उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में शुक्रवार को जिला फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 5 साल की बच्ची के साथ 6 माह तक दुष्कर्म करने वाले सौतेले भाई को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी से पीड़िता को 7 लाख रुपये का मुआवजा भी देने को कहा है। जानकारी के अनुसार बीते अप्रैल में नेपाल मूल का रहने वाला जनक बहादुर अपने दो नाबालिग बच्चों और 5 साल की सौतेली बहन के साथ जाजरदेवल थाना क्षेत्र में रह रहा था।

नाबालिग बच्चों ने बताया कि लगभग 32 साल का जनक बहादुर अपनी सौतेली बहन को कई बार मारता-पीटता था। इसकी जानकारी जाजरदेवल थाने में पहुंची। पुलिस ने मामला संवेदनशील होता देख आरोपी जनक बहादुर को गिरफ्तार कर लिया। उसके दो नाबालिग बच्चों और पीड़ित को अपने संरक्षण में लिया। 4 अप्रैल को बच्ची को एक संस्था के संरक्षण में दे दिया गया, जिसके बाद में पीड़ित बच्ची ने संस्था के सदस्यों को अपने साथ हुए दुष्कर्म के बारे में बताया।

पीड़ित बच्ची ने बताया कि उसके माता-पिता का निधन हो गया था। वह अपने सौतेले भाई जनक बहादुर के साथ रह रही थी। जनक बहादुर 6 माह से उसके साथ लगातार दुष्कर्म कर रहा था। पुलिस ने चिकित्सकीय परीक्षण करवाया तो बच्ची के शरीर में कई गंभीर घाव भी मिले। पुलिस ने मामले पर गम्भीरता बरतते हुए आरोपी के खिलाफ पॉक्सो-आईपीसी की धारा 376, 323 सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।

अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता प्रमोद पंत और विशेष लोक अभियोजन प्रेम सिंह भंडारी ने पैरवी करते हुए संबंधित गवाहों को पेश किया। दोनों पक्षों और गवाहों को सुनते हुए विशेष न्यायाधीश पॉक्सो डा. ज्ञानेंद्र कुमार शर्मा ने जनक बहादुर को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाते हुए कहा कि सौतेला भाई जिस तरह के कृत्य कर रहा था वह क्षमा योग्य नहीं है। न्यायालय ने पीड़ित बच्ची के भरण पोषण और भविष्य को देखते हुए 7 लाख रुपए की धनराशि मुआवजे के रूप में देने के आदेश भी दिए।

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