भारतीय दंड संहिता की धारा 213 के अनुसार, जो कोई अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई परितोषण या अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए किसी संपत्ति का प्रत्यास्थापन, किसी अपराध के छिपाने के लिए या किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए वैध दंड से प्रतिच्छादित करने के लिए, या किसी व्यक्ति के विरुद्ध वैध दंड दिलाने के प्रयोजन से उसके विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही न करने के लिए, प्रतिफलस्वरूप प्रतिगॄहीत करेगा या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करेगा या प्रतिगॄहीत करने के लिए करार करेगा,
यदि अपराध मॄत्यु से दंडनीय हो--यदि वह अपराध मॄत्यु से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ;
यदि आजीवन कारावास या कारावास से दंडनीय हो--तथा यदि वह अपराध 3[आजीवन कारावास] या दस वर्ष तक के कारावास से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ;
तथा यदि वह अपराध दस वर्ष से कम तक के कारावास से दंडनीय हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से इतनी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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उपहार लेने, आदि, सजा से एक अपराधी स्क्रीन करने के लिए, अगर अपराध पूंजी हो यदि आजीवन कारावास या 10 साल के लिए कारावास के साथ दंडनीय यदि 10 साल से कम के लिए कारावास के साथ दंडनी |
7 साल + जुर्माना 3 साल + जुर्माना अपराध या जुर्माना या दोनों का एक चौथाई |
संज्ञेय संज्ञेय संज्ञेय |
जमानती जमानती जमानती |
मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी |