जांच या विचारण को पुनः चालू करना-(1) जब कभी जांच या विचारण को धारा 328 या धारा 329 के अधीन मुल्तवी किया गया है, तब, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या न्यायालय जांच या विचारण को संबद्ध व्यक्ति के विकृतचित्त न रहने पर किसी भी समय पुनः चालू कर सकता है और ऐसे मजिस्ट्रेट या न्यायालय के समक्ष अभियुक्त के हाजिर होने या लाए जाने की अपेक्षा कर सकता है ।
(2) जब अभियुक्त धारा 330 के अधीन छोड़ दिया गया है और उसकी हाजिरी के लिए प्रतिभू उसे उस अधिकारी के समक्ष पेश करते हैं, जिसे मजिस्ट्रेट या न्यायालय ने इस निमित्त नियुक्त किया है, तब ऐसे अधिकारी का यह प्रमाणपत्र कि अभियुक्त अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है साक्ष्य में लिए जाने योग्य होगा ।