Wednesday, 15, May, 2024
 
 
 
Expand O P Jindal Global University
 

भूमिगत रेल (संकर्म-सन्निर्माण) अधिनियम, 1978 ( Metro Railways (Construction of Works) Act, 1978 )


 

भूमिगत रेल (संकर्म-सन्निर्माण) अधिनियम, 1978

(1978 का अधिनियम संख्यांक 33)

[21 अगस्त, 1978]

महानगरों में भूमिगत रेल से सम्बन्धित

संकर्मों के सन्निर्माण का और

उससे सम्बन्धित विषयों का

उपबन्ध करने के लिए

अधिनियम

                भारत गणराज्य के उनतीसवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में हय अधिनियमित हो :-

अध्याय 1

प्रारम्भिक

1. संक्षिप्त नाम और आरम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम भूमिगत रेल (संकर्म-सन्निर्माण) अधिनियम, 1978 है । 

(2) यह ऐसी तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।

(3) यह प्रथम बार कलकत्ता महानगर को लागू होगा और केन्द्रीय सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, यह घोषित कर सकेगी कि यह अधिनियम  [राज्य सरकार से परामर्श करने के पश्चात् राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, ऐसे अन्य महानगर और महानगर क्षेत्र को भी और ऐसी तारीख से लागू होगा जो उस अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए और तब इस अधिनियम के उपबंध राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, ऐसे महानगर और महानगर क्षेत्र को तद्नुसार लागू होंगे ।]

2. परिभाषाएं-(1) इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-

(क) सलाहकार बोर्ड" से धारा 4 के अधीन गठित सलाहकार बोर्ड अभिप्रेत है; 

(ख)  [अपील प्राधिकारी] से धारा 16 के अधीन नियुक्त 2[अपील प्राधिकारी] अभिप्रेत है;

(ग) भवन" से अभिप्रेत है गृह, उपगृह, अस्तबल, शौचालय, मूत्रालय, शेड, झोंपड़ी या दीवार या ऐसी कोई अन्य संरचना या परिनिर्माण, चाहे वह चिनाई ईंट, लकड़ी, मिट्टी, धातु या किसी अन्य पदार्थ का है, या किसी भवन का कोई भाग, किन्तु इसके अन्तर्गत किसी भवन में संस्थापित कोई संयंत्र या मशीनरी या उसका कोई भाग या कोई अस्थायी आश्रय स्थान नहीं है; 

(घ) आयुक्त" से धारा 27 के अधीन नियुक्त भूमिगत रेल आयुक्त अभिप्रेत है;

 [(ङ) सक्षम प्राधिकारी" से धारा 16 के अधीन नियुक्त सक्षम प्राधिकारी अभिप्रेत है;]

(च) विकास" से उसके व्याकरणिक रूपभेदों सहित भवन, इंजीनियरी, खनन या ऐसी किसी अन्य संक्रिया का किया जाना अभिप्रेत है जो भूमि में, भूमि पर, भूमि के ऊपर या भूमि के नीचे की जाती है अथवा किसी भवन या भूमि में कोई महत्वपूर्ण तब्दीली करना या भूमि पर कोई पेड़ लगाना अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत पुनर्विकास भी है; 

(छ) भूमि" के अन्तर्गत भूमि में कोई अधिकार या हित भी है; 

(ज) किसी  [महानगर, महानगर क्षेत्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र] के सम्बन्ध में भूमिगत मार्ग संरेखण" से, भूमिगत रेल का ऐसा मार्ग संरेखण अभिप्रेत है जो अनुसूची में उस नगर के नीचे विनिर्दिष्ट है और इसके अन्तर्गत भूमिगत रेल भी है; 

 [(जक) महानगर क्षेत्र" का वही अर्थ है जो संविधान के अनुच्छेद 243त के खंड (ग) में है;]

(झ) भूमिगत रेल" से भूमिगत रेल या उसका कोई प्रभाग अभिप्रेत है जो यात्रियों, पशुओं या माल के सार्वजनिक वहन के लिए है और उसके अन्तर्गत है,-

(क) वह समस्त भूमि जो भूमिगत रेल से अनुलग्न भूमि की सीमाओं को दर्शित करने वाले सीमा चिह्न के अन्तर्गत है; 

(ख) रेल की सभी लाइनें, साइडिंग, यार्ड या शाखाएं, जिन पर भूमिगत रेल के प्रयोजनों के लिए या उनके संबंध में काम किया गया है; 

(ग) सभी स्टेशन, कार्यालय, संवातन शैफ्ट और वाहनियां, भाण्डागार, कर्मशालाएं, विनिर्मितियां, स्थिर संयंत्र और मशीनरी, शेड, डिपो और अन्य संकर्म, जो भूमिगत रेल के प्रयोजनों के लिए या उसके संबंध में सन्निर्मित किए गए हैं; 

(ञ) किसी भूमिगत रेल के संबंध में भूमिगत रेल प्रशासन" से उस भूमिगत रेल का महाप्रबन्धक अभिप्रेत है; 

(ट) महानगर" से मुम्बई, कलकत्ता, दिल्ली या मद्रास महानगर अभिप्रेत है; 

(ठ) मुम्बई महानगर" से वह क्षेत्र अभिप्रेत है जो बाम्बे म्युनिसिपल कारपोरेशन ऐक्ट, 1888 (1888 का बाम्बे ऐक्ट 3) में यथापरिभाषित बृहत् मुम्बई के अन्तर्गत है; 

(ड) कलकत्ता महानगर" से वह क्षेत्र अभिप्रेत है जो कलकत्ता मैट्रोपोलिटन प्लानिंग एरिया (यूज एण्ड डेवलपमेंट आफ लैण्ड) कंट्रोल ऐक्ट, 1965 (1965 का वेस्ट बंगाल ऐक्ट 14) की अनुसूची में- 1. कलकत्ता मैट्रोपोलिटन डिस्ट्रिक्ट" शीर्ष के नीचे वर्णित है; 

(ढ) दिल्ली महानगर" से दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र का समस्त क्षेत्र अभिप्रेत है; 

(ण) मद्रास महानगर" से वह क्षेत्र अभिप्रेत है जो मद्रास सिटी म्युनिसिपल ऐक्ट, 1919 (1919 का मद्रास ऐक्ट, में यथा परिभाषित मद्रास नगर के अन्तर्गत है; 

 [(णक) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र" से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम, 1985 (1985 का 2) की धारा 2 के खंड (च) में यथापरिभाषित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अभिप्रेत है;]

(त) विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है; 

(थ) चल स्टाक" के अन्तर्गत लोकोमोटिव, इंजन, गाड़ियां (चाहे वे शक्ति चालित हों या नहीं), वैगन, ट्राली और रेलों पर चलने वाले या चलाने के लिए आशयित सभी प्रकार के यान भी हैं; 

(i) उस भवन में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन या वृद्धि करना; 

(ii) उस भवन में जो मानव निवास के लिए प्रारम्भ में सन्निर्मित नहीं किया गया है, मानव निवास के लिए किसी स्थान पर संरचनात्मक परिवर्तन द्वारा संपरिवर्तन करना; 

(iii) ऐसे भवन में मानव निवास के लिए ऐसे एक से अधिक स्थानों के रूप में संपरिवर्तन करना जो प्रारम्भ में ऐसे एक स्थान के रूप में सन्निर्मित किया गया हो; 

(iv) उस भवन में मानव निवास के दो या अधिक स्थानों में ऐसा संपरिवर्तन करना जिससे कि उसमें ऐसे स्थानों की संख्या अधिक हो जाए; 

(v) उस भवन में ऐसा परिवर्तन करना जिससे कि उसमें जल निकास या सफाई व्यवस्था बदल जाए या उस भवन की सुरक्षा पर तात्त्विक रूप से प्रभाव पड़े; और

(vi) उस भवन में और कमरे बनाना । 

(2) उन सभी अन्य शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं किन्तु भारतीय रेल अधिनियम,1890 (1890 का 9) में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे जो उनके उस अधिनियम में हैं ।

अध्याय 2

भूमिगत रेल प्रशासन

3. महाप्रबन्धक-केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजन के लिए प्रत्येक भूमिगत रेल के लिए एक महाप्रबन्धक नियुक्त कर सकेगी ।

4. सलाहकार बोर्ड का गठन-(1) केन्द्रीय सरकार, निम्नलिखित बातों में सरकार की सहायता करने या उसे सलाह देने के प्रयोजन के लिए प्रत्येक भूमिगत रेल के लिए एक सलाहकार बोर्ड का गठन कर सकेगी- 

(क) भूमिगत रेल के विकास और उसके विस्तार के लिए योजनाएं बनाना और उनमें समन्वय;

(ख) भूमिगत रेल के सन्निर्माण की किसी परियोजना का वित्त पोषण और निष्पादन; 

(ग) अन्य ऐसे विषय जो इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए और विशिष्टतया यह सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए उसे निर्दिष्ट किए जाएं कि भूमिगत रेल प्रशासन के कृत्यों का पालन  [महानगर, महानगर क्षेत्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र] की विद्यमान परिस्थितियों और हालातों तथा अपेक्षाओं को सम्यक्तः ध्यान में रखकर, किया जाता है ।

(2) सलाहाकार बोर्ड में अधिक से अधिक नौ सदस्य होंगे (जो सरकारी अधिकारी होंगे), जिनकी नियुक्त केन्द्रीय सरकार करेगी । 

(3) केन्द्रीय सरकार सलाहकार बोर्ड के सदस्यों में से एक को उसका अध्यक्ष नियुक्त करेगी ।

(4) केन्द्रीय सरकार सलाहकार बोर्ड के सभी सदस्यों और उसके अध्यक्ष के नाम राजपत्र में प्रकाशित करेगी ।

(5) सलाहाकार बोर्ड का अधिवेशन ऐसे समयों और स्थानों पर होगा जो विहित किए जाएं और वह अपने कारबार के संचालन के संबंध में ऐसी प्रक्रिया अपनाएगा जो विहित की जाए । 

(6) सलाहाकार बोर्ड के सदस्य ऐसी अवधि के लिए पद धारण करेंगे जो विहित की जाए ।

5. समितियां-(1) सलाहाकार बोर्ड ऐसे प्रयोजनों के लिए जो वह ठीक समझे, उतनी समितियां गठित कर सकेगा, जितनी वह आवश्यक समझे, जिनमें पूर्णतया ऐसे बोर्ड के सदस्य होंगे या पूर्णतया अन्य व्यक्ति होंगे या भागतः बोर्ड के सदस्य और भागतः अन्य व्यक्ति होंगे । 

(2) उपधारा (1) के अधीन गठित प्रत्येक समिति का अधिवेशन ऐसे समयों और स्थानों पर होगा जो विहित किए जाएं और वह अपने कारबार के संचालन के संबंध में ऐसी प्रक्रिया अपनाएगी, जो विहित की जाए । 

(3) समिति के ऐसे सदस्यों को, जो सलाहकार बोर्ड के सदस्य नहीं हैं, समिति के अधिवेशनों में उपस्थित होने के लिए ऐसी फीस और भत्ते तथा ऐसे यात्रा भत्ते संदत्त किए जाएंगे जो विहित किए जाएं ।

अध्याय 3

अर्जन

6. भूमि आदि का अर्जन करने की शक्ति-जहां भूमिगत रेल प्रशासन को ऐसा प्रतीत हो कि किसी भूमिगत रेल के सन्निर्माण या उससे संबंधित किसी अन्य कार्य के लिए- 

(क) किसी भूमि, भवन, मार्ग, सड़क या पथ की, या 

(ख) उसके उपयोग के किसी अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति के किसी अधिकार की, 

ऐसे सन्निर्माण या कार्य के लिए आवश्यकता है तो वह ऐसे प्ररूप में केन्द्रीय सरकार को आवेदन करेगा जो ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ या उसके उपयोग या उसमें सुखाचार के अधिकार के अधीन के लिए विहित किया जाए ।

7. अर्जन के लिए अधिसूचना का प्रकाशन-(1) धारा 6 के अधीन किसी आवेदन की प्राप्ति पर, केन्द्रीय सरकार अपना यह समाधान हो जाने के पश्चात् कि उस आवेदन में उल्लिखित आवश्यकता किसी लोकहित के लिए है, आवेदन में निर्दिष्ट भूमि, भवन,मार्ग, सड़कया पथ या उसके उपयोग के अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति के अधिकार के अर्जन का अपना आशय, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, घोषित कर सकेगी ।

(2) उपधारा (1) के अधीन प्रत्येक अधिसूचना में उक्त भूमि, भवन, मार्ग, सड़क या पथ का संक्षिप्त वर्णन किया जाएगा । 

(3) सक्षम प्राधिकारी अधिसूचना का सार ऐसे स्थानों में और ऐसी रीति से प्रकाशित कराएगा जिन्हें विहित किया जाए । 

8. सर्वेंक्षण आदि के लिए प्रवेश करने की शक्ति-धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन अधिसूचना जारी कर दी जाने पर, भूमिगत रेल प्रशासन या भूमिगत रेल के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी के लिए यह विधिपूर्ण होगी कि वह- 

(क) अधिसूचना में विनिर्दिष्ट भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में प्रवेश करे और उसका सर्वेक्षण करे तथा उसकी तलमाप करे; 

(ख) अधोभूमि को खोदे या उसमें बोर करे; 

(ग) आशयित कार्य का रेखांकन करे; 

(घ) चिन्ह् लगाकर तथा खाइयां खोदकर ऐसे तलों, सीमाओं या रूपरेखा को चिह्नित करे; 

(ङ) ऐसे सभी अन्य कार्य करे जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो कि क्या भूमिगत रेल, यथास्थिति, उक्त भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के ऊपर या उसके नीचे बिछाई जा सकती है :

                परन्तु इस धारा के अधीन किसी शक्ति के प्रयोग में भूमिगत रेल प्रशासन या ऐसा अधिकारी या अन्य कर्मचारी ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ या यथासंभव कम से कम नुकसान या क्षति होने देगा ।  

9. आक्षेप की सुनवाई-(1) भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में हितबद्ध कोई व्यक्ति,  [धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन अधिसूचना के सार के उस धारा की उपधारा (3) के अधीन प्रकाशन की तारीख से,] इक्कीस दिन के भीतर, यथास्थिति, उक्त भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ पर या उसके नीचे भूमिगत रेल के निर्माण या किसी अन्य कार्य के संबंध में, आक्षेप कर सकेगा । 

 [स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, जहां धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन अधिसूचना का सार विभिन्न स्थानों पर विभिन्न तारीखों को प्रकाशित किया जाता है वहां ऐसी तारीखों में से अन्तिम तारीख उस तारीख को माना जाएगा जिसको अधिसूचना का सार प्रकाशित किया गया है ।]

(2) उपधारा (1) के अधीन हर आक्षेप लिखित रूप में सक्षम प्राधिकारी को किया जाएगा और उसमें उसके आधार दिए जाएंगे और समक्ष अधिकारी आक्षेपकर्ता को, व्यक्तिगत रूप से या 2[किसी अधिकर्ता द्वारा, या] किसी विधि व्यवसायी द्वारा सुनवाई का अवसर देगा और ऐसे सभी आक्षेपों की सुनवाई तथा ऐसी अतिरिक्त जांच, यदि कोई हो, जैसी सक्षम प्राधिकारी आवश्यक समझता है, करने के पश्चात् वह आदेश द्वारा आक्षेपों को मंजूर या नामंजूर कर सकेगा । 

स्पष्टीकरण-इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए विधि व्यवसायी" का वही अर्थ है जो उसका अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (1961 का 25) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (i) में है । 

(3) सक्षम प्राधिकारी द्वारा उपधारा (2) के अधीन किया गया कोई आदेश अंतिम होगा । 

10. अर्जन की घोषणा-जहां धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन कोई आक्षेप अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष नहीं किया जाता है या सक्षम प्राधिकारी उस धारा की उपधारा (2) के अधीन आक्षेप नामंजूर कर देता है वहां सक्षम प्राधिकारी यथाशक्य शीघ्र, केन्द्रीय सरकार को तद्नुसार रिपोर्ट देगा और ऐसी रिपोर्ट की प्राप्ति पर केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, यह घोषित करेगी कि भूमिगत रेल बिछाने के लिए उस भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ या उसके उपयोग के अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति के अधिकार का अर्जन कर लिया जाए ।  

(2) उपधारा (1) के अधीन घोषणा के प्रकाशन पर, उस भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ या उसके उपयोग का अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति का अधिकार सभी विल्लंगमों से मुक्त होकर, आत्यंतिक रूप से, केन्द्रीय सरकार में निहित होगा । 

(3) जहां किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के बारे में धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन कोई अधिसूचना, उसके अर्जन या उसके उपयोग के अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति के किसी अधिकार के अर्जन के लिए निकाल दी गई हैं किन्तु इस धारा के अधीन कोई घोषणा, उस अधिसूचना की तारीख से एक वर्ष की अवधि के अन्दर प्रकाशित नहीं की गई है वहां उक्त अधिसूचना निष्प्रभाव हो जाएगी : 

 [परंतु एक वर्ष की उक्त अवधि की संगणना करने में, वह अवधि या अवधियां अपवर्जित कर दी जाएंगी जिनके दौरान   धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन निकाली गई अधिसूचना के अनुसरण में की जाने वाली कोई कार्रवाई या कार्यवाही [जिसके अंतर्गत भूमिगत रेल (संकर्म-सन्निर्माण) संशोधन अधिनियम, 1987 के प्रारंभ के ठीक पूर्व लंबित ऐसी कोई कार्रवाई या कार्यवाही है], न्यायालय के आदेश से, चाहे वह ऐसे प्रारंभ के पूर्व या उसके पश्चात् मंजूर किया गया है, रोक दी जाती है ।"] 

(4) उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा की गई किसी घोषणा को किसी भी न्यायालय में या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा प्रश्नगत नहीं किया जाएगा । 

11. अर्जित भूमि आदि का कब्जा ग्रहण करने की शक्ति-(1)  [जहां कोई भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ धारा 10 की उपधारा (2) के अधीन निहित हो गया है और ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के संबंध में धारा 13 के अधीन सक्षम प्राधिकारी द्वारा अवधारित रकम केन्द्रीय सरकार द्वारा सक्षम प्राधिकारी के पास, धारा 14 की उपधारा (1) के अधीन निक्षिप्त कर दी गई है वहां] सक्षम प्राधिकारी उसके स्वामी को या ऐसे किसी अन्य व्यक्ति को जिसके कब्जे में ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ है, लिखित सूचना द्वारा यह  निदेश दे सकेगा कि वह सक्षम प्राधिकारी को या उसके द्वारा इस निमित्त सम्यक् रूप से प्राधिकृत किसी व्यक्ति को सूचना  की तामील से साठ दिन के भीतर, उसे अभ्यर्पित कर दे या उसका कब्जा परिदत्त कर दे । 

(2) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) में दिए गए निदेश का पालन करने से इंकार करता है या उसमें असफल रहता है तो सक्षम प्राधिकारी-  

(क) ऐसी किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पर्थ के मामले में जो मुम्बई, कलकत्ता या मद्रास प्रेसिडेंसी नगर के अन्तर्गत आने वाले किसी क्षेत्र में स्थित है, पुलिस आयुक्त को; 

(ख) ऐसी किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के मामले में जो खंड (क) में विनिर्दिष्ट किसी क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र में स्थित है, कार्यपालक मजिस्ट्रेट को,

आवेदन करेगा और, यथास्थिति, ऐसा आयुक्त या मजिस्टेट्र उस भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ, सक्षम प्राधिकारी या उसके द्वारा सम्यक् रूप से प्राधिकृत किसी व्यक्ति को अभ्यर्पित कराएगा ।  

12. उस भूमि में जिसके उपयोग आदि का अधिकार केन्द्रीय सरकार में निहित है, प्रवेश करने का अधिकार-जहां किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के उपयोग का अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति का कोई अधिकार, धारा 10 के अधीन केंद्रीय सरकार में निहित हो गया है, वहां भूमिगत रेल प्रशासन या केन्द्रीय सरकार के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वे भूमिगत रेल के सन्निर्माण या उससे सम्बन्धित किसी अन्य कार्य को पूरा करने के लिए उस भूमि, भवन, सड़क मार्ग या पथ में प्रवेश करें और अन्य आवश्यक कार्य करें । 

13. अर्जन के लिए संदेय रकम का अवधारण-(1) जहां किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ का इस अधिनियम के अधीन अर्जन किया जाता है, वहां वह रकम,  [जो सक्षम प्राधिकारी के आदेश द्वारा अवधारित की जाए], संदत्त की जाएगी ।

(2) जहां किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के उपयोग के अधिकार या उसमें सुखाचार की प्रकृति के अधिकार का अर्जन इस अधिनियम के अधीन कर लिया जाता है वहां उसके स्वामी को रकम का संदाय किया जाएगा और किसी ऐसे अन्य व्यक्ति को, जिसका उस भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के उपयोग का अधिकार ऐसे अधिकार ऐसे अर्जन के कारण किसी भी रीति से प्रभावित हुआ है, उस भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के लिए उपधारा (1) के अधीन अवधारित रकम के दस प्रतिशत के हिसाब से संगणित रकम का संदाय किया जाएगा ।

 [(2क) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन रकम का अवधारण करने के लिए अग्रसर होने के पूर्व सक्षम प्राधिकारी ऐसे सभी व्यक्तियों से, जो अर्जित की जाने वाली भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में या उसमें उपयोग के अधिकार या सुखाचार की प्रकृति के अधिकार में हितबद्ध है दावों की मांग करते हुए विहित रीति से प्रकाशित एक सार्वजनिक सूचना देगा । 

(2) ऐसी सूचना में अर्जित भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ की या उसमें अर्जित उपयोग के अधिकार या सुखाचार की प्रकृति के अधिकार की विशिष्टियों का कथन किया जाएगा और ऐसे सभी व्यक्तियों से, जो ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में या उसमें उपयोग के अधिकार या सुखाचार की प्रकृति के अधिकार में हितबद्ध हैं, व्यक्तिगत रूप से या धारा 9 की उपधारा (2) में विनिर्दिष्ट किसी अभिकर्ता द्वारा या विधि व्यवसायी द्वारा उसमें वर्णित समय और स्थान पर, (ऐसा समय सूचना के प्रकाशन की तारीख से पन्द्रह दिन से पूर्व का नहीं होगा) उपसंजात होने और ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में या उसके उपयोग के अधिकार में या उसमें सुखाचार की प्रकृति के अधिकार में अपने-अपने हितों की प्रकृति का कथन करने की अपेक्षा की जाएगी ]

(3) यदि उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन सक्षम प्राधिकारी द्वारा अवधारित रकम किसी पक्षकार को स्वीकार्य नहीं होती है तो उक्त रकम का अवधारण, किसी भी पक्षकार द्वारा 1[उस आदेश की तारीख से, जिसके विरुद्ध अपील की गई है, साठ दिन की अवधि के भीतर किसी भी पक्षकार द्वारा अपील प्राधिकारी को अपील की जाने पर अपील प्राधिकारी के आदेश द्वारा किया जाएगा ।]

(4) सक्षम प्रधिकारी या  [अपील प्राधिकारी] यथास्थिति उपधारा (1) या उपधारा (3) के अधीन रकम के अवधारण में निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा, अर्थात् :-

() उस भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ का, धारा 7 के अधीन अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख को बाजार मूल्य;

(ख) ऐसा कोई नुकसान, यदि कोई हो, जो हितबद्ध व्यक्ति को, भूमि का कब्जा लेने के समय, ऐसी भूमि के अन्य भूमि से अलग हो जाने के कारण, हुआ हो, 

(ग) ऐसा कोई नुकसान, यदि कोई हो, जो हितबद्ध व्यक्ति की भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ का कब्जा लेने के समय, अर्जन के कारण उसकी अन्य स्थावर सम्पत्ति पर किसी अन्य रीति से या उसके उपार्जन पर क्षतिकर प्रभाव पड़ने से हुआ हो; 

(घ) यदि हितबद्ध व्यक्ति की भूमि, भवन, सड़क मार्ग या पथ के अर्जन के परिणामस्वरूप अपने निवास स्थान या कारबार का स्थान तब्दील करने के लिए मजबूर होना पड़ता है तो ऐसी तब्दीली से आनुषंगिक युक्तियुक्त व्यय, यदि कोई हों ।

14. रकम का निक्षेप और संदाय-(1) धारा 13 के अधीन  । । । अवधारित रकम, केन्द्रीय सरकार  [ऐसे समय के भीतर जो उस प्राधिकारी द्वारा नियत किया जाए], सक्षम प्राधिकारी के पास ऐसी रीति से निक्षिप्त करेगी जो विहित की जाए । 

(2) उपधारा (1) के अधीन रकम निक्षिप्त की जाने के पश्चात्, यथाशीघ्र, सक्षम प्राधिकारी, केन्द्रीय सरकार की ओर से वह रकम उस व्यक्ति या उन व्यक्तियों को संदाय करेगा जो उसके हकदार हैं : 

 [परन्तु जहां उस आदेश के विरुद्ध, जिसके द्वारा ऐसी रकम अवधारित की गई थी, धारा 13 के अधीन अपील की गई है या किए जाने की संभावना है और सक्षम प्राधिकारी का, लिखित कारण से, यह समाधान हो जाता है कि ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह लिखित आदेश द्वारा-

(क) उस व्यक्ति से, जो ऐसी रकम के संदाय का दावा करता है ऐसे संदाय की प्राप्ति की शर्त के रूप में ऐसी प्रतिभूति की अपेक्षा कर सकेगा जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, या 

(ख) यदि ऐसा व्यक्ति ऐसी प्रतिभूति देने में असफल रहता है तो ऐसी संपूर्ण रकम या उसके किसी भाग के संदाय का प्रतिधारण ऐसी अवधि तक कर सकेगा जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए ।]

(3) जहां उपधारा (1) के अधीन निक्षिप्त रकम में कई व्यक्ति हितबद्ध होने का दावा करते हैं, वहां सक्षम प्राधिकारी उन व्यक्तियों को, जो उसकी राय में प्रतिकर पाने के हकदार है, और उनमें से हर व्यक्ति को, देय रकम, अवधारित करेगा । 

(4) यदि रकम या उसके किसी भाग के प्रभाजन के बारे में या उन व्यक्तियों के बारे में जिनको उक्त रकम या उसका कोई भाग संदेय है, कोई विवाद उत्पन्न होता है तो सक्षम प्राधिकारी विवाद को आरंभिक अधिकारिता वाले ऐसे प्रधान सिविल न्यायालय के विनिश्चय के लिए निर्देशित करेगा जिसकी अधिकारिता की सीमाओं के भीतर वह भूमि, भवन, मार्ग, सड़क या पथ स्थित हैं ।

(5) जहां  [अपील प्राधिकारी] द्वारा धारा 13 के अधीन अवधारित रकम संदाय प्राधिकारी द्वारा अवधारित रकम से अधिक है वहां 4[अपील प्राधिकारी] ऐसी अधिक रकम पर, धारा 11 के अधीन कब्जा किए जाने की तारीख से, उसके वास्तविक निक्षेप की तारीख तक के लिए, छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अधिनिर्णीत कर सकेगा । 

(6) जहां 4[अपील प्राधिकारी] द्वारा अवधारित रकम, सक्षम प्राधिकारी द्वारा अवधारित रकम से अधिक है वहां केन्द्रीय सरकार ऐसी रकम और उपधारा (5) के अधीन अधिनिश्चित ब्याज, यदि कोई है, सक्षम प्राधिकारी के वहां ऐसी रीति से निक्षिप्त करेगी जो विहित की जाए, और उपधारा (2) से (4) तक के उपबंध ऐसे निक्षेप को लागू होंगे  

15. सक्षम प्राधिकारी को सिविल न्यायालय की कुछ शक्तियां प्राप्त होंगी-इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए सक्षम प्राधिकारी को निम्नलिखित विषयों के बारे में सभी शक्तियां होंगी जो सिविल न्यायालय को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन वाद का विचारण करते समय प्राप्त होती हैं, अर्थात् :- 

(क) किसी व्यक्ति को समन करना और उसे हाजिर कराना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना, 

(ख) किसी दस्तावेज के प्रकटीकरण और पेश किए जाने की अपेक्षा करना, 

(ग) शपथ पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना, 

(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख की अध्यपक्षा करना, 

(ङ) साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना ।

 [15क. अर्जन के अधीन सम्पत्ति के निरीक्षण की शक्ति-सक्षम प्राधिकारी, सहायकों या कर्मकारों के साथ या उनके बिना किसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में या उस पर इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों का पालन करने के प्रयोजन के लिए प्रवेश कर सकेगा और उसकी ऐसी जांच, निरीक्षण या माप कर सकेगा और ऐसे फोटोग्राफ ले सकेगा और उसके ऐसे ज्ञापन तैयार कर सकेगा जो वह आवश्यक समझे :

परन्तु :-

(i) ऐसा कोई प्रवेश सूर्योदय और सूर्यास्त के समय के बीच और- 

(क) भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ के स्वामी या उसमें हितबद्ध व्यक्ति को; या 

(ख) ऐसे व्यक्ति को, जिसका भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ में उपयोग का अधिकार या उस पर सुखाचार की प्रकृति का अधिकार अर्जित किया जा रहा है; या 

(ग) ऐसे व्यक्ति को, जिसकी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ को, केन्द्रीय सरकार द्वारा दिए गए किसी निदेश के या इस अधिनियम के अधीन भूमिगत रेल प्रशासन द्वारा प्रयुक्त किसी शक्ति के परिणामस्वरूप, कोई हानि या नुकसान होता है,

युक्तियुक्त सूचना देकर ही किया जाएगा, अन्यथा नहीं;

(ii) ऐसी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ से स्त्रियों को यदि कोई हों, हट जाने में समर्थ बनाने के लिए प्रत्येक बार पर्याप्त अवसर दिया जाएगा;

(iii) उस प्रयोजन की, जिसके लिए प्रवेश किया जा रहा है आवश्यकतानुसार जहां तक संगत हो, ऐसे व्यक्ति की, जिन्हें पूर्वोक्त सूचना दी गई है; सामाजिक और धार्मिक प्रथा का सदैव सम्यक् ध्यान रखा जाएगा;  

(vi) प्रवेश करने वाला सक्षम प्राधिकारी भूमि, भवन, सड़क, मार्ग या पथ को, जहां तक संभव हो, कम नुकसान या क्षति पहुंचाएगा ।]

 [16. सक्षम प्राधिकारी और अपील प्राधिकारी-(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रत्येक भूमिगत रेल के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा- 

(i) एक सक्षम प्राधिकारी, और 

(ii) एक अपील प्राधिकारी,

ऐसे क्षेत्रों के लिए जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं, नियुक्त करेगी । 

(2) कोई व्यक्ति, सक्षम प्राधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए तब तक अर्हित नहीं होगा जब तक वह ऐसा कोई न्यायिक पद धारण नहीं कर रहा हो या धारण कर नहीं चुका हो जो अधीनस्थ न्यायाधीश की पंक्ति से निम्नतर पंक्ति का हो

(3) कोई व्यक्ति, अपील प्राधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए तब तक अर्हित नहीं होगा जब तक, वह ऐसा कोई न्यायिक पद धारण नहीं कर रहा हो या धारण नहीं कर चुका हो, जो जिला न्यायाधीश की पंक्ति से निम्नतर पंक्ति का हो  

स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजन के लिए,-

(क) जिला न्यायाधीश" के अन्तर्गत कोई अपर जिला न्यायाधीश है; 

(ख) अधीनस्थ न्यायाधीश" से पश्चिमी बंगाल की न्यायिक सेवा का अधीनस्थ न्यायाधीश अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत किसी अन्य राज्य की न्यायिक सेवा की समतुल्य पंक्ति का कोई भी न्यायिक अधिकारी (चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो) है ।]

 [16क. अपील प्राधिकारी की शक्तियां-(1) अपील प्राधिकारी, यथास्थिति, धारा 13 या धारा 22 या धारा 25 में निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के पश्चात् फाइल की गई अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि उस अपील को उस अवधि के भीतर प्रस्तुत न करने के लिए पर्याप्त कारण था । 

(2) इस अधिनियम के अधीन अपील के निपटारे के लिए अपील प्राधिकारी को वही शक्तियां (जिनमें धारा 15 और धारा 15क के अधीन शक्तियां सम्मिलित हैं) होंगी और इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हुए वह लगभग उन्हीं कर्तव्यों का पालन करेगा जो अध्याय 3 और अध्याय 4 के अधीन आने वाले विषयों की बाबत सक्षम प्राधिकारी को प्रदत्त किए गए हैं या उस पर अधिरोपित किए गए हैं । 

(3) यदि अपील प्राधिकारी, ऐसा करना समीचीन समझे, तो वह अपनी सहायता के लिए एक या अधिक असेसरों को बुला सकेगा और ऐसे असेसरों की सहायता से अपील की पूर्णतः या भागतः सुनवाई कर सकेगा । 

(4) अपने समक्ष किसी अपील के अधीन रकम के अवधारण के प्रयोजन के लिए अपील प्राधिकारी, ऐसी अतिरिक्त जांच करने के पश्चात् या ऐसा अतिरिक्त साक्ष्य लेने के पश्चात्, जो आवश्यक हो, उस आदेश को, जिसके विरुद्ध अपील की गई है, पुष्ट, उपांतरित या बातिल करते हुए, रकम का अवधारण करने वाला ऐसा आदेश पारित कर सकेगा, जैसा वह उचित समझे ।

(5) इस अधिनियम के अधीन रकम का अवधारण करने वाला अपील प्राधिकारी का आदेश अन्तिम होगा । 

16. सक्षम प्राधिकारी, आदि को कुछ अन्तर्निहित शक्तियों का होना-सक्षम प्राधिकारी और अपील प्राधिकारी सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) की धारा 151 में निर्दिष्ट प्रकृति की शक्तियों का प्रयोग उसी विस्तार तक और उन्हीं प्रयोजनों के लिए कर सकेगा, जिनके लिए ऐसी शक्तियों का प्रयोग सिविल न्यायालय द्वारा किया जाता है  

16ग. सक्षम प्राधिकारी और अपील प्राधिकारी के आदेशों का प्रवर्तन-(1) इस अधिनियम के अधीन संदेय किसी रकम का अवधारण करने वाला सक्षम प्राधिकारी या अपील प्राधिकारी द्वारा किया गया कोई आदेश उसी रीति से प्रवर्तित किया जा सकेगा मानो वह आदेश किसी सिविल न्यायालय में लंबित किसी वाद में उस न्यायालय द्वारा दी गई डिक्री हो और ऐसे प्राधिकारी के लिए यह विधिपूर्ण होगा कि वह, ऐसे आदेश का निष्पादन करने में अपनी असमर्थता की दशा में उसे आरम्भिक अधिकारिता वाले उस प्रधान सिविल न्यायालय को भेज दे जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमा के भीतर आदेश किया गया था । 

(2) जहां उपधारा (1) के अधीन किसी आदेश को आरम्भिक अधिकारिता वाले प्रधान सिविल न्यायालय द्वारा प्रवृत्त किए जाने की अपेक्षा है, वहां आदेश की एक प्रमाणित प्रति उस न्यायालय के जिससे उक्त आदेश को प्रवर्तित करने की अपेक्षा है उचित अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी ।

(3) ऐसी प्रमाणित प्रति का पेश किया जाना ही आदेश का पर्याप्त साक्ष्य होगा ।

(4) ऐसी प्रमाणित प्रति के पेश किए जाने पर आरम्भिक अधिकारिता वाला प्रधान सिविल न्यायालय, आदेश को प्रवर्तित कराने के लिए अपेक्षित कार्रवाई उसी रीति से करेगा मानो वह उसके द्वारा पारित डिक्री हो ।]

17. भूमि अर्जन अधिनियम का लागू होना-भूमि अर्जन अधिनियम, 1894 (1894 का 1) की कोई बात इस अधिनियम के अधीन किसी अर्जन को लागू नहीं होगी ।

अध्याय 4

संकर्मों का सन्निर्माण

18. भूमिगत रेल प्रशासन के कृत्य-केन्द्रीय सरकार के नियंत्रण के अधीन रहते हुए भूमिगत रेल प्रशासन, भूमिगत रेल का सन्निर्माण या उससे सम्बद्ध अन्य कार्य करने के प्रयोजन के लिए,-

(क) किसी भूमि, भवन, पथ, सड़क, रेल, ट्राम या किसी नदी, नहर, नाले, सरिता या अन्य जलखंड या नाली, पानी के नल, गैस नल, विद्युत लाइन या तार लाइन में, उस पर, उसके आरपार, नीचे या ऊपर ऐसे स्थायी या अस्थायी ढलान, मेहराब, सुरंग, पुलिया, तटबंध, जलसेतु, पुल, रास्ते या मार्ग बना या सन्निर्मित कर सकेगा जैसे भूमिगत रेल प्रशासन उचित समझे; 

(ख) किसी नदी, नहर, नाले, सरिता या जल सरणी को, उसके ऊपर या नीचे सुरंगों, रास्तों या अन्य संकर्मों के सन्निर्माण के प्रयोजन के लिए परिवर्तित कर सकेगा और किसी नदी, नहर, नाले, सरिता या जल सरणी या किसी नाली, पानी के नल, गैस नल, विद्युत लाइन या तार लाइन को इस उद्देश्य से कि उन्हें भूमिगत रेल के ऊपर या नीचे, जैसा भूमिगत रेल प्रशासन उचित समझे, अधिक सुविधापूर्वक ले जाया जाए, अस्थायी या स्थायी रूप से मोड़ सकेगा या परिवर्तित कर सकेगा या उनके तल को ऊंचा या नीचा कर सकेगा ।

(ग) भूमिगत रेल तक पानी पहुंचाने के प्रयोजन के लिए नालियां या नलिकाएं, भूमिगत रेल से लगी हुई किसी भूमि में या उसमें से हो कर या उसके नीचे, बना सकेगा; 

(घ) ऐसे गृह, भाण्डागार, कार्यालय या अन्य भवन और ऐसे यार्ड, स्टेशन, इंजन, मशीनरी, साधित्र और अन्य संकर्म और सुविधाएं जैसे भूमिगत रेल प्रशासन उचित समझे, परिनिर्मित या सन्निर्मित कर सकेगा; 

(ङ) यथापूर्वोक्त ऐसे भवनों, संकर्मो और सुविधाओं या उनमें से किसी को परिवर्तित कर सकेगा, उनकी मरम्मत कर सकेगा, या उन्हें बन्द कर सकेगा या उनके स्थान पर दूसरे बना सकेगा; 

() ऐसे मानचित्र या रेखांक बना सकेगा अथवा सर्वेक्षण या जांच कर सकेगा जो भूमिगत रेल प्रशासन उचित समझे

(छ) भूमिगत रेल के बनाए जाने, उसके अनुरक्षण, उसमें परिवर्तन या उसकी मरम्मत करने और उसके उपयोग के लिए, आवश्यक अन्य सभी कार्य कर सकेगा । 

19. भूमिगत रेल प्रशासन की शक्तियां-(1) भूमिगत रेल प्रशासन को  [धारा 18 के अधीन अपने कृत्यों का पालन करने के लिए] निम्नलिखित शक्तियां होंगी, अर्थात् :-

(क) संविदा करना और पट्टा देना तथा उसके लिए आवश्यक सभी लिखतों को निष्पादित करना; 

(ख) भूमिगत मार्ग संरेखण पर या उसके भीतर किसी भूमि, नहर, नदी, मार्ग या सड़क के ऊपर, नीचे या बगल में उतनी संख्या में रेल पथों का सन्निर्माण करना जितनी केंन्द्रीय सरकार आवश्यक समझे, तथा उसके सम्बन्ध में अन्य संकर्मों और प्रसुविधाओं का सन्निर्माण करना ; 

(ग) यथास्थिति, किसी मार्ग, सड़क, केबल, खाई, नाली, (जिसमें सीवर भी सम्मिलित है) जलसरणों, गड्ढा, पुलिया, या किसी अन्य युक्ति को (चाहे वह गन्दा पानी, मल मूत्र, घृर्णोंत्पादक, वस्तु, दूषित जल, व्यावसायिक बहिःस्राव, वर्षा का जल, अवमृदा जल या कोई अन्य वस्तु का वहन करने के लिए हो), विद्युत् या गैस प्रदाय लाइन या दूर संचार लाइन या तार संस्थापन को चाहे वह किसी भूमि, पथ, रेल या ट्राम्वे के ऊपर, आर-पार या उसके नीचे हों, 1[खोलना, पथांतरित या अस्थायी रूप से बंद करना]; 

(घ) सुरंग खोदना ; 

(ङ) संकेत तथा अन्य संचार प्रसुविधाएं, विद्युत् उपकेन्द्र, प्रदाय लाइन और अन्य संकर्म स्थापित करना ; 

(च) भूमिगत मार्ग संरक्षण के समीपस्थ क्षेत्रों में सार्वजनिक या निजी जल कूपों की खुदाई या कुंओं की खुदाई को विनियमित करना ;  

(छ) उपर्युक्त शक्तियों में से किसी के प्रयोग के लिए आवश्यक और समीचीन सभी अन्य कार्य करना ।

(2) उपधारा (1) के अधीन किसी शक्ति का प्रयोग करते समय भूमिगत रेल प्रशासन पूर्वावधानों के ऐसे उपाय करेगा जो आवश्यक हों तथा यथा संभव कम से कम नुकसान पहुंचाएगा और वह ऐसी किसी शक्ति के प्रयोग के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति द्वारा उठाए गए वास्तविक नुकसान या उपगत वास्तविक खर्च के लिए ही दायी होगा  

20. भूमिगत मार्ग संरेखण के ऊपर विकास-(1) यदि कोई व्यक्ति भूमिगत मार्ग संरेक्षण पर या उसके बगल में किसी भूमि या भवन का विकास करना चाहता है, तो वह ऐसा विकास कार्य प्रारम्भ करने के पूर्व और किसी अन्य अधिनियम के अधीन कोई अनुमोदन या सम्मति प्राप्त करने की अपनी बाध्यता को परिसीमित किए बिना, भूमिगत रेल प्रशासन को प्रस्तावित विकास का ब्यौरा पेश करेगा और उसके सम्बन्ध में भूमिगत रेल प्रशासन द्वारा अधिरोपित किन्हीं शर्तों का अनुपानल करेगा ।

(2) भूमिगत रेल प्रशासन, उपधारा (1) के अधीन किन्हीं शर्तों को अधिरोपित करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगा, अर्थात् :- 

                                (क) भूमिगत रेल की सुरक्षा; 

(ख) ऐसे अन्य विषय जो विहित किए जाएं । 

21. भवन सन्निर्माण और उत्खनन को अतिषिद्ध या विनियमित करने की शक्ति-(1) यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय है कि किसी भूमिगत रेल के सन्निर्माण के लिए या किसी भूमिगत रेल की सुरक्षा के लिए ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा- 

(क) यह निदेश दे सकेगी कि भूमिगत मार्ग संरेखण पर या उसके दोनों और  [बीस मीटर] से अनधिक की ऐसी दूरी के भीतर जो अधिसूचना में विहित की जाए, किसी भूमि पर किसी भवन या विकास कार्य का, जो अधिसूचना में विहित किया जाए, सन्निर्माण नहीं किया जाएगा तथा यदि ऐसा भवन ऐसी भूमि पर है तो ऐसे भवन के स्वामी या उस पर नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति को, ऐसी अवधि के भीतर जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए, ऐसे भवन को गिराने या उसमें परिवर्तन या फेरबदल कराने या ऐसा विकास कार्य करने से प्रविरत रहने का निदेश दे सकेगी

() भूमिगत मार्ग संरेखण के ऊपर या उसके दोनों और बीस मीटर से अनधिक की ऐसी दूरी के भीतर जो अधिसूचना में विहित की जाए, किसी भवन से उन सभी व्यक्तियों को किन्हीं जंगम सम्पत्ति अथवा पशुओं के साथ, जो ऐसे व्यक्तियों की अभिरक्षा, नियन्त्रण या कब्जे में हों, अस्थायी रूप से निष्क्रमण करने का निदेश दे सकेगी :

परन्तु इस खण्ड के अधीन कोई अधिसूचना जारी करने के पूर्व केन्द्रीय सरकार, ऐसे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अस्थायी रूप से वैकल्पिक निवास स्थान की, जो उसकी राय में उपयुक्त है, निःशुल्क व्यवस्था करेगी अथवा ऐसी रकम प्रदान करेगी जो उसकी राय में अस्थायी वैकल्पिक निवास स्थान प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है । 

(2) जहां उपधारा (1) के खण्ड (ख) के परन्तुक के अधीन वैकल्पिक निवास स्थान की व्यवस्था करने के लिए किसी सम्पत्ति की आवश्यकता है या होनी संभाव्य है वहां वह सम्पत्ति, स्थावर सम्पत्ति अधिग्रहण और अर्जन अधिनियम, 1952 (1952 का 30) की धारा 3 के अधीन लोक प्रयोजन के लिए आवश्यक समझी जाएगी और उस अधिनियम के अधीन सक्षम प्राधिकारी उस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार उस सम्पत्ति का अधिग्रहण करेगा और ऐसे उपबंध ऐसे अधिग्रहण के संबंध में तद्नुसार लागू होंगे ।

(3) उपधारा (1) के खण्ड () के अधीन दूरी विनिर्दिष्ट करने में केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित बातें ध्यान में रखेगी :- 

                (क) भूमिगत रेल का प्रकार और उसकी आवश्यकताएं;

(ख) भवन की सुरक्षा; 

(ग) ऐसे अन्य विषय जो विहित किए जाएं । 

(4) जहां किसी भवन के स्वामी को अथवा ऐसे भवन पर नियंत्रण रखने वाले किसी व्यक्ति को उपधारा (1) के अधीन कोई अधिसूचना जारी करके, यह निदेश दिया जाता है कि वह ऐसे भवन को गिरा दे या ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट उसमें परिवर्तन या परिवर्धन करवा दे या उसमें कोई विकास कार्य कराने से प्रविरत रहे, वहां वह ऐसे निदेश देने वाली अधिसूचना की एक प्रति, ऐसे भवन के स्वामी अथवा उस पर नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति पर, यथास्थिति

(i) ऐसे स्वामी या व्यक्ति को परिदत्त या निविदत्त करके तामील की जाएगी, अथवा

(ii) यदि वह इस प्रकार परिदत्त या निविदत्त नहीं की जा सकती है तो, ऐसे स्वामी या व्यक्ति के किसी अभिकर्ता को अथवा ऐसे स्वामी या व्यक्ति के कुटुम्ब के किसी वयस्क पुरुष सदस्य को परिदत्त या निविदत्त करके अथवा अधिसूचना की एक प्रति उस परिसर के, जिसमें ऐसे स्वामी या व्यक्ति का अन्तिम बार निवास किया जाना अथवा कारबार चलाना अथवा अभिलाभ के लिए स्वयं काम करना ज्ञात है, बाहरी द्वारा पर अथवा सहजदृश्य किसी भाग पर लगाकर तामील की जाएगी, अथवा इन साधनों द्वारा तामील करने में असफल रहने की दशा में,

(iii) डाक द्वारा तामील की जाएगी ।

(5) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना में अन्तर्विष्ट किसी निदेश का अनुपालन करने के लिए, प्रत्येक व्यक्ति आबद्ध होगा । 

22. सन्निर्माण आदि प्रतिषेध के लिए रकम का संदाय-(1) यदि धारा 21 की उपधारा (1) के अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना में किसी निदेश के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति को कोई हानि या नुकसान होता है तो ऐसे व्यक्ति को ऐसी रकम का संदाय किया जाएगा जो प्रथम बार में  [सक्षम प्राधिकारी के किसी आदेश द्वारा] अवधारित की जाएगी । 

(2) यदि सक्षम प्राधिकारी द्वारा अवधारित रकम किसी पक्षकार को स्वीकार्य नहीं है तो रकम, 1[किसी भी पक्षकार द्वारा सक्षम प्राधिकारी द्वारा किए गए आदेश की तारीख से साठ दिन के भीतर अपील प्राधिकारी को अपील किए जाने पर, अपील प्राधिकारी के आदेश द्वारा अवधारित की जाएगी ।]

(3) यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन रकम का अवधारण करते समय सक्षम प्राधिकारी या [अपील प्राधिकारी] निम्नलिखित को ध्यान में रखेगा, अर्थात् :-  

(i) ऐसे व्यक्ति को उसके उपार्जनों में हुई हानि या नुकसान; 

(ii) ऐसी अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख के ठीक बाद ऐसी भूमि या भवन के बाजार मूल्य में कमी, यदि कोई हो;

(iii) जहां किसी निदेश के अनुसरण में किसी व्यक्ति ने कोई भवन गिरा दिया है या ऐसे भवन में कोई परिवर्धन या परिवर्तन कर दिया है या किसी विकास कार्य से वह प्रविरत रहा है तो ऐसे गिराने या ऐसा परिवर्धन या परिवर्तन करवाने या ऐसे विकास कार्य से प्रविरत रहने के परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्ति को हुआ नुकसान और ऐसे गिराने, परिवर्धन या परिवर्तन के लिए ऐसे व्यक्ति द्वारा उपगत व्यय : 

परन्तु ऐसे गिराने अथवा परिवर्धन या परिवर्तन के लिए उपगत व्यय पर विचार नहीं किया जाएगा यदि इस प्रकार गिराना, परिवर्धन या परिवर्तन भूमिगत रेल प्रशासन ने धारा 36 की उपधारा (2) के अधीन किया है;  

(iv) यदि किसी ऐसे व्यक्ति को अपना निवास स्थान या कारबार का स्थान तब्दील करने के लिए विवश किया जाता है तो ऐसी तब्दीली का आनुषंगिक युक्तियुक्त व्यय जो उसके द्वारा उपगत किया जाए । 

23. भवनों के निचले भाग का पुनः निर्माण करने अथवा उसे अन्यथा मजबूत बनाने की शक्ति-(1) यदि भूमिगत रेल प्रशासन की यह राय है कि किसी भूमिगत रेल का सन्निर्माण करने के लिए अथवा किसी भूमिगत रेल की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ऐसा करना आवश्यक या समीचीन है तो वह भूमिगत मार्ग संरेखण से पचास मीटर से अनधिक की ऐसी त्रिजया के भीतर किसी भवन के निचले भाग का पुनः निर्माण कर सकेगा या उसे अन्यथा मजबूत बना सकेगा । 

(2) भूमिगत रेल प्रशासन भवन के स्वामी या अधिभोगी को भवन के निचले भाग का पुनः निर्माण करने या उसे अन्यथा मजबूत बनाने का काम प्रारम्भ करने के कम से कम दस दिन पूर्व लिखित सूचना देगा :

परन्तु जहां भूमिगत रेल प्रशासन का समाधान हो जाता है कि कोई आपात् विद्यमान है तो ऐसी सूचना आवश्यक नही होगी ।

(3) जहां किसी भवन के निचले भाग को पुनः निर्मित करने या उसे अन्यथा मजबूत बनाने का काम-

(क) उस भूमि पर जहां कोई भवन स्थित है संकर्म निष्पादित करने ; या 

(ख) किसी भूमिगत रेल के सन्निर्माण या प्रचालन,

के संबंध में किया गया है तो भूमिगत रेल प्रशासन उस भवन के निचले भाग का पुनः निर्माण करने या उसे अन्यथा मजबूत बनाने के पश्चात् और बारह मास की अवधि समाप्त होने के पूर्व, किसी समय,-

(i) खंड (क) में निर्दिष्ट मामले में, ऐसे संकर्म के पूर्ण हो जाने के समय से; और 

(ii) खंड (ख) में निर्दिष्ट मामले में, उस तारीख से जब भूमिगत रेल पर यातायात प्रारम्भ हो गया था,

ऐसे भवन में प्रवेश कर सकेगा और उसका सर्वेक्षण कर सकेगा तथा उस भवन के निचले भाग के अतिरिक्त पुनः निर्माण का या मजबूत बनाए जाने का कार्य, जो वह आवश्यक समझे, कर सकेगा ।

24. प्रवेश आदि करने की शक्ति-(1) कोई भूमिगत रेल या उससे सम्बद्ध किसी अन्य संकर्म का सन्निर्माण करने के प्रयोजन के लिए किसी भूमि या भवन का सर्वेक्षण करने की दृष्टि से या उसकी प्रकृति या दशा अभिनिश्चित करने के लिए, भूमिगत रेल प्रशासन या उस प्रशासन द्वारा प्राधिकृत कोई व्यक्ति, दिन में किसी युक्तियुक्त समय तथा उस भूमि या भवन के स्वामी या अधिभोगी को युक्तियुक्त सूचना देने के पश्चात्, भूमिगत मार्ग संरेखण पर उसके ऊपर या उसके समीप ऐसी भूमि या भवन में निम्नलिखित प्रयोजन के लिए प्रवेश कर सकेगा :- 

(क) उसका निरीक्षण करने के लिए; 

(ख) उसका माप करने या उसका रेखांक बनाने या फोटो चित्र लेने तथा ऐसे अन्य उपयुक्त उपाय करने के लिए जो भूमिगत मार्ग संरेखण के आसपास खाइयां खोद कर या अन्यथा किसी भवन की नींव का पता लगाने या उसकी पड़ताल करने के लिए आवश्यक हो; 

(ग) ऐसे अन्य उपाय करने के लिए जो उक्त प्रशासन आवश्यक या उचित समझे ।

(2) धारा 19 के अधीन भूमिगत रेल प्रशासन को प्रदत्त शक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भूमिगत रेल प्रशासन किसी सीवर, बरसाती नाली, पाइप, तार या केबल पर नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति या व्यक्ति निकाय से, भूमिगत रेल प्रशासन के खर्चे पर उसमें कोई ऐसा परिवर्तन करने का लिखित अनुरोध कर सकेगा जिसके लिए वह प्रशासन प्राधिकृत है अथवा इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए किसी विशेष स्थिति में जिसके किए जाने की ऐसे प्रकाशन से अपेक्षा की जा सकती है ।

(3) यदि प्रशासन और उपधारा (2) में निर्दिष्ट व्यक्ति या व्यक्ति निकाय के बीच किसी ऐसे परिवर्तन या उसकी लागत के संबंध में कोई मतभेद या विवाद उठ खड़ा होता है तो ऐसा मतभेद या विवाद केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार के परामर्श से (जहां कहीं आवश्यक हो), अवधारित करेगी और केन्द्रीय सरकार का इस संबंध में विनिश्चय किसी भी न्यायलय में प्रश्नगत नहीं किया जाएगा ।

25. नुकसान, हानि या क्षति के लिए संदेय रकम-(1) जहां भूमिगत रेल प्रशासन इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उसे प्रदत्त किसी शक्ति का प्रयोग करता है और उसके परिणामस्वरूप किसी भूमि, भवन, पथ, सड़क या मार्ग से हितबद्ध किसी व्यक्ति को नुकसान, हानि या क्षति होती है वहां भूमिगत रेल प्रशासन ऐसे नुकसान, हानि या क्षति के लिए ऐसे व्यक्ति को उतनी रकम संदत्त करने का दायी होगा जो सक्षम प्राधिकारी अवधारित करे

(2) यदि सक्षम प्राधिकारी द्वारा उपधारा (1) के अधीन अवधारित रकम किसी पक्षकार को स्वीकार्य नहीं है तो संदेय रकम  [किसी भी पक्षकार द्वारा सक्षम प्राधिकारी द्वारा किए गए आदेश की तारीख से साठ दिन के भीतर अपील प्राधिकारी को अपील किए जाने पर, अपील प्राधिकारी के आदेश द्वारा अवधारित की जाएगी ।]

(3) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन रकम का अवधारण करते समय, यथास्थिति, सक्षम प्राधिकारी या [अपील प्राधिकारी] भूमि, भवन, पथ, सड़क या मार्ग से हितबद्ध व्यक्ति को निम्नलिखित कारणों से हुए नुकसान, हानि या क्षति का सम्यक् ध्यान रखेगा :-

                (i) वृक्षों या खड़ी फसल के हटाए जाने से ;

(ii) भूमि, भवन, मार्ग, सड़क या पथ के अस्थायी रूप में काट दिए जाने से ; 

(iii) किसी अन्य स्थावर या जंगम सम्पत्ति को हुए किसी नुकसान से । 

  [(4) भूमि, भवन, मार्ग, सड़क या पथ के अर्जन के लिए या किसी भूमि, भवन, मार्ग, सड़क या पथ के उपयोग के किसी अधिकार के या सुखाचार की प्रकृति के किसी अधिकार के अर्जन के संबंध में संदेय रकम का निक्षेप करने या उसके संदाय के लिए वही प्रक्रिया और रीति अनुसरित की जाएगी जो इस धारा के अधीन सक्षम प्राधिकारी या अपील प्राधिकारी द्वारा रकम के निक्षेप और उसके संदाय के लिए अवधारित की गई हो ।]

26. नुकसान के लिए दावा करने का अधिकार-इस अधिनियम के अधीन भूमिगत रेल या उससे सम्बद्ध किसी संकर्म के सन्निर्माण के परिणामस्वरूप हुए अधिकथित किसी नुकसान, हानि या क्षति के संबंध में कोई दावा, भूमिगत रेल प्रशासन के विरुद्ध तब तक नहीं होगा जब तक कि ऐसा दावा उस क्षेत्र में, जिसमें ऐसा नुकसान, हानि या क्षति हुई है, भूमिगत रेल या उससे सम्बद्ध अन्य संकर्म के सन्निर्माण का कार्य पूरा होने के बारह मास की अवधि के भीतर नहीं कर दिया जाता ।

अध्याय 5

भूमिगत रेल का निरीक्षण

27. आयुक्त की नियुक्ति और कर्तव्य-(1) केन्द्रीय सरकार, उतने व्यक्तियों की, जितने वह आवश्यक समझे, नाम से या उनके पद के आधार पर, भूमिगत रेल आयुक्त नियुक्त कर सकेगी । 

(2) प्रत्येक आयुक्त,-

(क) यह अवधारित करने की दृष्टि से कि क्या रेल यात्रियों के सार्वजनिक वहन के लिए चालू किए जाने के लिए उपयुक्त है, भूमिगत रेल का निरीक्षण करेगा और इस बाबत केन्द्रीय सरकार को रिपोर्ट देगा ; 

(ख) किसी भूमिगत रेल के या उसमें उपयोग में लाए जाने वाले किसी चल स्टाक के ऐसे नियतकालिक या अन्य निरीक्षण करेगा, जैसे केन्द्रीय सरकार निर्दिष्ट करे; 

() अन्य ऐसे कर्तव्यों का पालन करेगा जो उस पर इस अधिनियम द्वारा या रेल संबंधी किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त अधिनियमिति द्वारा या उसके अधीन, अधिरोपित किए जाने या जिनकी केन्द्रीय सरकार द्वारा अपेक्षा की जाए  

28. आयुक्तों की शक्तियां-प्रत्येक आयुक्त को, केन्द्रीय सरकार के नियंत्रण के अधीन रहते हुए निम्नलिखित शक्तियां होंगी, अर्थात् :-

() किसी भूमिगत रेल में या उसमें प्रयोग में लाए जाने वाले किसी चल स्टाक में प्रवेश करना और उसका  निरीक्षण करना

() ऐसी कोई जांच करना या कोई माप लेना जो वह इस अधिनियम के अधीन अपने कर्तव्यों के पालन के लिए उचित समझे

(ग) किसी भूमिगत रेल प्रशासन को सम्बोधित स्वहस्ताक्षरित और शासकीय मुद्रायुक्त लिखित आदेश द्वारा भूमिगत रेल के किसी प्राधिकारी या अन्य कर्मचारी से आयुक्त के समक्ष हाजिर होने की अपेक्षा करना और ऐसी जांचों की बाबत, जैसी वह करना ठीक समझे, ऐसे अधिकारी या अन्य कर्मचारी का उक्त प्रशासन से उत्तरों या विवरणियों की अपेक्षा करना ; 

(घ) किसी भूमिगत रेल प्रशासन की या उसके कब्जे या नियंत्रण के अधीन वाली कोई ऐसी पुस्तक या दस्तावेज पेश करने की अपेक्षा करना, जिसका इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन अपने कर्तव्यों के पालन के लिए निरीक्षण करना उसे आवश्यक प्रतीत होता है ।  

29. आयुक्त को दी जाने वाले सुविधाऐ-प्रत्येक भूमिगत रेल प्रशासन प्रत्येक आयुक्त को उन कर्तव्यों के पालन और शक्तियों के प्रयोग के लिए, जो इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उस पर अधिरोपित या उसे प्रदत्त किए जाए, वह उचित सुविधाएं देगा ।

अध्याय 6

प्रकीर्ण

30. अधिशेष भूमि का विक्रय या अन्यथा व्ययन किया जाना-प्रत्येक भूमिगत रेल प्रशासन, इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन केन्द्रीय सरकार में निहित किसी भूमि का जब ऐसी भूमि की भूमिगत रेल के प्रयोजनों के लिए आवश्यकता रहे, केन्द्रीय सरकार के पूर्व अनुमोदन से, विक्रय कर सकेगा या उसका अन्यथा व्ययन कर सकेगा

31. दुर्घटनाओं की सूचना और जांच-(1) यदि किसी भूमिगत रेल के सन्निर्माण के दौरान या उसके पश्चात् किसी प्रक्रम में कोई दुर्घटना ऐसे सन्निर्माण के परिमाणस्वरूप होती है और ऐसी दुर्घटना के परिमाणस्वरूप मानव जीवन या पशु की हानि होती है या किसी सम्पत्ति को नुकसान होता है या ऐसा होना संभाव्य है तो भूमिगत रेल प्रशासन का यह कर्तव्य होगा कि वह केन्द्रीय सरकार को किसी ऐसी हानि या नुकसान की सूचना ऐसे प्ररूप में और ऐसे समय के भीतर दे, जो विहित किया जाए । 

(2) यदि केन्द्रीय सरकार उपधारा (1) के अधीन सूचना की प्राप्ति पर उचित समझती है तो, उस दुर्घटना की जांच करने के लिए और निम्नलिखित के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने के लिए, एक आयोग नियुक्त कर सकेगी :-

(क) ऐसी दुघर्टना का कारण;

(ख) वह रीति जिससे और वह विस्तार जिस तक इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियम के उपबन्धों का, जहां तक कि वे किसी व्यक्ति, पशु या सम्पत्ति की सुरक्षा को विनियमित या शासित करते हैं पालन किया गया है ।

(3) उपधारा (2) के अधीन नियुक्त आयोग को, जांच करते समय निम्नलिखित विषयों के बारे में वे सभी शक्तियां होंगी, जो किसी सिविल न्यायालय को सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी वाद का विचारण करते समय होती हैं, अर्थात् :-

(क) किसी व्यक्ति को समन करना और हाजिर कराना और शपथ पर उसकी परीक्षा करना ; 

(ख) किसी दस्तावेज के प्रकटीकरण या पेश किए जाने की अपेक्षा करना; 

(ग) शपथ पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना; 

(घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख की अध्यपेक्षा करना; 

(ङ) साक्षियों की परीक्षा के लिए कमीशन निकालना ।

32. अनुसूची में प्रविष्टियों को परिवर्तित करने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा,-

(क) अनुसूची में, किसी ऐसे महानगर की बाबत भूमिगत मार्ग संरेखण जोड़ सकती है जिसे यह अधिनियम धारा 1 की उपधारा (3) के अधीन लागू किया गया है ; 

() अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी भूमिगत मार्ग, संरेखण में परिवर्तन कर सकती है यदि उसकी यह राय हो कि ऐसा परिवर्तन उस भूमिगत रेल के सन्निर्माण और अनुरक्षण के लिए आवश्यक है, जिससे ऐसा संरेखण संबंधित है  

(2) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना जारी किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी । 

33. बाधा का प्रतिषेध-कोई भी व्यक्ति, बिना किसी उचित हेतु या कारण के, किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके साथ भूमिगत रेल प्रशासन ने संविदा की है, ऐसी संविदा के उक्त व्यक्ति द्वारा पालन या निष्पादन में बाधा नहीं डालेगा  

34. स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा सहायता-प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी, भूमिगत रेल प्रशासन को ऐसी मदद और सहायता तथा ऐसी जानकारी देगा जिसकी प्रशासन अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए अपेक्षा करे और उक्त प्रशासन को निरीक्षण और परीक्षा के लिए ऐसे अभिलेख, नक्शे, रेखांक और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराएगा, जो ऐसे कृत्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक हों ।

35. चिह्नों के हटाए जाने पर प्रतिषेध-कोई भी व्यक्ति भूमिगत रेल प्रशासन द्वारा स्तरों, सीमाओं या रेखाओं के प्रयोजन के लिए लगाए गए चिह्नों को नहीं हटाएगा या खोदी गई किन्हीं खाइयों को नहीं भरेगा ।

36. धारा 21 के अधीन जारी किए गए निदेशों का पालन करने में असफल रहने पर शास्ति-(1) यदि कोई व्यक्ति, धारा 21 के अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना में अन्तर्विष्ट किसी निदेश का पालन करने में जानबूझकर असफल रहेगा तो उसे कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो एक हजार तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

(2) उपधारा (1) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि कोई व्यक्ति धारा 21 के अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना में अन्तर्विष्ट किसी निदेश के अनुसरण में, उक्त अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर, किसी भवन को गिराने या उनमें परिवर्धन या परिवर्तन करने में असफल रहता है तो ऐसे नियमों के, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त बनाए, अधीन रहते हुए कोई ऐसा अधिकारी, जो भूमिगत रेल प्रशासन द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किया जाए, ऐसे भवन को गिराने या उसमें आवश्यक परिवर्धन या परिवर्तन करने के लिए सक्षम होगा  

 [(2क) उपधारा (1) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि कोई व्यक्ति धारा 21 के अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना में अन्तर्विष्ट किसी निदेश के अनुसरण में उक्त अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर किसी भवन को, ऐसी किसी जंगम सम्पत्ति या पशुओं सहित, जो उसकी अभिरक्षा, नियंत्रण या कब्जे में हों, खाली करने में असफल रहता है, तो सक्षम प्राधिकारी ऐसी पुलिस सहायता लेकर, जो वह आवश्यक समझे, अस्थायी निष्क्रमण निदेश को, स्वयं प्रवर्तित कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए धारा 11 की उपधारा (2) के उपबंध, याक्त्शक्य, लागू होंगे । 

37. अपराधों के लिए दण्ड की बाबत साधारण उपबन्ध-जो कोई इस अधिनियम के या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम के किसी उपबन्ध का उल्लंघन करेगा, वह उस दशा में, जब ऐसे उलंघन के लिए इस अधिनियम में अन्यत्र या नियमों में कोई अन्य शास्ति उपबन्धित नहीं है, कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डनीय होगा ।

38. कंपनियों द्वारा अपराध-(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कम्पनी द्वारा किया गया हो वहां प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिए उस कम्पनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएंगे और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने के भागी होंगे :

परन्तु इस उपधारा की कोई बात ऐसे व्यक्ति को दण्ड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था अथवा उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवाराण करने के लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी । 

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है तथा यह साबित होता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी अपेक्षा के कारण माना जा सकता है, वहां ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने का भागी होगा ।

स्पष्टीकरण-इस धारा के प्रयोजनों के लिए- 

() कम्पनी" से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत कोई फर्म या व्यक्तियों का अन्य संगम भी है; तथा 

(ख) फर्म के संबंध में निदेशक" से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।

39. अधिकारिता का वर्जन-केन्द्रीय सरकार या भूमिगत रेल प्रशासन अथवा उस सरकार या भूमिगत रेल के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी या भूमिगत रेल प्रशासन के लिए या उसकी ओर से कार्य करने वाले किसी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसे किसी कार्य के संबंध में कोई वाद या आदेश के लिए आवेदन किसी न्यायालय में नहीं होगा जो किसी भूमिगत रेल या उससे सम्बद्ध किसी अन्य संकर्म के सन्निर्माण के संबंध में उसके द्वारा या उक्त प्रशासन के द्वारा या ऐसे अधिकारी या अन्य कर्मचारी या ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया है या किया गया तात्पर्यित है या किया जाना आशयित है ।

40. अन्य अधिनियमितियों से असंगत अधिनियम और नियमों आदि का प्रभाव-इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम या उसके अधीन जारी की गई किसी अधिसूचना के उपबंध इस अधिनियम से भिन्न किसी अधिनियमिति की किसी बात के या इस अधिनियम से भिन्न किसी अधिनियमिति के आधार पर प्रभाव रखने वाली किसी लिखत में, उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी प्रभावशील होंगे । 

41. सद्भावपूर्वक की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण-(1) कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी भी ऐसी बात के बारे में जो इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिए आशयित हो, केन्द्रीय सरकार भूमिगत रेल प्रशासन या उस सरकार के या भूमिगत रेल के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध न होगी । 

(2) कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी ऐसी बात के बारे में जिससे नुकसान हुआ हो या हो सकता हो और जो इस अधिनियम के अधीन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिए आशयित हो केन्द्रीय सरकार या भूमिगत रेल प्रशासन या उस सरकार या भूमिगत रेल के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध न होगा ।

42. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति-यदि इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार आदेश द्वारा ऐसे उपबन्ध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबन्धों से असंगत न हों और जो इस कठिनाई को दूर करने के प्रयोजन के लिए उसे आवश्यक या समीचीन प्रतीत हों :

परन्तु किसी महानगर के सम्बन्ध में कोई ऐसा आदेश उस तारीख से दो वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् नहीं किया जाएगा जिसको यह अधिनियम धारा 1 की उपधारा (3) के अधीन उस महानगर को लागू होता है या लागू किया जाता है । 

43. भारतीय रेल अधिनियम, 1890 का लागू होना-इस अधिनियम में जैसा उपबन्धित है उसके सिवाय इस अधिनियम के उपबंध भारतीय रेल अधिनियम, 1890 (1890 का 9) के अतिरिक्त होंगे कि उनके अल्पीकरण में  

44. नियम बनाने की शक्ति-(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात् :-

(क) वह समय और स्थान जहां सलाहकार बोर्ड का अधिवेशन होगा और धारा 4 की उपधारा (5) के अधीन सलाहकार बोर्ड द्वारा कामकाज के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया;

(ख) धारा 4 की उपधारा (6) के अधीन सलाहकार बोर्ड के सदस्यों की पदावधि;

(ग) वह समय और स्थान जहां पर समितियों का अधिवेशन होगा और धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन समितियों द्वारा कामकाज के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया; 

(घ) धारा 5 की उपधारा (3) के अधीन समिति के सदस्यों को फीस, भत्तों और यात्रा भत्तों का संदाय; 

(ङ) वह प्ररूप जिसमें धारा 6 के अधीन अर्जन के लिए आवेदन किया जाएगा;

() वह स्थान जहां पर और वह रीति जिसमें, धारा 7 की उपधारा (3) के अधीन अधिसूचना का सार प्रकाशित किया जाएगा ;

 () वह रीति जिसमें धारा 14 की उपधारा (1) और उपधारा (6) के अधीन रकम सक्षम प्राधिकारी के पास जमा की जाएगी

(ज) धारा 20 की उपधारा (2) के खंड (ख) के अधीन विनिर्दिष्ट किए जाने वाले विषय; 

(झ) धारा 21 की उपधारा (3) के खंड (ग) के अधीन विनिर्दिष्ट किए जाने वाले विषय; 

(ञ) वह प्ररूप जिसमें और वह समय जिसके भीतर धारा 51 की उपधारा (1) के अधीन सूचना दी जाएगी; 

(ट) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए । 

(3) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में हो प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे प्रवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा । 

45. व्यावृत्ति-इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, किसी भूमिगत रेल के प्रयोजन के लिए भूमि अर्जन अधिनियम, 1894 (1894 का 1) के अधीन किसी भूमि का अर्जन करने के लिए इन अधिनियम के प्रारम्भ के ठीक पूर्व किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकरण के समक्ष लंबित कोई कार्यवाही चालू रखी जाएगी और इस प्रकार निपटाई जाएगी मानो यह अधिनियम प्रवृत्त ही न हुआ हो ।

अनुसूची

[देखिए धारा 2 (ज) और धारा 32 की उपधारा (1)]

कलकत्ता महानगर    

Download the LatestLaws.com Mobile App
 
 
Latestlaws Newsletter
 
 
 
Latestlaws Newsletter
 
 
 

LatestLaws.com presents: Lexidem Offline Internship Program, 2024

 

LatestLaws.com presents 'Lexidem Online Internship, 2024', Apply Now!

 
 
 
 

LatestLaws Guest Court Correspondent

LatestLaws Guest Court Correspondent Apply Now!
 

Publish Your Article

Campus Ambassador

Media Partner

Campus Buzz