राजघाट समाधि अधिनियम, 1951
(1951 का अधिनियम संख्यांक 41)
[29 जून, 1951]
दिल्ली में राजघाट समाधि के प्रबन्ध और नियंत्रण
का उपबन्ध करने के लिए
अधिनियम
संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो: -
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम राजघाट समाधि अधिनियम, 1951 है ।
(2) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में,-
(क) समिति" से इस अधिनियम के अधीन गठित राजघाट समाधि समिति अभिप्रेत है;
(ख) समाधि" से दिल्ली में यमुना नदी के पश्चिमी किनारे पर राजघाट में महात्मा गांधी के श्रद्धास्वरूप बनाई गई संरचना अभिप्रेत है और अनुसूची में वर्णित परिसर तथा उस परिसर में बने भवन, उन परिवर्धनों या परिवर्तनों सहित, जो उनमें इस अधिनियम के प्रारम्भ के पश्चात् किए जाएं, इसके अन्तर्गत हैं ।
3. राजघाट समाधि समिति-(1) समाधि का प्रबन्ध और नियंत्रण, इसमें इसके पश्चात् उपबंधित रीति से गठित समिति में निहित होगा ।
(2) उक्त समिति राजघाट समाधि समिति" के नाम से शाश्वत उत्तराधिकार और सामान्य मुद्रा वाली एक निगमित निकाय होगी और अपने अध्यक्ष के माध्यम से उक्त नाम से वह वाद लाएगी और उस पर वाद लाया जा सकेगा ।
4. समिति का गठन-(1) समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे, अर्थात्: -
(क) दिल्ली नगर निगम का महापौर, पदेन;
(ख) केन्द्रीय सरकार द्वारा नामनिर्देशित तीन शासकीय व्यक्ति;
(ग) केन्द्रीय सरकार द्वारा नामनिर्देशित चार अशासकीय व्यक्ति;
(घ) तीन संसद् सदस्य जिनमें से दो लोक सभा के सदस्यों द्वारा अपने में से निर्वाचित किए जाएंगे और एक राज्य सभा के सदस्यों द्वारा अपने में से निर्वाचित किया जाएगा ।
(2) केन्द्रीय सरकार उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर सकेगी और यदि इस प्रकार कोई अन्य व्यक्ति नियुक्त किया जाता है तो वह उपधारा (1) के अर्थ में समिति का सदस्य समझा जाएगा ।
(3) समिति के सदस्यों के रूप में केन्द्रीय सरकार द्वारा नामनिर्देशित सब व्यक्ति केन्द्रीय सरकार के प्रसादपर्यन्त पद धारण करेंगे ।
(4) उपधारा (1) के खण्ड (घ) के अधीन निर्वाचित सदस्य की पदावधि उसी समय समाप्त हो जाएगी जब वह उस सदन का सदस्य नहीं रह जाता है जिससे कि वह निर्वाचित किया गया था ।
[(5) यह घोषित किया जाता है कि समिति के सदस्य का पद धारण करने वाला व्यक्ति संसद् के दोनों सदनों में से किसी का सदस्य चुने जाने के लिए, या होने के लिए, निरर्हित नहीं होगा ।]
5. समिति की शक्तियां और उसके कर्तव्य-ऐसे नियमों के अधीन रहते हुए, जो इस अधिनियम के अधीन बनाए जाएं, समिति की निम्नलिखित शक्तियां और कर्तव्य होंगे: -
(क) समाधि के कामकाज का प्रबन्ध करना और समाधि को अच्छी हालत में रखना और उसकी मरम्मत कराना;
(ख) समाधि पर नियतकालिक समारोहों का आयोजन और विनियमन करना;
(ग) ऐसी अन्य बातें करना जो समाधि के कामकाज के दक्षतापूर्ण प्रबन्ध की आनुषंगिक या सहायक हों ।
6. केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति-केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के लिए और समाधि या उसके किसी भाग तक पहुंच विनियमित करने के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियम बना सकेगी ।
7. समिति की उपविधियां बनाने की शक्ति-(1) समिति [राजपत्र में अधिसूचना द्वारा] निम्नलिखित सब प्रयोजनों या उनमें से किसी के लिए ऐसी उपविधियां बना सकेगी जो इस अधिनियम से और इसके अधीन बनाए गए नियमों से संगत हों, अर्थात्: -
(क) वह रीति जिसमें समिति की बैठकें बुलाई जाएंगी, उनमें किसी कार्य के संचालन के लिए गणपूर्ति तथा ऐसी बैठकों में प्रक्रिया;
(ख) ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति जो समिति के कर्तव्यों के दक्षतापूर्ण पालन में उसकी सहायता करने के लिए आवश्यक हों और ऐसे कर्मचारियों की सेवा के निबन्धन और शर्तें;
(ग) समिति के कर्मचारियों के कर्तव्य और शक्तियां;
(घ) समिति के किसी भी कर्मचारी द्वारा समिति को लेखा, विवरणियां और रिपोर्ट पेश करना ।
(2) इस धारा के अधीन बनाई गई सब उपविधियां पूर्व प्रकाशन की शर्त के अधीन होंगी और तब तक प्रभावी नहीं होंगी जब तक केन्द्रीय सरकार द्वारा उनका अनुमोदन नहीं कर दिया जाता ।
[7क. नियमों और उप-विधियों का संसद् के समक्ष रखा जाना-इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम और प्रत्येक उपविधि, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखी जाएगी । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पर्वू दोनों सदन उस नियम या उपविधि में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं, तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगी । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम या उपविधि नहीं बनाई जानी चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगी । किंतु नियम या उपविधि के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडे़गा ।]
8. रिक्ति आदि के कारण समिति के कार्यों की विधिमान्यता का प्रश्नगत न किया जाना-समिति का कोई कार्य या उसकी कोई कार्यवाही केवल इस कारण अविधिमान्य नहीं समझी जाएगी कि समिति में कोई रिक्ति है या उसके गठन में कोई त्रुटि है ।
अनुसूची
[धारा 2(ख) देखिए
समाधि के परिसर का क्षेत्रफल 44.35 एकड़ है और जो निम्न प्रकार परिबद्ध है-
उत्तर में दिल्ली इम्प्रुवमेंट ट्रस्ट का एक खाली भू-खण्ड;
दक्षिण में पावर हाउस रोड;
पूर्व में पावर हाउस; और
पश्चिम में बेला रोड ।
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