भारतीय दंड संहिता की धारा 205 के अनुसार, जो कोई किसी दूसरे का मिथ्या प्रतिरूपण करेगा और ऐसे धरे हुए रूप में किसी वाद या आपराधिक अभियोजन में कोई स्वीकॄति या कथन करेगा, या दावे की
1 1894 के अधिनियम सं. 3 की धारा 6 द्वारा अंतःस्थापित ।
2 1951 के अधिनियम सं0 3 की धारा 3 और अनुसूची द्वारा राज्यों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
3 2000 के अधिनियम सं. 21 की धारा 91 और पहली अनुसूची द्वारा (17-10-2000 से) दस्तावेज के स्थान पर प्रतिस्थापित । भारतीय दंड संहिता, 1860 40
संस्वीकॄति करेगा, या कोई आदेशिका निकलवाएगा या जमानतदार या प्रतिभू बनेगा, या कोई भी अन्य कार्य करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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किसी अधिनियम या मुकदमे या आपराधिक मुकदमे में या जमानत या सुरक्षा बनने के उद्देश्य से नकली व्यक्ति | 3 साल या जुर्माना या दोनों | गैर - संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |