरकारी कंपनी या निगम ऐसे संयुक्त उद्यम में संदत्त शेयर पूंजी का चौहत्तर प्रतिशत से अधिक का धारण करेगी ।
(2ग) उपधार (2क) और उपधारा (2ख) में निर्दिष्ट सरकारी कंपनी या निगम या संयुक्त उद्यम को अनुदत्त खनन पट्टा ऐसी रकम, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित की जाए, के संदाय पर अनुदत्त किया जाएगा ।]
(3) [जहां, उपधारा (1क) या उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार, या राज्य सरकार] किसी ऐसे क्षेत्र में, जिनमें खनिज किसी प्राइवेट व्यक्ति में निहित है, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं करती है, वहां वह समय-समय पर, यथास्थिति, पूर्वेक्षण फीस, स्वामिस्व, भूमि भाटक या अनिवार्य भाटक का उसी दर से संदाय करने के दायित्वाधीन होगी जिस पर इस अधिनियम के अधीन तब संदेय होता यदि ऐसी पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के अधीन किसी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा की गई होती ।]
खनिजों का विकास
18. खनिज विकास-(1) केन्द्रीय सरकार का यह कर्तव्य होगा कि वह ऐसे सारे उपाय करे, जो [भारत में खनिजों के संरक्षण और व्यवस्थित विकास के लिए तथा किसी ऐसे प्रदूषण के, जो पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं से उत्पन्न हो, निवारण या नियंत्रण द्वारा पर्यावरण की संरक्षा के लिएट आवश्यक हों, और 2[ऐसे प्रयोजनों के लिए] केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा ऐसे नियम बना सकेगी जैसे वह ठीक समझे ।
(2) विशिष्टतः और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सब विषयों के लिए या उनमें से किसी के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्: -
(क) किसी क्षेत्र में नई खानें खोलना और खनन संक्रियाओं का विनियमन;
(ख) किसी खान के खनिजों के उत्खनन या संग्रहण का विनियमन;
(ग) अयस्कों के सज्जीकरण के प्रयोजन के लिए खानों के स्वामियों द्वारा किए जाने वाले उपाय, जिनके अंतर्गत ऐसे प्रयोजन के लिए यथोचित प्रयुक्तियों का उपबंध करना भी है;
(घ) किसी क्षेत्र में खनिज-साधनों का विकास;
(ङ) समस्त नई बोरिंग और कूपक गलाने की अधिसूचना और बोर-छिद्रों अभिलेखों और सब नए बोर-छिद्रों के क्रोड़ों के नमूनों का परिरक्षण;
(च) खनिजों के भण्डारकरण के इंतजाम का विनियमन और उनके स्टाक जो किसी व्यक्ति द्वारा रखे जा सकेंगे;
(छ) किसी खान के खनिजों के सैम्पलों का उसके स्वामी द्वारा भेजा जाना तथा वह रीति जिससे और वह प्राधिकारी जिसे ऐसे सैम्पल भेजे जाएंगे और राज्य सरकार द्वारा या उसके द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा किसी खान से किन्हीं खनिजों के सैम्पल लिए जाना;
(ज) खान के स्वामियों द्वारा ऐसी विशेष या कालिक-विवरणियों और रिपोर्टों भेजा जाना, जैसी विनिर्दिष्ट की जाएं, तथा वह प्ररूप जिसमें और वह प्राधिकारी जिसे ऐसी विवरणियां और रिपोर्टें भेजी जाएंगी;
[(झ) पूर्वेक्षण संक्रियाओं का विनियमन;
(ञ) पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं के पर्यवेक्षण के लिए अर्हताप्राप्त भू-वैज्ञानिकों या खनन इंजीनियरों का नियोजन:
(ट) किसी खान में चलाई जाने वाली किन्हीं खनन या धातुकर्मीय संक्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवशिष्ट अवपंक या अपशिष्ट उत्पादों का व्ययन या विसर्जन;
(ठ) वह रीति जिससे और वह प्राधिकारी जिसके द्वारा किसी खान के स्वामियों की खनिजों के संरक्षण या व्यवस्थित विकास के हित में अथवा ऐसे प्रदूषण के, जो पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाओं से उत्पन्न हो, निवारण या नियंत्रण द्वारा पर्यावरण की संरक्षा के लिए कुछ बात करने या उनके न करने के लिए निदेश जारी किए जा सकेंगे;
(ड) ऐसे रेखांकों, रजिस्टरों या अभिलेखों का, जो सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएं, रखा जाना और प्रस्तुत किया जाना;
(ढ) पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं चलाने वाले व्यक्तियों द्वारा खनन या भू-विज्ञान में उसके द्वारा किए गए किसी अनुसंधान के बारे में अभिलेखों या रिपोर्टों का प्रस्तुत किया जाना;
(ण) पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएं चलाने वाले व्यक्तियों द्वारा उन व्यक्तियों को, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा प्राधिकृत हैं, खनन या भू-विज्ञान से संबंधित विषयों में अनुसंधान करने या प्रशिक्षण लेने के प्रयोजन के लिए दी जाने वाली सुविधाएं;
(त) इस धारा के अधीन विरचित नियमों में से किसी के उल्लंघन के लिए जुर्मानों के अधिरोपण की प्रक्रिया और रीति तथा वह प्राधिकारी जो ऐसे जुर्माने अधिरोपित कर सकेगा;
(थ) वह प्राधिकारी जिसको, वह कालावधि जिसके भीतर, यह प्ररूप और रीति जिसमें इस अधिनियम और उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी प्राधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश के पुनरीक्षण के लिए आवेदन किए जा सकेंगे, संदाय की जाने वाली फीस तथा वे दस्तावेजें जो ऐसे आवेदनों के साथ लगाई जानी चाहिएं ।]
(3) इस धारा के अधीन बनाए गए सब नियम सरकार पर आबद्धकर होंगे ।
[18क. भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण आदि को अन्वेषण करने के लिए प्राधिकृत करने की शक्ति-(1) यदि केन्द्रीय सरकार की राय है कि भारत में खनिजों के संरक्षण और विकास के लिए यह आवश्यक है कि किसी भूमि में या उसके नीचे, जिसके सम्बन्ध में कोई पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा चाहे राज्य सरकार द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दिया गया है, उपलभ्य किसी खनिज के बारे में यथासम्भव ठीक-ठीक जानकारी एकत्र की जाएं तो केन्द्रीय सरकार भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण को या ऐसे अन्य प्राधिकरण को या अभिकरण को जिसे वह इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, ऐसी जानकारी अभिप्राप्त करने के प्रयोजनार्थ, ऐसा विस्तृत अन्वेषण करने के लिए प्राधिकृत कर सकती है जो आवश्यक हो :
परन्तु किसी राज्य सरकार द्वारा दी गई पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों या खनन पट्टों के मामलों में ऐसा प्राधिकार राज्य सरकार से परामर्श करने के पश्चात् ही दिया जाएगा न कि अन्यथा ।
(2) उपधारा (1) के अधीन किसी प्राधिकार के जारी किए जाने पर भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण या विनिर्दिष्ट प्राधिकरण या अभिकरण और उसके सेवकों और कर्मकारों के लिए विधिसम्मत होगा कि वे-
(क) ऐसी भूमि में प्रवेश करें;
(ख) अवमृदा के भीतर खोदें या भेदन करें;
(ग) ऐसी भूमि में या उसके नीचे उपलभ्य किसी खनिज के परिमाण को अवधारित करने के लिए आवश्यक अन्य समस्त कार्य करें;
(घ) उस भूमि की सीमाएं निश्चित करें जिसमें किसी खनिज के मिलने की आशा है;
(ङ) चिह्न लगाकर ऐसी सीमाओं और रेखा को चिह्नित करें;
(च) उस दशा में जब चिह्नित सीमाओं और रेखा के अन्तर्गत सर्वेक्षण अन्यथा पूरा नहीं किया जा सकता, किसी खड़ी फसल, बाड़ या जंगल के किसी भाग की कटाई या सफाई करें:
परन्तु ऐसा कोई भी प्राधिकरण या अभिकरण किसी भवन के भीतर या किसी निवास गृह से संलग्न किसी घिरे हुए आंगन या बाग में (उसके अधिभोगी की सहमति के बिना) प्रवेश, ऐसा करने के अपने आशय की कम से कम सात दिन की लिखित सूचना अधिभोगी को पहले दिए बिना, नहीं करेगा ।
(3) जब कभी उपधारा (2) में विनिर्दिष्ट प्रकार की कोई कार्रवाई की जानी है, तब केन्द्रीय सरकार, ऐसी कार्रवाई के किए जाने के पूर्व या उसके किए जाने के समय, उस सब अनिवार्य नुकसान के लिए जिसका होना सम्भाव्य हो, संदाय करेगी या संदाय का निविदान करेगी, और इस प्रकार संदत्त या निविदान की गई रकम की पर्याप्तता के बारे में, अथवा उस व्यक्ति के बारे में, जिसे उसका वे संदाय या निविदान किया जाना चाहिए, विवाद की दशा में, केन्द्रीय सरकार उस विवाद को उस आरम्भिक अधिकारिता वाले प्रधान सिविल न्यायालय को निर्दिष्ट करेगी जिसकी कि प्रश्नगत भूमि पर अधिकारिता है ।
(4) यह बात कि ऐसा कोई विवाद विद्यमान है, जैसा उपधारा (3) में निर्दिष्ट है, उपधारा (2) के अधीन किसी कार्रवाई का किया जाना वर्जित नहीं करेगा ।
(5) अन्वेषण पूरा हो जाने के पश्चात् भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण अथवा विनिर्दिष्ट प्राधिकरण या अभिकरण जिसने अन्वेषण किया है, केन्द्रीय सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट देगा जिसमें उस खनिज का जो उस भूमि में या उसके नीचे हो, परिमाण और प्रकार उपदर्शित होगा ।
(6) इस धारा के अधीन किए गए अन्वेषण का खर्च केन्द्रीय सरकार वहन करेगी:
परन्तु यदि राज्य सरकार अथवा अन्य व्यक्ति, जिसमें वे खनिज निहित हैं, या किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे का धारक, केन्द्रीय सरकार से आवेदन करता है कि उपधारा (5) के अधीन दी गई रिपोर्ट की एक प्रति उसे दी जाए, वहां, यथास्थिति, वह सरकार या अन्य व्यक्ति या पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे का धारक, अन्वेषण के खर्च के इतने उचित भाग का वहन करेगा जितना केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे और अन्वेषण खर्च के ऐसे भाग के संदाय पर, केन्द्रीय सरकार को उपधारा (5) के अधीन दी गई रिपोर्ट की सही प्रति, उससे प्राप्त करने का हकदार होगा ।]
प्रकीर्ण
19. यदि [भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां और खनन पट्टे] इस अधिनियम का उल्लंघन करें तो उनका शून्य होना-इस अधिनियम के उपबंधों के या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों और किए गए किन्हीं आदेशों के उल्लंघन में अनुदत्त, नवीकृत या अर्जित 1[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] शून्य होगा और उसका कोई प्रभाव नहीं होगा ।
स्पष्टीकरण-जहां किसी व्यक्ति ने ॥। एक से अधिक 1[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियां या खनन पट्टे] अर्जित किए हों और, यथास्थिति 1[ऐसे अनुज्ञापत्रों, ऐसी अनुज्ञप्तियों या ऐसे पट्टोंट का संकलित क्षेत्रफल धारा 6 के अधीन अनुज्ञेय अधिकतम क्षेत्रफल से अधिक हो वहां केवल वही 1[भूमीक्षण, अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा] शून्य समझा जाएगा जिसके अर्जन के परिणामस्वरूप वह संकलित क्षेत्रफल ऐसे अधिकतम क्षेत्रफल से अधिक हो गया हो ।
20. अधिनियम और नियमों का पूर्वेक्षण अनुज्ञप्तियों और खनन पट्टों के सभी नवीकरणों को लागू होना-इस अधिनियम और तद्धीन बनाए गए नियमों के उपबन्ध इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व अनुदत्त पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के उस नवीकरण को जो ऐसे प्रारम्भ के पश्चात् किया जाए उसी प्रकार लागू होंगे जैसे वे ऐसे प्रारम्भ के पश्चात् अनुदत्त पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे के नवीकरण को लागू होते हैं ।
[20क. केन्द्रीय सरकार की निदेश देने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकारों को ऐसे निदेश जारी कर सकेगी जो खनिज संसाधनों के संरक्षण के लिए या राष्ट्रीय हित में किसी नीति के विषय पर और खनिज संसाधनों के वैज्ञानिक और भरणीय विकास तथा अन्वेषण के लिए अपेक्षित हों ।
(2) केन्द्रीय सरकार, विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना निम्नलिखित विषयों की बाबत भी निदेश जारी कर सकेगी, अर्थात्: -
(i) खनिज रियायतें अनुदत्त करने की प्रक्रिया में सुधार और कानूनी निकासियां प्रदान करने का उत्तरदायित्व सौंपे गए अभिकरणों के बीच समन्वय का सुनिश्चय;
(ii) इंटरनेट आधारित डाटा बेस का अनुरक्षण जिसके अंतर्गत खनन भूखंड प्रणाली के विकास और प्रचालन का अनुरक्षण भी है;
(iii) धारणीय विकास ढांचे का कार्यान्वयन और मूल्यांकन;
(iv) अपशष्ट सृजन में कटौती और संबंधित अपशिष्ट प्रबंधन पद्धतियों तथा सामग्रियों के पुनः चक्रीकरण का संवर्धन;
(v) प्रतिकूल पर्यावरणीय समाघातों का न्यूनीकरण और उनका अवशमन विशिष्टतया भू-जल, वायु, परिवेश रव और भूमि;
(vi) जैव विविधता वनस्तपति, प्राणी और पर्यवास के निबंधनों में न्यूनतम पारिस्थितिकीय विक्षोभ का सुनिश्चय;
(vii) प्रत्यावर्तन भूमि उद्धार कार्यकलापों का संवर्धन जिससे खनन की गई भूमि का स्थानीय समुदायों के फायदे के लिए अनुकूलतम उपयोग किया जा सके; और
(viii) ऐसे अन्य विषय जो इस अधिनियम के कार्यान्वयन के प्रयोजनों के लिए आवश्यक हों ।]
21. शास्तियां- [(1) जो कोई धारा 4 की उपधारा (1) या उपधारा (1क) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा वह कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से जो प्रति हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पांच लाख रुपए तक हो सकेगा, दंडनीय होगा ।
(2) इस अधिनियम के किसी उपबंध के अधीन बनाया गया कोई नियम उपबंध कर सकेगा कि उसका उल्लंघन कारावास से जो दो वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से जो पांच लाख रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से और उल्लंघन के चालू रहने की दशा में, अतिरिक्त जुर्माने से जो ऐसे उल्लंघन के लिए प्रथम दोषसिद्धि के पश्चात् प्रत्येक दिन जिसके दौरान ऐसा उल्लंघन चालू रहता है पचास हजार रुपए तक हो सकेगा, दंडनीय होगा ।]
[(3) जहां कोई व्यक्ति धारा 4 की उपधारा (1) के उपबन्धों का उल्लंघन करके किसी भूमि में अतिचार करेगा वहां ऐसे अतिचारी पर राज्य सरकार अथवा उस सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी प्राधिकरण द्वारा बेदखली का आदेश तामील किया जा सकेगा और राज्य सरकार अथवा ऐसा प्राधिकृत प्राधिकरण उस भूमि से अतिचारी को बेदखल करने के लिए, यदि आवश्यक हो तो, पुलिस की सहायता ले सकेगा ।]
[(4) जब कभी कोई व्यक्ति किसी भूमि से कोई खनिज किसी विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना निकालेगा, उसका परिवहन करेगा या निकलवाएगा या उसका परिवहन करवाएगा और उस प्रयोजन के लिए किसी औजार, उपस्कर, यान अथवा किसी अन्य चीज का उपयोग करेगा तो, ऐसा खनिज, औजार, उपस्कर, यान अथवा अन्य चीज किसी ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा अभिगृहित की जा सकेगी जो इस निमित्त विशेष रूप से सशक्त हो ।]
(4क) उपधारा (4) के अधीन अभिगृहीत कोई खनिज, औजार, उपस्कर, यान अथवा अन्य चीज उपधारा (1) के अधीन अपराध का संज्ञान करने के लिए सक्षम न्यायालय के किसी आदेश द्वारा अधिहृत की जा सकेगी और उसका ऐसे न्यायालय के निदेशों के अनुसार व्ययन किया जाएगा ।]
(5) जब कभी कोई व्यक्ति किसी भूमि से कोई खनिज किसी विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना निकालेगा, तब राज्य सरकार इस प्रकार निकाले गए खनिज को अथवा जहां ऐसे खनिज का पहले से ही व्ययन कर दिया गया है, वहां उसकी कीमत को ऐसे व्यक्ति से वसूल कर सकेगी और उस कालावधि के लिए, जिसके दौरान ऐसे व्यक्ति ने उस भूमि पर किसी विधिपूर्ण प्राधिकार के बिना कब्जा कर लिया है, यथास्थिति, भाटक, स्वामिस्व या कर को भी ऐसे व्यक्ति से वसूल कर सकेगी ।]
[(6) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) में किसी बात के होते हुए भी, उपधारा (1) के अधीन कोई अपराध संज्ञेय होगा ।]
22. अपराधों का संज्ञान-कोई न्यायालय इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों के अधीन दंडनीय किसी अपराध का संज्ञान, केन्द्रीय सरकार या राज्य द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा किए गए लिखित परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं ।
23. कंपनियों द्वारा अपराध-(1) यदि इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमें के अधीन अपराध करने वाला व्यक्ति कंपनी हो तो प्रत्येक व्यक्ति, जो अपराध किए जाने के समय उस कंपनी के कारबार के संचालन के लिए उस कंपनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था, अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यावाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा:
परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को दंड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर दे कि वह अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध का किया जाना निवारित करने के लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी ।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कंपनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की सम्मति या मौनानुकूलता से किया गया हो वहां ऐसा निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दंडित किए जाने का भागी होगा ।
स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए-
(क) कंपनी" से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम भी हैं;
(ख) फर्म के सम्बन्ध में निदेशक" से फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।
[23क. अपराधों का प्रशमन-(1) इस अधिनियम अथवा तद्धीन बनाए गए किन्हीं नियमों के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का, अभियोजन के संस्थित किए जाने के पूर्व या पश्चात् उस व्यक्ति द्वारा प्रशमन, जो उस अपराध के बारे में धारा 22 के अधीन न्यायालय से परिवाद करने के लिए प्राधिकृत है, सरकार के खाते जमा किए जाने के लिए उस व्यक्ति को उतनी राशि के संदाय पर किया जा सकेगा जितनी वह व्यक्ति विनिर्दिष्ट करे:
परन्तु ऐसे अपराध की दशा, में जो केवल जुर्माने से दण्डनीय है ऐसी राशि उस जुर्माने की अधिकतम रकम से अधिक न होगी जो उस अपराध के लिए अधिरोपित किया जा सकता है ।
(2) जब उपधारा (1) के अधीन किसी अपराध का प्रशमन कर दिया जाता है, तब उस अपराध के बारे में, जिसका इस प्रकार प्रशमन किया गया हो, अपराधी के विरुद्ध, यथास्थिति, कोई कार्यवाही या अतिरिक्त कार्यवाही नहीं की जाएगी और यदि अपराधी अभिरक्षा में हो, तो उसे तत्काल छोड़ दिया जाएगा ।]
[23ख. तलाशी लेने की शक्ति-यदि केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के ऐसे किसी राजपत्रित अधिकारी के पास, [जिसे, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार ने] साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया है यह विश्वविद्यालयवास करने का कारण है कि कोई खनिज, इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबंधों के उल्लंघन में निकाला गया है या ऐसे खनिज के संबंध में किसी दस्तावेज या वस्तु को किसी स्थान में [या यान में] छिपा रखा है तो वह ऐसे खनिज, दस्तावेज या वस्तु के लिए तलाशी ले सकेगा और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 100 के उपबंध प्रत्येक ऐसी तलाशी को लागू होंगे ।]
[23ग. खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण को निवारित करने के लिए नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्ति-(1) राज्य सरकार, खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण को निवारित करने के लिए तथा उससे संबंधित प्रयोजनों के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी ।
(2) विशिष्टतया और पूर्वेगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या उनमें से किसी विषय के बारे में उपबंध किया जा सकेगा, अर्थात्: -
(क) अभिवहन में खनिजों की जांच-पड़ताल करने के लिए चैक पोस्टों की स्थापना;
(ख) परिवहनित किए जाने वाले खनिजों की मात्रा की माप-तोल करने के लिए तुला चौकियों की स्थापना;
(ग) किसी पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे अथवा खदान अनुज्ञप्ति या अनुज्ञापत्र के अधीन अनुदत्त क्षेत्र से, परिवहनित किए जा रहे खनिज का विनियमन चाहे उन खनिजों को उत्खनित करने की किसी नाम से अनुज्ञा दी गई हो;
(घ) उत्खनन या भंडारण के स्थान या अभिवहन के दौरान खनिजों का निरीक्षण, जांच-पड़ताल और तलाशी;
(ङ) इन नियमों के प्रयोजनों के रजिस्टर और प्ररूपों का रखा जाना;
(च) वह अवधि, जिसके भीतर और वह प्राधिकारी, जिसे इस धारा के अधीन बनाए गए किसी नियम के अधीन किसी प्राधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश के पुनरीक्षण के लिए आवेदन दिए जा सकेंगे और उनके लिए संदत की जाने वाली फीस तथा ऐसे आवेदनों का निपटारा करने के लिए ऐसे प्राधिकारी की शक्तियां;
(छ) कोई अन्य विषय जिसका खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण के निवारण के प्रयोजन के लिए विहित किया जाना अपेक्षित हो या जो विहित किया जाए ।
(3) धारा 30 में किसी बात के होते हुए भी, केन्द्रीय सरकार को, उपधारा (1) और उपधारा (2) के अधीन बनाए गए नियमों के अधीन राज्य सरकार या उसके प्राधिकृत अधिकारियों में से किसी अधिकारी या किसी प्राधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश को पुनरीक्षित करने की शक्ति नहीं होगी ।]
24. प्रवेश और निरीक्षण की शक्ति-(1) किसी खान या परित्यक्त खान के कार्यकरण की वास्तविक या भावी स्थिति अभिनिश्चित करने के प्रयोजन से या इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों से संबद्ध किसी अन्य प्रयोजन से कोई व्यक्ति, जो [केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार] द्वारा साधारण ॥। आदेश द्वारा उस निमित्त प्राधिकृत किया गया हो, -
(क) किसी खान में प्रवेश कर सकेगा और उसका निरीक्षण कर सकेगा;
(ख) ऐसी किसी खान का सर्वेक्षण कर सकेगा और उसका माप ले सकेगा;
(ग) किसी खान में पड़े हुए खनिजों के स्टाक को तोल या माप सकेगा या उसके माप ले सकेगा;
(घ) जिस व्यक्ति का किसी खान पर नियंत्रण हो या जो व्यक्ति किसी खान से संबद्ध हो उसके कब्जे या शक्ति में की किसी दस्तावेज, पुस्तक, रजिस्टर या अभिलेख की परीक्षा कर सकेगा और उस पर पहचान-चिह्न लगा सकेगा और ऐसी दस्तावेज, पुस्तक, रजिस्टर या अभिलेख से उद्धरण ले सकेगा या उसकी प्रतिलिपियां बना सकेगा;
(ङ) किसी ऐसी दस्तावेज, पुस्तक, रजिस्टर या अभिलेख के पेश किए जाने का आदेश दे सकेगा जैसी खंड (घ) में निर्दिष्ट है; तथा
(च) किसी ऐसे व्यक्ति की परीक्षा कर सकेगा जिसका किसी खान पर नियंत्रण हो या जो किसी खान से संबंद्ध हो ।
(2) [केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार] द्वारा उपधारा (1) के अधीन प्राधिकृत प्रत्येक व्यक्ति भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोक सेवक समझा जाएगा और प्रत्येक व्यक्ति जिसके लिए उस उपधारा के खंड (ङ) या खंड (च) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के आधार पर कोई आदेश या सम्मन निकाला जाए, यथास्थिति, ऐसे आदेश या सम्मन का अनुपालन करने के लिए वैध रूप से आबद्ध होगा ।
[24क. पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के धारक के अधिकार और दायित्व-(1) इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के जारी किए जाने पर 3[ऐसे अनुज्ञापत्र, अनुज्ञप्ति या पट्टे के धारक] उसके अभिकर्ताओं या उसके सेवकों या कर्मकारों के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वे उन भूमियों पर, जिनका 3[ऐसा अनुज्ञापत्र, पट्टा या अनुज्ञप्ति अनुदत्त की गई है], उनके चालू रहने के दौरान सभी समयों पर प्रवेश करें और ऐसी 3[भूमीक्षण, पूर्वेक्षण या खनन संक्रियाएंट चलाए जो विहित की जाएं :
परन्तु कोई भी व्यक्ति किसी भवन में या किसी विनिर्माण से संलग्न किसी परिवेष्टित आंगन या उद्यान में (उसके अधिभोगी की सम्मति के सिवाय) ऐसे अधिभोगी को ऐसा करने के अपने आशय ही पहले की कम से कम सात दिन की लिखित सूचना दिए बिना, प्रवेश नहीं करेगा ।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट 3[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] का धारक उस भूमि की, जो 3[ऐसे अनुज्ञापत्र, अनुज्ञप्ति या पट्टे के अधीन] अनुदत्त की गई है सतह के अधिभोगी की किसी ऐसी हानि या नुकसान के लिए 3[जिसके भूमीक्षण खनन या पूर्वेक्षण संक्रियाओं से] या उनके परिणामस्वरूप होने की संभावना है या जो हो गया है, प्रतिकर का, ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, संदाय करने के दायित्वाधीन होगा ।
(3) उपधारा (2) के अधीन संदेय प्रतिकर की रकम का राज्य सरकार द्वारा विहित रीति से अवधारण किया जाएगा ।]
25. कुछ राशियों की भू-राजस्व की बकाया के रूप में वसूली- [(1)] इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन या किसी [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के निबंधनों और शर्तों के अधीन सरकार को देय कोई भाटक, स्वामिस्व, कर, फीस या अन्य धनराशि ऐसे अधिकारी के प्रमाणपत्र पर, जैसा राज्य सरकार द्वारा साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाए, उसी रीति से वसूल की जा सकेगी जिससे भू-राजस्व की बकाया वसूल की जाती है ।
[(2) इस अधिनियम या तद्धीन बनाए गए किसी नियम के अधीन या किसी 5[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के निबन्धनों और शर्तों के अधीन सरकार को देय कोई भाटक, स्वामिस्व, कर, फीस या अन्य राशि, किसी ऐसे अधिकारी के प्रमाणपत्र पर जिसे राज्य सरकार साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, उसी रीति से वसूल की जा सकेगी मानो वह भू-राजस्व की बकाया हो और प्रत्येक ऐसी राशि, जो खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 1972 के प्रारम्भ के पश्चात् सरकार को देय हो जाए, उस पर देय ब्याज सहित, यथास्थिति, 5[भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टे] के धारक की आस्तियों पर प्रथम भार होगी ।
26. शक्तियों का प्रत्यायोजन-(1) केन्द्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगी कि इस अधिनियम के अधीन उसके द्वारा प्रयोक्तव्य कोई शक्ति, ऐसी बातों के सम्बन्ध में और ऐसी शर्तों के, यदि कोई हों, अध्यधीन रहते हुए जैसी उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं, -
(क) केन्द्रीय सरकार के अधीनस्थ ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा, अथवा
(ख) ऐसी राज्य सरकार द्वारा या राज्य सरकार के अधीनस्थ ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा,
भी प्रयोक्तव्य होगी जिसे उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए ।
(2) राज्य सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगी कि इस अधिनियम के अधीन उसके द्वारा प्रयोक्तव्य कोई शक्ति, ऐसी बातों के सम्बन्ध में और ऐसी शर्तों के, यदि कोई हों, अध्यधीन रहते हुए, जैसी उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाएं, राज्य सरकार के अधीनस्थ ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा भी प्रयोक्तव्य होगी जो उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए ।
(3) केन्द्रीय सरकार द्वारा इस अधिनियम के अधीन बनाए गए कोई नियम किसी राज्य सरकार को या उसके अधीनस्थ किसी अधिकारी या प्राधिकारी को शक्तियां प्रदान कर सकेंगे और उस पर कर्तव्य अधिरोपित कर सकेंगे अथवा उसे शक्तियों का प्रदान या उस पर कर्तव्यों का अधिरोपण प्राधिकृत कर सकेंगे ।
27. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए परित्राण-किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के लिए नहीं होगी ।
28. नियमों और अधिसूचनाओं का संसद् के समक्ष रखा जाना और कतिपय नियमों का संसद् द्वारा अनुमोदित किया जाना- [(1) इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाए गए प्रत्येक नियम और अधिसूचना को, बनाए जाने के पश्चात् यथाशक्यशीघ्र संसद् के प्रत्येक संदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल मिलाकर तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व, दोनों सदन उस नियम या अधिसूचना में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगी । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम या अधिसूचना नहीं बनाई जानी चाहिए, तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगी । किन्तु नियम या अधिसूचना के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से पहले उसके अधीन की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।]
(2) केन्द्रीय सरकार में निहित नियम बनाने की शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, धारा 16 की उपधारा (2) के खंड (ग) के प्रति निर्देश से बनाए गए कोई नियम तब तक प्रवृत्त नहीं होंगे जब तक वे संसद् के प्रत्येक सदन द्वारा उपांतरों के सहित या उनके बिना अनुमोदित न कर दिए गए हों ।
[(3) इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम और निकाली गई प्रत्येक अधिसूचना, बनाए जाने या निकाले जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, राज्य विधान-मंडल के जहां उसके दो सदन हैं वहां प्रत्येक सदन के समक्ष, या जहां ऐसे विधान-मंडल का एक सदन है वहां उस सदन के समक्ष रखी जाएगी ।]
29. विद्यमान नियमों का बना रहना-खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1948 (1948 का 53) के अधीन बनाए गए या बनाए गए तात्पर्यित सब नियम, जहां तक वे उन बातों के सम्बन्ध में हैं जिनके लिए इस अधिनियम में उपबंध किया गया है और उससे असंगत नहीं हैं, इस अधिनियम के अधीन इस प्रकार बनाए गए समझे जाएंगे मानो जिस तारीख को ऐसे नियम बनाए गए थे उस तारीख को यह अधिनियम प्रवृत्त रहा हो और जब तक और जहां तक वे इस अधिनियम के अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों द्वारा अतिष्ठित न कर दिए जाएं, प्रवृत्त बने रहेंगे ।
[30. केन्द्रीय सरकार द्वारा पुनरीक्षण की शक्ति-केन्द्रीय सरकार, स्वप्रेरणा से या विहित समय के भीतर किसी व्यथित पक्षकार द्वारा किए गए आवेदन पर, -
(क) राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी द्वारा गौण खनिज से भिन्न किसी खनिज की बाबत इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उसे प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए किए गए किसी आदेश का पुनरीक्षण कर सकेगी; या
(ख) जहां राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी द्वारा उसे इस अधिनियम के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए गौण खनिज से भिन्न किसी खनिज की बाबत उसके लिए विहित समय के भीतर ऐसा कोई आदेश नहीं किया जाता है, ऐसा कोई आदेश पारित कर सकेगी जो वह परिस्थितियों में ठीक और उचित समझे:
परंतु केन्द्रीय सरकार, खंड (ख) के अधीन आने वाले मामलों में इस खंड के अधीन कोई आदेश पारित करने से पूर्व मामले में सुने जाने का अवसर या मामले को प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगी ।]
[30क. 25 अक्तुबर, 1949 के पूर्व अनुदत्त कोयले के लिए खनन पट्टों के सम्बन्ध में विशेष उपबंध-इस अधिनिम में किसी बात के होते हुए भी, धारा 9 की उपधारा (1) के और धारा 16 की उपधारा (1) के उपबंध कोयले के बारे के उन खनन पट्टों को या उनके सम्बन्ध में लागू नहीं होंगे, जो अक्तुबर, 1949 के पच्चीसवें दिन के पूर्व अनुदत्त किए गए हों ; किन्तु केन्द्रीय सरकार, यदि उसका समाधान हो जाए कि ऐसा करना समीचीन है तो, शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगी कि उक्त सब उपबंध (जिनके अंतर्गत धारा 13 और 18 के अधीन बनाए गए नियम भी हैं) या उनमें से कोई, ऐसे अपवादों और उपांतरों के, यदि कोई हों, अध्यधीन रहते हुए जैसे उस अधिसूचना या किसी पश्चात्वर्ती अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जांए, ऐसे पट्टों को या उनके सम्बन्ध में लागू होंगे ।]
[30ख. विशेष न्यायालयों का गठन-(1) राज्य सरकार धारा 4 की उपधारा (1) या उपधारा (1क) के उल्लंघन के अपराधों के त्वरित विचारण के प्रयोजनों के लिए अधिसूचना द्वारा उतने विशेष न्यायालयों का गठन कर सकेगी जितने अधिसूचना में विनिर्दिष्ट क्षेत्र या क्षेत्रों के लिए आवश्यक हों ।
(2) विशेष न्यायालय में उच्च न्यायालय की सहमति से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक न्यायाधीश होगा ।
(3) कोई व्यक्ति विशेष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए तभी अर्हित होगा जब वह जिला और सत्र न्यायाधीश हो या रहा हो ।
(4) विशेष न्यायालय के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति उच्च न्यायालय को ऐसे आदेश की तारीख से साठ दिन की अवधि के भीतर अपील कर सकेगा ।
30ग. विशेष न्यायालयों को सत्र न्यायालय की शक्तियों का होना-सिवाय इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को लागू होगी और इस अधिनियम के उपबंधों के प्रयोजनों के लिए विशेष न्यायालय को सत्र न्यायालय माना जाएगा और उसे सत्र न्यायालय की सभी शक्तियां होंगी तथा विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाले व्यक्ति को लोक अभियोजक माना जाएगा ।]
31 विशेष मामलों में नियमों को शिथिल करना-यदि केन्द्रीय सरकार की राय हो कि खनिज विकास के हित में ऐसा करना आवश्यक है तो वह लिखित आदेश द्वारा और उन कारणों से जो अभिलिखित किए जाएंगे, किसी मामले में, धारा 13 के अधीन बनाए गए नियमों में अधिकथित निबंधनों और शर्तों से भिन्न निबंधनों और शर्तो पर किसी खनिज की तलाश या उसे लब्ध करने के प्रयोजनार्थ किसी [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त किया जाना] नवीकरण या अंतरण या किसी खान का कार्यकरण प्राधिकृत कर सकेगी ।
करने के प्रयोजनार्थ किसी [भूमीक्षण अनुज्ञापत्र, पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या खनन पट्टा अनुदत्त किया जाना] नवीकरण या अंतरण या किसी खान का कार्यकरण प्राधिकृत कर सकेगी ।
32. [1948 के अधिनियम सं० 53 में संशोधन]-निपसन और संशोधन अधिनियम, 1960 (1960 का 58) की धारा और अनुसूची द्वारा निरसित ।
33. कतिपय कार्यों को विधिमान्य बनाना और उनके लिए परित्राण-खानों के विनियमन और खनिजों के विकास के बारे में 26 जनवरी, 1950 को आरंभ होने वाली और इस अधिनियम के प्रारम्भ की तारीख को समाप्त होने वाली कालावधि के दौरान खान और खनिज (विकास और विनियमन), अधिनियम, 1948 के अधीन सरकार द्वारा या सरकार के किसी अधिकारी द्वारा या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा, इस विश्वास या तात्पर्यित विश्वास से किए गए कार्यपालक प्राधिकार के सब कार्य, की गई सब कार्यवाहियां और दिए गए सब दंडादेश, कि वे कार्य, कार्यवाहियां या दंडादेश उक्त अधिनियम के अधीन किए जा रहे, की जा रही या दिए जा रहे हैं, ऐसे विधिमान्य और प्रवर्तनशील होंगे, मानों वे विधि के अनुसार किए गए, की गई या दिए गए हों और कोई वाद या अन्य विधिक कार्यवाही इस आधारा पर न की जाएगी और न चालू रखी जाएगी कि कोई ऐसे कार्य, कार्यवाहियां या दण्डादेश विधि के अनुसार नहीं किए गए, की गई या दिए गए ।
[प्रथम अनुसूची
[धारा 4(3), 5(1), 7(2) और [8 (1), 8क (1), 10क, 10ख (1), 10ग (1), 11(1), 11ख, 11ग, 12क (1) और 17क (2क) देखिए]
विनिर्दिष्ट खनिज
भाग क
हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिज
1. कोयला और लिग्नाइट ।
भाग ख
परमाणु खनिज
1. बेरिल और अन्य बेरिलियमधारी खनिज ।
2. लीथियमधारी खनिज ।
3. दुर्लभ मृदा" समूह के खनिज जिनमें यूरेनियम और थोरियम अंतर्विष्ट हैं ।
4. नायोबियमधारी खनिज ।
5. फास्फोराइट और अन्य फास्फेटी अयस्क जिनमें यूरेनियम अंतर्विष्ट है ।
6. पिचब्लेंड और अन्य यूरेनियम अयस्क ।
[7. आइटेनियम, जिसमें खनिज और अयस्क होते हैं (इल्मेनाइट, रुटाइल और लियोकोक्सीन) ।]
8. टैन्टेलियमधारी खनिज ।
9. यूरेनीफैरस ऐलैनाइट, मोनेजाइट और अन्य थोरियम खनिज ।
10. तांबा और स्वर्ण के निष्कर्षण के पश्चात् अयस्कों के बचे हुए यूरेनियमधारी अवशिष्ट, इल्मेंनाइट और अन्य टाइटेनियम अयस्कों ।
3[11. जरकानियम, जिसमें जरकान सहित खनिज और अयस्क होते हैं ।]
भाग ग
धात्त्विक और गैर धात्त्विक खनिज
1. एस्बेस्टास ।
2. बाक्साइट ।
3. क्रोम अयस्क ।
4. ताम्र अयस्क ।
5. स्वर्ण ।
6. लौह अयस्क ।
7. सीसा ।
[8. । । । । । । ।]
9. मैंगनीज अयस्क ।
10. बहुमूल्य रत्न ।
11. जस्ता ।
द्वितीय अनुसूची
[धारा 9 देखिए]
स्वामिस्व की दरें
[सभी राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों में, असम और पश्चिमी बंगाल राज्य के सिवाय, लागू स्वामित्व की दरें ।
1. एगेट |
तिहत्तर रुपए प्रति टन |
|
2. (i) ऐपाटाइट |
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|
(क) 27% पी2ओ5 से अधिक युक्त अयस्क |
सत्तर रुपए प्रति टन |
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(ख) 20% पी2ओ5 से 27% पी2ओ5 तक युक्त अयस्क |
चालीस रुपए प्रति टन |
|
(ग) 20% से कम पी2ओ5 युक्त अयस्क |
सत्रह रुपए प्रति टन |
|
(ii) शैल फास्फेट |
|
|
(क) 30% प्रतिशत पी2ओ5 से ऊपर |
एक सौ बावन रुपए प्रति टन |
|
(ख) 25% प्रतिशत पी2ओ5 से ऊपर और 30% पी2ओ5 तक |
छियानवे रुपए प्रति टन |
|
(ग) 20 प्रतिशत पी2ओ5 से ऊपर और 25 प्रतिशत पी2ओ5 तक |
छप्पन रुपए प्रति टन |
|
(घ) 20 प्रतिशत पी2ओ5 तक |
तेईस रुपए प्रति टन |
|
3. ऐस्बेस्टास: |
|
|
(क) क्रिसोटाइल |
सात सौ छब्बीस रुपए प्रति टन |
|
(ख) ऐम्फिबोस |
अट्ठाईस रुपए प्रति टन |
|
4. बैराइट्रस: |
|
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(क) श्वेत (हिमश्वेत और उच्चतर हिमश्वेत सहित) |
चौवन रुपए प्रति टन |
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(ख) आफ कलर |
तीस रुपए प्रति टन |
|
5. बेक्साइट |
चौतीस रुपए प्रति टन |
|
6. ब्राउन इबमेनाइट (ल्यूकॉक्सीन) |
एक सौ तेरह रुपए प्रति टन |
|
7. कैटमियम |
एक टन अयस्क में कैडमियम धातु के प्रति एक प्रतिशत पर चौहत्तर रुपए और आनुपातिक आधार पर । |
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8. कैल्साइट |
चवालीस रुपए प्रति टन |
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9. चीनी मिट्टी: जिसे काओलिन भी कहा जाता है (जिसके अन्तर्गत बालकले भी है) और श्वेत शैल: |
||
(क) अपरिष्कृत |
चौदह रुपए प्रति टन |
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(ख) प्रसंस्कृत (जिसके अन्तर्गत घुली हुई भी है) |
बासठ रुपए प्रति टन |
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10. क्रोमाइट (संपीड़ित, अचूर्णशील अयस्क और सांद्र दोनों): |
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(क) जिसमें 42% सी आर2ओ3 और उससे ऊपर हो |
दो सौ पचपन रुपए प्रति टन |
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(ख) जिसमें 47% से कम सी आर2ओ3 और 40% से अधिक सी आर2ओ3 हो |
एक सौ पैंतीस रुपए प्रति टन |
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(ग) जिसमें 30% से 40% तक सी आर2ओ3 हो |
नब्बे रुपए प्रति टन |
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(घ) जिसमें 30% से कम सी आर2ओ3 हो |
तेईस रुपए प्रति टन |
|
[11. कोयला: |
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(अ) पश्चिमी बंगाल और असम राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों और संघ राज्क्षेत्रों में उत्पादित कोयला: - |
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(i) ग्रुप 1 कोयला: |
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(क) कोककारी कोयला |
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इस्पात ग्रेड i |
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इस्पात ग्रेड ii |
केवल एक सौ पचास रुपए प्रति टन |
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वाशरी ग्रेड i |
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(ख) अरुचलणा प्रदेश, मेघालय और नागालैण्ड में उत्पादित हाथ से उठाया गया कोयला |
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(ii) ग्रुप 2 कोयला: |
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(क) कोककारी कोयला वाशरी ग्रेड ii |
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कोककारी कोयला वाशरी ग्रेड iii |
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(ख) अर्द्ध-कोककारी कोयला ग्रेड i |
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अर्द्ध-कोककारी कोलया ग्रेड ii |
केवल एक सौ बीस रुपए प्रति टन |
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(ग) गैर कोककारी कोयला ग्रेड क |
|
|
गैर कोककारी कोलया ग्रेड ख |
|
|
(घ) अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैण्ड में उत्पादित बिना ग्रेड का खान से निकाला हुआ कोयला । |
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(iii) ग्रुप 3 कोयला: |
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(क) कोककारी कोयला वाशरी ग्रेड iv |
केवल पचहत्तर रुपए प्रति टन |
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(ख) गैर कोककारी कोयला ग्रेड ङ |
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(iv) ग्रुप 4 कोयला: |
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(क) गैर कोककारी कोयला ग्रेड घ |
केवल पैंतालीस रुपए प्रति टन |
|
(ख) गैर कोककारी कोयला ग्रेड ङ |
||
(v) ग्रुप 5 कोयला: |
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(क) गैर कोककारी कोयला ग्रेड च |
केवल पचीस रुपए प्रति टन |
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(ख) गैर कोककारी कोयला ग्रेड छ |
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लिग्नाइट" |
केवल दो रुपए पचास पैसे प्रति टन |
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(vi) ग्रुप 6 कोयला: |
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आन्ध्र प्रदेश राज्य में उत्पादित कोयला (सिंगरैनी कोलियरी कंपनी लि०) |
केवल सत्तर रुपए प्रति टन |
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[(ख) पश्चिमी बंगाल और मेघालय राज्यों में उत्पादित कोयला |
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[(i) ग्रुप- i कोयला: |
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(क) कोककारी कोयला |
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इस्पात ग्रेड i |
सात रुपए प्रति टन |
|
इस्पात ग्रेड ii |
||
वाशरी ग्रेड iii |
||
(ख) मेघालय राज्य में उत्पादित हाथ से उठाया गया कोयला |
एक सौ पचास रुपए प्रति टन |
|
(ii) ग्रुप-ii कोयला: |
|
|
(क) कोककारी कोयला |
|
|
वाशरी ग्रेड ii |
छह रुपए पचास पैसे प्रति टन |
|
कोककारी कोयला |
||
वाशरी ग्रेड iii |
||
(ख) अर्द्ध कोककारी कोयला |
|
|
ग्रेड i |
छह रुपए पचास पैसे प्रति टन |
|
अर्द्ध कोककारी कोयला |
||
ग्रेड ii |
||
(ग) अकोककारी कोयला |
|
|
ग्रेड क |
छह रुपए पचास पैसे प्रति टन |
|
अकोककारी कोयला ग्रेड ख |
|
|
(घ) मेघालय राज्य में उत्पादित बिना ग्रेड का खान से निकाला हुआ कोयला |
एक सौ बीस रुपए प्रति टन ।] |
|
(iii) ग्रुप- iii कोयला: |
|
|
(क) कोककारी कोयला वाशरी ग्रेड iv |
केवल पांच रुपए पचास पैसे प्रति टन |
|
(ख) गैर कोककारी कोयला वाशरी ग्रेड ग |
||
(iv) ग्रुप-iv कोयला: |
|
|
(क) गैर कोककारी कोयला ग्रेड घ |
केवल चार रुपए तीस पैसे प्रति टन |
|
(ख) गैर कोककारी कोयला ग्रेड ङ |
||
(v) ग्रुप-v कोयला: |
|
|
(क) गैर कोककारी कोयला ग्रेड च |
केवल दो रुपए पचास पैसे प्रति टन |
|
(ख) गैर कोककारी कोयला ग्रेड छ |
||
स्पष्टीकरण-इस पद के प्रयोजन के लिए कोयला के ऐसे प्रत्येक ग्रेड के लिए विनिर्देश वह होगा जो कोयला खान नियंत्रण आदेश, 1945 के खंड 3 के अधीन विहित है ।] |
||
[12. ताम्र अयस्क |
एक टन अयस्क में ताम्र धातु के प्रति एक प्रतिशत पर सत्रह रुपए और अनुपातिक आधार पर |
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13. कोरंडम |
दो सौ दस रुपए प्रति टन |
|
14. हीरा |
गर्तमुख पर विक्रय कीमत का बीस प्रतिशत |
|
15. डायस्पोर |
तिरासी रुपए प्रति टन |
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16. डोलोमाइट |
पच्चीस रुपए प्रति टन |
|
17. फेल्सपार |
पन्द्रह रुपए प्रति टन |
|
18. अग्निसह मृत्तिका (जिसमें प्लास्टिक, पाईप, अ मुद्रणीय और प्राकृतिक पोजोलेनिक मृत्तिका भी है) |
तेरह रुपए प्रति टन |
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19. फ्लूओरस्पार (जिसे फ्लूओराईट भी कहा जाता है): |
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|
(क) जिसमें 85 प्रतिशत या उससे अधिक सी एफ2 है |
दौ सौ सत्तर रुपए प्रति टन |
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(ख) जिसमें 70 प्रतिशत या उससे अधिक सी एफ2 किन्तु 85 प्रतिशत सी एफ2 से कम है |
एक सौ सत्तर रुपए प्रति टन |
|
(ग) जिसमें 30 प्रतिशत या उससे अधिक सी एफ2 किन्तु 70 प्रतिशत सी एफ2 से कम है |
एक सौ तेरह रुपए प्रति टन |
|
(घ) जिसमें 30 प्रतिशत सी एफ2 या उससे कम है |
पैंतालीस रुपए प्रति टन |
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20. गार्नेट (अपघर्षक) |
पैंतालीस रुपए प्रति टन |
|
21. स्वर्ण |
(क) आयस्क के प्रति टन में स्वर्ण प्रत्येक ग्राम पर ग्यारह रुपऐ और आनुपातिक आधार पर |
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(ख) उपोत्पाद स्वर्ण दस रुपए प्रति ग्राम |
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22. ग्रेफाइट: |
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(क) 80 प्रतिशत या उससे अधिक नियत कार्बन सहित |
एक सौ पचासी रुपए प्रति टन |
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(ख) 40 प्रतिशत या उससे अधिक नियत कार्बन सहित किन्तु 80 प्रतिशत नियत कार्बन से कम |
एक सौ रुपए प्रति टन |
|
(ग) 20 प्रतिशत या उससे अधिक नियत कार्बन सहित किन्तु 40 प्रतिशत नियत कार्बन से कम |
चालीस रुपए प्रति टन |
|
(घ) 20 प्रतिशत नियत कार्बन से कम |
पच्चीस रुपए प्रति टन |
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23. जिप्सम |
बीस रुपए प्रति टन |
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24. इलमेनाइट |
चौंतीस रुपए प्रति टन |
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25. लोहा: |
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(i) अयस्क लम्पस |
|
|
(क) जिसमें 65 प्रतिशत या अधिक लोहा हो |
अठारह रुपए प्रति टन |
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(ख) जिसमें 62 प्रतिशत या उससे अधिक किन्तु 62 प्रतिशत से कम लोहा हो |
दस रुपए पचास पैसे प्रति टन |
|
(ग) जिसमें 60 प्रतिशत या उससे अधिक किन्तु 62 प्रतिशत से कम लोहा हो |
सात रुपए प्रति टन |
|
(घ) जिसमें 65 प्रतिशत से कम लोहा हो |
पांच रुपए प्रति टन |
|
(ii) अयस्क चूर्ण |
|
|
(अ) (चूर्ण अयस्क के खनन और चिक्करण किए जाने के अनुषंग में उत्पादित प्राकृतिक चूर्ण भी है) |
|
|
(क) जिसमें 65 प्रतिशत या उससे अधिक लोहा हो |
तेरह रुपए प्रति टन |
|
(ख) जिसमें 62 प्रतिशत या उससे अधिक लोहा हो किन्तु 65 प्रतिशत से कम लोहा हो |
सात रुपए प्रति टन |
|
(ग) जिसमें 62 प्रतिशत से कम लोहा हो |
पाचं रुपए प्रति टन |
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(आ) निम्न ग्रेड अयस्क जिसमें 40 प्रतिशत या उससे कम लोहा हो के सज्जीकरण और/या सांद्रण द्वारा निर्मित सांद्रण पर |
दो रुपए पच्चीस पैसे प्रति टन |
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26. कायनाइ]: |
|
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(क) जिसमें 40 प्रतिशत और उससे ऊपर ए एल2 ओ3 है |
पचासी रुपए प्रति टन |
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(ख) जिसमें 40 प्रतिशत से कमए एल2 ओ3 है |
चालीस रुपए प्रति टन |
|
27. सीसा अयस्क |
एक टन अयस्क में धातु के प्रति एक प्रतिशत पर आठ रुपए और आनुपातिक आधार पर |
|
28. चूना खोल (चूनेदार और बालू खड़िया सहित) |
पच्चीस रुपए प्रति टन |
|
29. चूना पत्थर (जिसमें चूलना कंकड़ भी है): |
|
|
(क) एल.एन. ग्रेड (जिसमें सिलिका की मात्रा 1.5 प्रतिशत से कम है) |
पचास रुपए प्रति टन |
|
(ख) अन्य |
पच्चीस रुपए प्रति टन |
|
30. मैग्नेजाइट |
पच्चीस रुपए प्रति टन |
|
31. मैग्नीज आयस्क: |
|
|
(क) मैग्नीज डाइआक्साइड (जिसमें 78 प्रतिशत या उससे अधिक एम एन ओ2 और 4 प्रतिशत या उससे कम लोहा हो) |
एक सौ सात रुपए प्रति टन |
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(ख) 46 प्रतिशत एम. एन. और उससे ऊपर |
चालीस रुपए प्रति टन |
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(ग) 35 प्रतिशत एम. एन. और उससे ऊपर किंतु 46 प्रतिशत एम. एन. से कम |
तेईस रुपए प्रति टन |
|
(घ) 25 प्रतिशत एम एन से ऊपर किंतु 35 प्रतिशत एम एन से कम |
सत्रह रुपए प्रति टन |
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(ङ) 25 प्रतिशत एम एन से कम |
सात रुपए प्रति टन |
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32. अभ्रक: |
|
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(क) अपरिष्कृत अभ्रक |
चौंतीस रुपए प्रति 100 कि. ग्रा. |
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(ख) अभ्रक अपशिष्ट और कतरन |
चौदह रुपए प्रति 100 किलोग्राम |
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33. मोनोजाइट |
एक सौ तेरह रुपए प्रति टन |
|
34. निकल अयस्क |
एक टन में निकल धातु के प्रति एक प्रतिशत पर दो रुपए पच्चीस पैसे और आनुपातिक आधार पर |
|
35. ओकर |
दस रुपए प्रति टन |
|
36. बहुमूल्य और कम मूल्य के रत्न (एगेट और हीरा के सिवाय) |
गर्तमुख पर विक्रय कीमत का बीस प्रतिशत |
|
37. पाइराइट्स |
एक टन में गंधक युक्त पाइराइट्स के एक टन पर साठ पैसे प्रति यूनिट और आनुपातिक आधार पर |
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38. पाइरोफालाइट |
बाईस रुपए प्रति टन |
|
39. क्वार्टज् सिलिका बालू और सांचा बालू |
बारह रुपए प्रति टन |
|
40. क्वार्टजाइट |
बारह रुपए प्रति टन |
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41. रुटाइल |
दौ सौ पच्चीस रुपए प्रति टन |
|
42. भराई के लिए बालू |
चालीस पैसे प्रति टन |
|
43. सेलेनाइट |
पचास रुपए प्रति टन |
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44. सिलोमेनाइट |
नब्बे रुपए प्रति टन |
|
45. चांदी |
तीन सौ चौलीस रुपए प्रति धातु किलोग्राम |
|
46. स्लेट |
चालीस रुपए प्रति टन |
|
47. टेल्क, स्टोटाइट और सोपस्टोन: |
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(क) कीटनाशक ग्रेड |
तेईस रुपए प्रति टन |
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(ख) कीटनाशक ग्रेड से भिन्न |
छप्पन रुपए प्रति टन |
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48. टंगस्टन अयस्क |
प्रति टन में डब्लू० ओ० 3 का प्रति प्रतिशत अयस्क पर तीस रुपए प्रति यूनिट और आनुपातिक आधार पर |
|
49. यूरेनियम |
0.05 प्रतिशत मात्रा तक यू3 ओ8 युक्त शुष्क अयस्क के लिए, जिसमें 0.01 प्रतिशत बढ़ोतरी/कमी के लिए 1 रुपया प्रति मीट्रिक टन अयस्क की आनुपातिक बढ़ोतरी/कमी है, तीन रुपए पचास पैसे |
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50. बरमी क्यूलाइट |
अट्ठाइस रुपए प्रति टन |
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51. बोलास्टोनाइट |
अस्सी रुपए प्रति टन |
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52. जस्ता अयस्क |
अयस्क के प्रति टन में जस्ता धातु की प्रतिशतता का सोलह रुपए प्रति यूनिट और आनुपातिक आधार पर । |
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53. तुरसावा |
एक सौ अस्सी रुपए प्रति टन |
|
54. सभी अन्य खनिज, जो इसमें इसके पूर्व विनिर्दिष्ट नहीं हैं । |
गर्तमुख पर विक्रय कीमत का बारह प्रतिशत |
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टिप्पणी: उर्युक्त खनिजों की बाबत असम और पश्चिमी बंगाल राज्यों के लिए स्वामित्व की दरें वही रहेंगी जो भारत सरकार के इस्पात और खान मंत्रालय (खान विभाग) की अधिसूचना सं० सा०का०नि० 458(अ), तारीख 5 मई, 1987 में विनिर्दिष्ट हैं ।] |
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[तृतीय अनुसूची
(धारा 9क देखिए)
अनिवार्य भाटक
(1) पट्टों को लागू अनिवार्य भाटक, उनसे भिन्न जिनको, संबंधित पट्टेदार के स्वामित्वाधीन उद्योगों को कच्ची सामग्री प्रदाय के लिए अभिप्राप्त किया गया है:
(प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर अनिवार्य भाटक की दरें रुपयों में)
खनन पट्टा प्रवर्ग |
पट्टे का पहला वर्ष |
पट्टे का 2 से 5वां वर्ष |
पट्टे का 6 से 10वां वर्ष |
पट्टे का 11 वर्ष और उसके आगे |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
1. 50 हेक्टेर तक पट्टा क्षेत्र |
शून्य |
30 |
60 |
90 |
2. 50 हेक्टेर तक किन्तु 100 हेक्टेर से अधिक पट्टा क्षेत्र |
शून्य |
40 |
80 |
120 |
3. 100 हेक्टेर से अधिक पट्टा क्षेत्र |
शून्य |
60 |
100 |
150 |
(2) संबंधित पट्टेदार के स्वामित्वाधीन उद्योग के लिए कच्ची सामग्री के प्रदाय के लिए अभिप्राप्त किए गए पट्टे की दरों में अनिवार्य भाटक की दरें पट्टा क्षेत्र को विचार में लाए बिना ऊपर मद सं० 1 की बाबतें जो दी गई हैं उसके अनुसार लागू होंगी ।]
[चतुर्थ अनुसूची
[धारा 3 का खंड (ङक) देखिए]
अधिसूचित खनिज
1. बॉक्साइट
2. लौह अयस्क
3. चूना पत्थर
4. मैंग्नीज अयस्क ।]
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